जब हम अष्टांग योग के सातवें लिंब ध्यान की बात करते हैं तो यह साफ तौर पर समझ आ जाता है कि यह एक बेहद महत्वपूर्ण स्टेज है. ऐसा इसलिए है क्योंकि हम खुद को खुद के करीब पाते हैं. यह सेल्फ-रियलाइजेशन की स्टेज होती है जहां हम पूरी तरह से किसी एक चीज पर फोकस्ड रहते हैं. सेल्फ-रियलाइजेशन के बारे में जब हमने क्रिटिकली अक्लेम्ड एक्टर के के मेनन से बात की तो उनका कहना था 'एनालिसिस तो लोग करते ही रहते हैं लेकिन ये काफी मटीरियलिस्टक बात होती है और यह बुद्धिजीवियों का काम है. इसका हमारे अंदर से कोई खास रिलेशन नहीं है. जो चीज जिंदगी में जरूरी है वो है सेल्फ-रियलाइजेशन यानि की आत्म-चिंतन. यह हर किसी की लाइफ में बहुत जरूरी है और हमें एक बेहतर इंसान बनने में हमेशा ही हेल्प करता है.'

और क्या कहते हैं मेनन
आगे केके कहते हैं कि जब भी लाइफ में कुछ अच्छा या बुरा होता है तो लोग इसे एनालाइज करने लगते हैं, लेकिन यह तो बेसिकली एक स्ट्रैटेजी के तहत ही किया जाता है. वहीं अगर बात आत्म-चिंतन की जाए तो इसमें यहां कोई स्ट्रैटेजी नहीं होती है और यह बस खुद से ही किया जाता है. केके का मानना है कि प्रोफेशन चाहे जो भी हो, लेकिन हर व्यक्ति के लिए यह जरूरी है कि वह खुद अपने काम को समझे और उसके पीछे छिपे हर एक्सपेक्ट को रियलाइज करे. उनका कहना है, 'सेल्फ-एनालिसिस कर पाना किसी के लिए बहुत मुश्किल होता है, वह तो दूसरों का का काम है.' वह सेल्फ-रियलाइजेशन पर फोकस करते हुए कहते हैं, 'हम जो कर रहे हैं जब तक उससे हमारी आत्मा को खुशी या संतुष्टि ना मिले तो फिर उसका क्या फायदा. अब मैंने ही अपने लिए कुछ प्रिंसिपल्स सेट किए हैं और मैं हमेशा उन्हीं को फॉलो करता हूं. मेरा उनमें गहरा विश्वास है और मैं जानता हूं कि जो मैं कर रहा हूं वो मुझे कहां ले कर जाएगा और सबसे इंपॉर्टेंट बात तो यह है कि जब हमें इसके बारे में पता चल जाएगा कि हम सही रास्ते पर जा रहे हैं या नहीं, उस दिन कोई प्रॉब्लम ही नहीं रहेगी.'
'लाइफ में हर प्रॉब्लम का मौजूद है सॉल्यूशन'
वह कहते हैं कि लोग अक्सर अपने सामने आने वाली प्रॉब्लम्स को लेकर बेहद परेशान हो जाते हैं जबकि सच तो ये है कि लाइफ में हर प्रॉब्लम का कोई ना कोई सॉल्यूशन अवलेबल है और अगर इंसान उस सॉल्यूशन को नहीं ढूंढ़ पा रहा है तो इसका सीधा मतलब है कि वह प्रॉब्लम को भी ठीक से नहीं समझ पा रहा है. अपनी बात को एक्सप्लेन करते हुए वह कहते हैं, 'देखिए लाइफ के जो इंपॉर्टेंट मुद्दे होते हैं वो एक या दो प्वॉइंट्स पर ही खत्म हो जाते हैं. उन्हें बहुत ज्यादा इलैबोरेट करने की जरूरत नहीं होती. जैसे मैं अगर अपने प्रोफेशन की बात करूं तो एक्टिंग में कुछ चीजें हैं जो इंपॉर्टेंट हैं और उनका यूज होना ही है. मैं भी उन्हीं चीजों को फॉलो करता हूं, लेकिन अगर मैं अपनी लिस्ट को बढ़ाता जाऊंगा तो वह कभी खत्म ही नहीं होंगी और मैं हमेशा उलझा हुआ और कंफ्यूज्ड रहूंगा. सिंपल रूल है कि यह आपको तय करना है कि आप किस चीज को कैसे अडैप्ट करते हो पॉजिटिवली या निगेटिवली. अगर आपकी लाइफ में मुद्दों की एक लंबी लिस्ट है, तो इसका सीधा मतलब है कि आप खुद भी अपने आपको या लाइफ को ठीक से समझ नहीं पाए हैं, आपको नहीं पता कि आप क्या करना चाहते हैं.'
क्या रोल है योग का उनकी जिंदगी में
यह पूछने पर कि योग और मेडिटेशन का उनकी लाइफ में क्या रोल है, उनका कहना था, 'ये सारी चीजें खुद को एनर्जेटिक, फ्रेश और रिलैक्स्ड रखने के लिए होती हैं. लकिन लोगों को इसे ट्रेंड के तौर पर नहीं देखना चाहिए. योग और मेडिटेशन तो हमें जीने का तरीका सिखाता है, लेकिन इसका कॉन्सेप्ट हर किसी के लिए अलग होता है. जैसे अगर मुझे टेनिस खेलकर रिलैक्सेशन फील होता है तो मैं वो करता हूं. अगर किसी को मेडिटेट करके रिलैक्सेशन फील होता है तो उसे वह अच्छा लगेगा. लोगों के मेथड्स डिफरेंट हो सकते हैं, लेकिन उनका गोल एक ही होता है. मेरी कोशिश यही रहती है कि मैं हमेशा अच्छा काम करूं और अगर उस काम से किसी को हर्ट नहीं हो रहा है तो मुझे नहीं लगता कि उसे करने में कोई परेशानी होगी.'

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Posted By: Ruchi D Sharma