रांची: राज्य के सबसे बड़े हॉस्पिटल रिम्स में ही अब किडनी के मरीजों का इलाज होगा, जिससे कि किडनी के मरीजों को इलाज के लिए दूसरे राज्यों का रुख नहीं करना होगा। वहीं उनका खर्च भी बचेगा। इतना ही नहीं, हॉस्पिटल में ही स्टेट आर्गन ट्रांसप्लांट सेंटर भी बनाया जाएगा, जिससे कि ट्रांसप्लांट के लिए लंबे प्रॉसेस से छुटकारा मिल जाएगा। वहीं सेंटर की परमिशन से किडनी ट्रांसप्लांट भी किया जा सकेगा। इसके अलावा मरीज परेशानी से भी बच जाएंगे। रिम्स में नेफ्रोलॉजिस्ट डॉ प्रज्ञा पंत ने ज्वाइन कर लिया है। वहीं सबकुछ ठीक रहा तो अगले दो महीने के अंदर ही पहला किडनी ट्रांसप्लांट रिम्स में किया जाएगा। डेंटल विंग, ओपन हार्ट सर्जरी, सुपरस्पेशियलिटी ट्रामा सेंटर के बाद अब नेफ्रोलॉजी की शुरुआत रिम्स के इतिहास में दर्ज हो गई है।

सेपरेट डायलेसिस यूनिट बनेगा

नेफ्रोलॉजी डिपार्टमेंट शुरू होने के बाद अब डायलेसिस सेंटर बनाने का रास्ता साफ हो गया है। इसके तहत डायलेसिस की एक सेपरेट यूनिट होगी। जहां पर एक्सपर्ट टेक्नीशियन तैनात किए जाएंगे, जिससे कि मरीजों की रेगुलर डायलेसिस की जा सकेगी। वहीं, किडनी ट्रांसप्लांट के लिए विंग में सभी जरूरी सुविधाएं भी उपलब्ध हैं। जल्द ही किडनी ट्रांसप्लांट का पहला केस आने वाला है। ऐसे में इलाज में होने वाले खर्च के बोझ से भी लोग बच जाएंगे। चूंकि झारखंड में किडनी के मरीजों की संख्या काफी है।

डायलेसिस को मशीनें तैयार

डायलेसिस सेंटर बनाने के लिए प्रबंधन पहले से ही तैयारी कर रहा है, जहां मशीनें मंगाकर रखी गई हैं। कुछ मशीनों को ट्रामा सेंटर में फिलहाल चालू किया गया है। लेकिन हॉस्पिटल प्रबंधन की अब दस बेड का डायलेसिस सेंटर बनाने की योजना है, जिससे कि इमरजेंसी में आने वाले मरीजों का डायलेसिस किया जाएगा। वहीं जेनरल मरीजों को पहले से चल रहे सेंटर में भेजा जाएगा। इसका एक और फायदा होगा कि एक ही समय में ज्यादा मरीजों के डायलेसिस किए जाएंगे।

मेडिसीन में होता था इलाज

किडनी स्पेशलिस्ट नहीं होने के कारण किडनी के मरीजों का इलाज मेडिसीन वार्ड में किया जाता था। मरीजों को केवल डायलेसिस की सुविधा मिलती थी। वहीं कई मरीज प्राइवेट में डायलेसिस कराने के लिए जाते थे। लेकिन उन्हें इसी काम के लिए काफी पैसे खर्च करने पड़ते थे। वहीं किडनी के इलाज के लिए बाहर के राज्यों में जाना पड़ रहा था। इलाज कराने में तो कई लोगों के घर और जमीन तक गिरवी रखने की नौबत आ चुकी है। ऐसे में अब मरीजों को बाहर नहीं जाना होगा।

1960 में यह मेडिकल कॉलेज बना था। इतने लंबे समय में यहां नेफ्रोलॉजी की शुरुआत हो जानी चाहिए थी। यह मेरी प्राथमिकता में था। किडनी ट्रांसप्लांट को मैं शुरू कराऊंगा। डॉ प्रज्ञा पंत ने ज्वाइन कर लिया है, जिसका फायदा झारखंड में किडनी के मरीजों को मिलेगा। जो भी बाधाएं हैं, उसे तत्काल दूर करते हुए सारी चीजें व्यवस्थित की जाएंगी।

-डॉ डीके सिंह, डायरेक्टर, रिम्स

हमारे पास पूरा इंफ्रास्ट्रक्चर तैयार हो रहा है। तत्काल ऑपरेशन करने के लिए हमारे पास सुविधाएं हैं। कुछ पेपर वर्क बचा है, जिसे पूरा करने के बाद पहला किडनी ट्रांसप्लांट कर दिया जाएगा। वहीं ऐसी व्यवस्था की जाएगी कि मरीजों को बार बार किडनी ट्रांसप्लांट प्रॉसेस के लिए विभाग के पास दौड़ न लगानी पड़े।

-डॉ अरशद जमाल, यूरोलॉजिस्ट

मुझे डायरेक्टर ने जिस भरोसे से जिम्मेवारी सौंपी है, उस पर काम करना है। डायलेसिस यूनिट पर जल्द ही काम शुरू होगा, जहां कमजोर तबके के लोगों को भी व‌र्ल्ड क्लास की फैसिलिटी मिलेगी। डिपार्टमेंट को बढ़ाएंगे और नेफ्रोलॉजी के तहत आने वाले इलाज मरीजों को मुहैया कराए जाएंगे।

डॉ प्रज्ञा पंत, नेफ्रोलॉजिस्ट

Posted By: Inextlive