Meerut: लाइफ में सक्सेस के लिए किसी मदद की जरुरत होती है. जब वो सहारा अपना होता है तो मंजिल थोड़ी आसान हो जाती है. जिंदगी के सभी इम्तिहान आसान होने लगते हैं. ऐसा ही भाई-बहन का साथ भी है. सोसायटी में कुछ ऐसे सक्सेस लोग मिल जाएंगे जिन्होंने अपनी मंजिल अपने भाई या बहन के भरोसे और सहारे से आगे बढ़े और एक मंजिल और मुकाम को हासिल किया. आइए आपका भी उनसे परिचय कराते हैं...


मेरे लिए special है भाई के compliments


मेरे दोनों ही भाई मुझसे छोटे हैं। पर बड़ा भाई शिजान, जो मुझसे चार साल छोटा है, वो मेरे काफी करीब होने के साथ-साथ मेरे लिए काफी स्पेशल भी है। जब भी मैं और शफक किसी कंफ्यूजन में होते हैं तो मम्मी के साथ उस कंफ्यूजन को दूर करने में हमारी काफी हैल्प करता है। मुझे लगता है कि मेरे भाई शिजान के पास हमारी हर प्रॉब्लम का सॉल्यूशन है। दूसरी बात के वो मेरी यूं ही तारीफ कभी नहीं करता है। फिर चाहे मेरे डे्रसअप को लेकर हो या मेरी परफॉर्मेंस को लेकर। हां, अगर कोई कमी होगी तो तुरंत टोक देगा। जिसमें मुझे सुधार करने में काफी हेल्प मिलती हैं। वो दिन, वो पल मेरे सबसे ज्यादा स्पेशल होता है जब वो मेरी तारीफ करता है। वो मेरे दिल के सबसे करीब होता है। मेरे लिए वो तारीफ शिजान के दिल से निकलती है। -फलक नाज, टीवी एक्ट्रेस बहन ने बनाया क्रिकेटर

भुवनेश्वर कुमार के प्रदर्शन का आज हर क्रिकेट पंडित कायल है। उसके विश्वास, समर्पण, भाव और प्रदर्शन को देखकर पूरा देश गदगद है। भुवनेश्वर को मंजिल तो मिली लेकिन इस मंजिल के पीछे थी सालों की मेहनत। ये मेहनत भुवनेश्वर ने जरूर की, लेकिन उनकी सफलता के पीछे एक ऐसे शख्स का भी हाथ रहा, जिनके बिना शायद भुवी का ये मुकाम हासिल करना मुश्किल होता। ये और कोई नहीं उनकी बड़ी बहन रेखा हैं। रेखा ही भुवी को भामाशाह पार्क में एडमिशन दिलाने ले गई। रोज भुवी को लेने आती तो छोडऩे भी जाती। भुवनेश्वर के क्रिकेट से प्यार को रेखा ने बचपन में ही समझ लिया था। भुवनेश्वर के लिए क्रिकेट का सामान लाना हो या फिर बॉलिंग के लिए जरूरी स्पाइक्स शूज लाने हो रेखा कभी पीछे नहीं रही। इतना ही नहीं ये रेखा ही थी, जिन्होंने भुवी की पढ़ाई को भी रखा और समय पर उन्हें घर में पढ़ाया भी। आज भुवनेश्वर भी अपनी इस सफलता का श्रेय अपनी बड़ी बहन को ही देते हैं और जब भी मेरठ होते हैं तो दिल्ली में अपनी बहन के यहां जाना नहीं भूलते। 'मैं जो भी बना हूं उसके पीछे मेरी दीदी का बड़ा हाथ है। उन्होंने मुझे बचपन से ही बहुत सपोर्ट किया। मेरे लिए  बचपन में भामाशाह पार्क अकेले जाना मुमकिन नहीं था। ऐसे में मेरी बहन ही मुझे रोज छोडऩे और लेने जाती थी.'-भुवनेश्वर कुमार, भारतीय क्रिकेटर सूना हो गया भाईदूज

भाई-बहन के त्योहार हमेशा उनके रिश्ते में हमेशा रिफ्रेशनर का काम करता है। सही मायने में ये त्योहार रिश्तों को और ज्यादा मजबूत बनाते हैं। मेरा कोई रियल ब्रदर नहीं है। मैंने जब मुंबई में कदम रखा तो वहां मेरी मुलाकात फेमस फोटोग्राफर जगदीश माली से हुई। हमारा रिश्ता भाई-बहन के रिश्ते की तरह आगे बढ़ा। मैं पिछले करीब 25 सालों से उन्हें राखी बांधती और भाई दूज पर टीका करती हूं और जगदीश माली ने भी भाई होने का हर फर्ज निभाया है। कुछ महीनों पहले ही जगदीश माली का निधन हो गया। दीप्ति के लिए इस साल का रक्षाबंधन और भाई दूज सूना ही रह गया। दीप्ति कहती हैं वो मेरे बड़े भाई और पिता के समान थे। वो हमेशा मेरा ध्यान रखते। जब इस इंडस्ट्री में मैंने अपने करियर की शुरुआत की तो मेरे हर फैसले में उन्होंने मेरा साथ दिया। मेरे करियर को मजबूत बनाने और मुझे इस मुकाम तक पहुंचाने में उनका बहुत बड़ा योगदान रहा। मैं उन्हें अपनी जिंदगी के मार्गदर्शक के तौर पर देखती हूं।-दीप्ति भटनागर, एक्ट्रेस

Posted By: Inextlive