श्वास तंत्र को मजबूत रखता है रोज आधा घंटा तक साइकिल चलाना

ALLAHABAD: फन और फिटनेस के इवेंट बाइकाथन सीजन-9 के आयोजन की तिथि तेजी से करीब आ रही है। आप भी अपनी साइकिल लेकर हो जाइए तैयार क्योंकि सोसाइटी को इनवायरनमेंट और हेल्थ को लेकर पॉजिटिव मैसेज देने का इससे अच्छा मौका फिर शायद ही मिले। डॉक्टर्स का भी कहना है कि रोज आधा घंटे साइकिल चलाकर फेफड़ों को जवान रखा जा सकता है।

आराम से करिए साइकिलिंग

फिजिकल वर्क नहीं करने से लोगों में फिटनेस की काफी कमी देखी जा रही है। खासकर श्वसन तंत्र में विकार उत्पन्न हो जाने से लोग दमा और सीओपीडी की चपेट में आ रहे हैं। डॉक्टर्स का कहना है कि लोग साइकिल चलाते समय भरपूर सांस लेते हैं जिससे फेफड़े और श्वास नलियां हमेशा हेल्दी रहते हैं। चेस्ट फिजीशियन डॉ। आशुतोष गुप्ता कहते हैं कि श्वसन तंत्र बेहतर होने से शरीर के आर्गन तक भरपूर मात्रा में ऑक्सीजन पहुंचती है।

धीरे-धीरे करीब आ रहा है समय

फॉच्र्युन रिफाइंड सोयाबीन ऑयल की प्रस्तुति दैनिक जागरण आई नेक्स्ट बाइकाथन सीजन-9 का आयोजन 29 अक्टूबर को होने जा रहा है। इसका हिस्सा बनने के लिए रजिस्ट्रेशन कराना अनिवार्य है। हमारा रजिस्ट्रेशन फार्म महज सौ रुपए का है जिसे शहर में बने काउंटर्स या दैनिक जागरण आई नेक्स्ट ऑफिस से प्राप्त किया जा सकता है। रजिस्ट्रेशन कराने वाले प्रत्येक व्यक्ति को एक टीशर्ट, एक कैप और पार्टिसिपेशन सर्टिफिकेट फ्री दिया जाएगा। इसके अलावा भी उनके पास लकी ड्रा के जरिए ढेरों पुरस्कार जीतने का मौका होगा। तो आप भी देर न करें और रजिस्ट्रेशन कराकर अपनी भागीदारी पक्की कराएं।

सिटी स्पीक

साइकिल चलाने में कैसी शर्म

साइकिल की बात करें तो सालों पुरानी बचपन की यादें फिर से आंखों के आगे तैर जाती हैं। वैसे अगर साइकिलिंग के एक्सपीरियंस की बात करूं तो वह बेहद अलग और खास था। कोई भी हो उसकी लाइफ की पहली साइकिल उसके लिए काफी मायने रखती है। मेरे साथ भी साइकिल का रिश्ता काफी लंबे समय तक रहा। हालांकि आईएएस में चयन के बाद जब पोस्टिंग हुई तो साइकिलिंग को उतना समय दे पाना मुश्किल हो गया, लेकिन आज भी जब भी मौका मिलता है, अपने इस शौक और फिटनेस के मंत्र का पूरा उपयोग करता हुं। डीएम संजय कुमार ने साइकिलिंग को लेकर अपने एक्स्पीरियंस को शेयर करते हुए कहा कि बचपन में जब साइकिल मिली तो उस खुशी को आज भी बयां करने के लिए शब्द कम पड़ जाते हैं। स्कूल टाइम में साइकिल से अच्छी सवारी कोई दूसरी नहीं लगती थी। जब भी मौका मिलता था हमारी दोस्तों की टोली साइकिल के साथ मस्ती करने के लिए निकल पड़ती थी। हालांकि कई बार काफी देर तक साइकिल चलाने को लेकर डांट भी पड़ी, लेकिन इसके बाद भी साइकिल को लेकर क्रेज कभी कम नहीं हुआ। साइकिल हम सभी दोस्तों की जान होती थी। दोस्तों के साथ साइकिलिंग करते हुए स्कूल और कोचिंग तक ही जाना नहीं होता था। बल्कि कहीं भी जाना हो तो दोस्तों के साथ साइकिल से जाना ही ज्यादा प्रिफर करते थे। धीरे धीरे साइकिलिंग आदत में शुमार हो गई। नतीजा ये रहा है कि ग्रेजुएशन के दिन में भी साइकिल से कालेज जाने का मौका मिलता था तो उसे कभी हाथ से नहीं जाने दिया। सिविल सर्विसेज की तैयारी के समय लंबे समय तक रूम में बैठकर पढ़ाई करनी पड़ती थी। उस समय भी सुबह और शाम को साइकिलिंग जरूरत करता था। इससे फिजिकल एक्सरसाइज होने के साथ ही साथ मानसिक सुख और शांति भी मिलती थी। आज भी उन दिनों को याद करने पर फिलिंग आती है कि वो दिन लौट आए। लोगों से अपील है कि वे साइकिलिंग को अपने दैनिक जीवन में शामिल करें और शारीरिक व मानसिक फायदा उठाए।

-संजय कुमार, डीएम

Posted By: Inextlive