तेजस की तेजी से बच पाना होगा मुश्किल जानिए कितना तेज है देश का ये सुपरसोनक लड़ाकू विमान


11 तेजस खड़ेभारतीय वायुसेना को स्वदेशी लड़ाकू विमान से लैस करने का सपना अब साकार होने की दहलीज पर पहुंच गया है. बेंगलूर स्थित हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड [एचएएल>अंतिम मंजूरीरक्षा मंत्री एके एंटनी शुक्रवार को यहां वायुसेना के लिए इस विमान के उत्पादन और उड़ान को प्राथमिक मंजूरी देंगे. यह मंजूरी तेजस को शस्त्रों से लैस लड़ाकू विमान के तौर पर प्रमाणित करेगी. विमान के लिए अंतिम संचालन मंजूरी दिसंबर, 2014 में दे दी जानी है. अभी विमान को पूरी तरह युद्धक क्षमताओं से लैस करने के लिए उसमें बीवीआर मिसाइलों समेत कई हथियारों को जोड़ा जाना है. विमान को तैयार करने वाली एविएशन डेवलपमेंट एजेंसी के कार्यक्रम निदेशक पीएस सुब्रमण्यम बताते हैं कि वायुसेना को सौंपने के लिए 2014 तक चार और 2016 तक आठ विमान तैयार कर लिए जाएंगे. दुनिया का सबसे हल्का लड़ाकू विमान


महत्वपूर्ण है कि तेजस को तैयार करने वाला एचएएल इसके दुनिया का सबसे हल्का लड़ाकू विमान होने का दावा करता है. इतना ही नहीं चौथी पीढ़ी से आगे के इस विमान की खूबियों का बखान करते हुए सरकारी उड़ान प्रमाणीकरण एजेंसी सिमलैक के मुख्य कार्यकारी डॉ. के तमिलमणि तो इसे राफेल लड़ाकू विमान के मुकाबले भी कई मायनों में बेहतर बताते हैं. उल्लेखनीय है कि वायुसेना मीडियम मल्टीरोल लड़ाकू विमान की अपनी जरूरत के लिए फ्रांस से 126 राफेल विमान खरीद रही है. तेजस को बनाने की कवायद बीती सदी के नौवें दशक से चल रही है. यह विमान 65 फीसद ही स्वदेशी है क्योंकि इसमें अमेरिकी इंजन और ब्रिटेन से आयातित पायलट सीट लगी है.सुपरसोनिक विमान तेजस :लंबाई - 13.20 मीटरऊंचाई - 4.40 मीटरविंग एरिया - 38.4 मीटरभार - 5,680 किलोग्रामडैने - 8.20 मीटरलोडेड भार - 9,500 किलोग्रामगति - 1.8 मेकईधन क्षमता - 3,000 लीटर [इसके अलावा 800 लीटर के पांच टैंक बाहर से जोड़े जा सकते हैं>रेंज - 3,000 किलोमीटरअधिकतम भार क्षमता - 13,500 किलोग्रामतेजस की तेजी :- डीआरडीओ और एचएएल के मुताबिक सिंगल सीट वाला तेजस दुनिया का सबसे बेहतरीन हल्का लड़ाकू विमान है.- युद्धक भार ले जाने की क्षमता और रेंज के हिसाब से मिग- 21 बीसोन से कई मामलों में बेहतर.- वायुसेना की ऑपरेशनल जरूरतों के हिसाब से सभी एडवांस टेक्नोलॉजी से लैस. इसके उन्नत संस्करण मार्क-2 में सभी खूबियों का समावेश होगा.- हथियारों के साथ करीब 13 टन वजनी यह विमान दुनिया के सबसे हल्के लड़ाकू विमानों में से एक है.

- मौजूदा मार्क-1 विमान एक बार में 400 किलोमीटर के दायरे में कर सकेगा ऑपरेशन.-विमान 1350 किलोमीटर प्रति घंटा की रफ्तार से उड़ने में सक्षम.- अब तक हो चुके हैं ढाई हजार से अधिक उड़ान परीक्षण.- विमान में अभी लगाई जानी है बियांड विजुअल रेंज मिसाइलें और गन.- एक विमान की कीमत करीब 200 करोड़ रुपये.विकास की दास्तान :1983 : रक्षा अनुसंधान और विकास संगठन [डीआरडीओ>1984 : एलसीए का डिजायन तैयार करने के लिए सरकार ने एयरोनॉटिकल डेवलेपमेंट एजेसी [एडीए>1986 : एलसीए कार्यक्रम के लिए सरकार ने 575 करोड़ रुपये का बजट स्वीकृत किया.4 जनवरी 2001 : एलसीए ने पहली सफल उड़ान भरी. प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी ने इसका नाम एलसीए से बदलकर तेजस रखा.2006 : पहली बार सुपरसोनिक उड़ान भरी.22 जनवरी 2009 : 1,000 उड़ानें पूरी की.26 नवंबर 2009 : दो सीटों वाले [ट्रेनर>15 दिसंबर 2009 : वायुसेना और नौसेना के लिए सरकार ने लड़ाकू जेट बनाने के लिए 8,000 करोड़ रुपये के बजट को स्वीकृत किया.

Posted By: Subhesh Sharma