- रॉयल्टी के अलावा ग्रांट हड़पने का आरोप

LUCKNOW: केजीएमयू में शोध के नाम पर धांधली हो रही है। रॉयल्टी के अलावा सरकारी ग्रांट हड़पने का खेल चल रहा है। ऐसे में राज्यपाल को पत्र लिखकर शिक्षकों के शोध खातों की सीबीआई जांच की मांग की गई है। रॉयल्टी का भंडा फूटने के बाद कानपुर निवासी अजय सिंह ने शोध के लिए डॉक्टरों को मिली ग्रांट में धांधली की शिकायत राज्यपाल, कैग, सीबीसीआईडी, ईओडब्लू, हेड ऑफ जोन ज्वाइंट डायरेक्टर सीबीआई व केजीएमयू कुलसचिव से की है।

रॉयल्टी डकार गए

संस्थान में कई डॉक्टर रिटायर हो चुके हैं। वहीं तमाम प्राइवेट व दूसरे संस्थानों में चले गए हैं। इन शिक्षकों ने संस्थान के संसाधन, धन से मरीजों पर शोधकर उपकरणों के आविष्कार व पुस्तकें लिखीं। वहीं पेटेंट व कॉपी राइट के अधिकार खुद बेंचकर करोड़ों की रॉयल्टी डकार गए। इसमें संस्थान को फूटी कौड़ी नहीं दी, जबकि पीजीआइ में 40 फीसद संस्थान व 60 फीसद डॉक्टर का रॉयल्टी पर अधिकार है।

बाक्स

84 करोड़ की फंडिंग

केजीएमयू के शिक्षकों को शोध के लिए आईसीएमआर, डीएसटी, डीबीटी, सीएसआईआर, एनएचएम समेत आठ सरकारी संस्थाओं से ग्रांट मिली। एक वर्ष में 84 करोड़ रुपये शिक्षकों के शोध खाते में यूनीवर्सिटी के माध्यम से भेजे गए। आरोप हैं कि शोध के धन को निजी खर्च, परिवारीजनों-परिचितों को प्रोजेक्ट में लगाकर मानदेय देने, घर में कार्यालय दिखाकर किराया के तौर पर उड़ाया गया। शिकायत कर्ता ने पिछले दस वर्ष तक की रिसर्च ग्रांट का उपयोग व शिक्षकों के अकाउंट का ट्रांजेक्शन की जांच की मांग की।

बाक्स

पत्र में हैं गंभीर आरोप

- संस्थान के एक वरिष्ठ डॉक्टर पर घर में ऑफिस दिखाकर किराए के नाम पर फर्जीवाड़ा

-हाल में ही सेवानिवृत्ति हुए डॉक्टर पर रिसर्च फाउंडेशन बनाकर शोध के नाम पर धन को वारे-न्यारे करने का आरोप

-एक चिकित्सक पर मरीजों की फर्जी बिल लगाकर धन डकारने का आरोप

-एक चिकित्सक पर टेंपरिंग कर शोध प्रोजेक्ट में परिचित को नौकरी देने का आरोप

Posted By: Inextlive