- अधिक से अधिक अल्पसंख्यक बालिकाओं को भर्ती करने पर दिया जा रहा है जोर

- वेस्ट के 24 जिलों में की जा रही है मॉनीटरिंग

- कस्तूरबा विद्यालय भी बन गए हैं सरकार की राजनीति के केंद्र

Swati bhatia@ inext.co.in

Meerut: कस्तूरबा गांधी बालिका आवासीय विद्यालयों में भी प्रदेश सरकार ने अब अल्पसंख्यक एजेंड लागू कर दिया है। शासन स्तर से स्कूलों को अधिक से अधिक अल्पसंख्यक छात्राओं को प्रवेश देने के निर्देश दिए गए हैं। इसके लिए अल्पसंख्यक बाहुल्य 24 जिलों की मानीटरिंग भी सीधे शासन स्तर से ही की जा रही है और बीएसए को इस संबंध में दिशा निर्देश जारी कर दिए गए हैं। साफ है कि शासन के इस फरमान से अपनी प्रतिभा के बल पर इन स्कूलों में प्रवेश की उम्मीद लगाए बैठी बालिकाओं की सारी इच्छाओं पर पानी फिर गया है।

राजनीति के एजेंडे पर आ गए स्कूल

कस्तूरबा विद्यालयों में प्रवेश का दौर चल रहा है। अभी तक तो कस्तूरबा गांधी विद्यालयों में प्रवेश योग्यता के आधार पर होते रहे हैं। वहीं प्रतिभाशाली बालिकाओं को बेहतर शिक्षा मुहैया कराना ही कस्तूरबा विद्यालयों का लक्ष्य भी रहा है, लेकिन अब ये विद्यालय भी सरकार के राजनीतिक एजेंडे पर आ गए है। वो इसलिए क्योंकि शासन के आदेश हैं कि विद्यालयों में ज्यादा से ज्यादा अल्पसंख्यक छात्राओं का ही एडमिशन होना चाहिए। इनमें भी मुस्लिम बाहुल्य जिलों में शुमार बदायूं, मेरठ, बागपत, बिजनौर, अमरोहा, मुरादाबाद, रामपुर, सहारनपुर, गाजियाबाद, मुज्जफरनगर आदि जिलों में केजीबीवी पर उच्चाधिकारियों की विशेष निगाह है।

अभी तक 13.19 फीसदी

वेस्ट यूपी के इन 24 जनपदों में 244 कस्तूरबा विद्यालय हैं, जिनमें 13.19 फीसदी बालिकाएं अल्पसंख्यक वर्ग की हैं, लेकिन सरकार की मंशा यहां इससे ज्यादा अल्पसंख्यक छात्राओं को प्रवेश देने की है। इसके लिए योग्यता के नियम भी दरकिनार कर दिए गए हैं। इसके लिए राज्य परियोजना की अपर निदेशक ने अभी कुछ दिन पहले हुई बैठक में सभी जिलों में बीईओ, चार अल्पसंख्यक प्रधान, वार्डन, बीआरसी आदि की प्रवेश कमेटी बनाई है।

सौंपी गई है जिम्मेदारी

जानकारी में डाल दें कि इस कमेटी को अल्पसंख्यकों की जनसंख्या के हिसाब से केजीबीवी में प्रवेश कराने की जिम्मेदारी सौंपी गई है। हर साल की प्रवेश संख्या की रिपोर्ट भी शासन को यह कमेटी भेजेगी, जिससे पता लगेगा कि किस वर्ग की कितनी छात्राओं का प्रवेश हुआ है।

शासन के नियमों के अनुसार बालिकाओं के एडमिशन किए जा रहे हैं। शासन की कोशिश है कि उन बालिकाओं को एजुकेशन से जोड़ा जाए जो शिक्षा से अछूती हैं।

मोहम्मद इकबाल, बीएसए

Posted By: Inextlive