दक्षिणी दिल्ली के एक बड़े से मॉल में 10 साल की सितारा अपने बाल कटवा रही है.

अपनी मां गुंजन के साथ वो यहाँ आई है. वह गुड़गांव के श्रीराम स्कूल में पढ़ती है.
सितारा को देखकर लगता है कि वो यहां आकर बिल्कुल खुश नहीं है. लेकिन उसकी मां को लगता है कि ये सब बेहद ज़रूरी है.
वो कहती हैं, ''सितारा जिस स्कूल में पढ़ती है वहां इसकी उम्र के सभी बच्चे अपनी 'लुक्स' को लेकर काफी सजग रहते हैं, ऐसे में इसका इस तरह से लापरवाह रहना मुझे बिल्कुल पसंद नहीं है.''
यहीं पर अपने ढाई साल के बेटे समर्थ सरदाना को स्पाइकी हेयर कट दिलवाने आई उसकी मां डिंपल सरदाना कहती हैं, ''हमें एक बर्थडे पार्टी में जाना है जहां और भी बच्चे होंगे. मैं चाहती हूं मेरा बेटा वहां सबसे अलग और बिल्कुल हीरो जैसा दिखे, इसलिए इसे यहां लेकर आई हूं.''
हालांकि जब मैंने समर्थ से बात करने की कोशिश की तो वो अपनी उम्र के हिसाब से बिल्कुल वही बोलता रहा जो उसके माता-पिता कहने को कहते रहे.

खासा चलन है
दिल्ली के वसंतकुंज स्थित एंबिएंस मॉल में बच्चों के लिए एक पार्लर चलाया जा रहा है जिसका नाम है ''फज़ी हेयर.''
इस पार्लर में माता पिता दो-तीन साल के बच्चों को भी लेकर आते हैं ताकि उन्हें सुंदर, आकर्षक और अलग बनाया जा सके. वैसे यहां आने वाले बच्चों की उम्र छह महीने से लेकर 10-12 साल तक की होती है.
फज़ी हेयर के मैनेजर राहुल के अनुसार, ''हम लोग यहां बच्चों के हेयर कट, हेयर एक्सटेंशन, नेल-आर्ट, टैटू सर्विस, पेडीक्योर-मैनीक्योर और माता-पिता के कहने पर वैक्सिंग और थ्रेडिंग भी करते हैं.''
इसके अलावा इन पार्लरों में बच्चों के जन्मदिन पर थीम पार्टी का आयोजन भी किया जाता है.
इसमें लड़कियों के लिए दिवा, एंजेल और प्रिसेंस थीम पर पार्टी होती है तो लड़कों के लिए पाईरेट और रॉकस्टार थीम पर.
नारीत्व के गलत भाव
फज़ी हेयर की मालकिन प्रणीता के अनुसार, ''आजकल के बच्चों पर टीवी और फिल्मों का असर उनके माता-पिता से भी ज्य़ादा होता है. वे अपनी धुन के पक्के होते हैं और हम उन पर अपनी मर्जी़ थोप नहीं सकते.''
लेकिन दिल्ली की मयूर विहार कॉलोनी में रहने वाली अंशु नैथानी कहती हैं, ''मेरी बेटी अभी सिर्फ दस साल की है और मैं उसे पार्लर सिर्फ हेयरकट के लिए लेकर जाती हूं. कभी-कभार मैं उसे डिओ या लिप बाम तो लगा देती हूं लेकिन और कुछ और करने की इजाज़त नहीं देती.''
कुछ ऐसी ही सोच गाजियाबाद निवासी रुपम की है वो कहती हैं, ''मेरी बेटी नौ साल की है और अपने पांव में उगते बालों को हटाने की ज़िद करती है, लेकिन मैं उसे समझाती हूं कि फिलहाल इसकी ज़रुरत नहीं है जब होगी तो मैं खुद उसे पार्लर ले जाउंगी.''
मनोवैज्ञानिक डॉक्टर अरुणा ब्रूटा के अनुसार, ''आजकल लड़कियों के शरीर में होने वाले शारीरिक बदलाव के कारण माता-पिता का पूरा ध्यान उनको सुंदर दिखाने और उनके लिए अच्छा रिश्ता ढूंढने में रह जाता है, जिससे कम उम्र के बच्चियों में नारीत्व के गलत भाव पैदा होते हैं.''
वो कहती हैं, ''ये एक खतरनाक स्थिति है और इसके लिए अभिभावक और बच्चे दोनों दोषी हैं. इसमें लड़कियों के अंदर खुद की नुमाइश करने की प्रवृत्ति बढ़ती जा रही है. उनको लगता है कि अच्छा दिखने भर से वे हर क्षेत्र में अव्वल आ सकती हैं.''
खोता बचपना?
अनेक पर्यवेक्षक ये मानते हैं कि इसका सबसे बड़ा नुकसान ये है कि बच्चे अपना बचपन खोते जा रहे हैं.
ब्रूटा के अनुसार, ''इसमें एक बड़ी भूमिका टेलीविज़न पर दिखाए जाने वाले रियलिटी शो भी हैं जिनमें इन बच्चियों को बड़ी औरतों की तरह पेश होना सिखाया जाता है और ये लड़कियां खुद को एक सेक्स ऑबजेक्ट या उपभोग की वस्तु के तौर पर महसूस करने लगती है.''
लेकिन प्रणीता डॉक्टर ब्रूटा की सभी दलीलों को नकारती हैं. वो कहती हैं, ''हम किसी के साथ ज़बर्दस्ती नहीं करते और अच्छा या बुरा असर होना काफी व्यक्तिगत मामला है. इसके लिए सिर्फ पार्लर को दोष देना गलत होगा क्योंकि इसमें उनकी परवरिश की भी उतनी ही अहम भूमिका है.''
गाज़ियाबाद में रहने वाली बरनाली कहती हैं, ''मैं एक कामकाजी महिला हूं और मेरे पास समय की कमी रहती है. मेरी बेटी को स्कूल के अलावा, ट्यूशन, डांस, संगीत और पेंटिंग क्लास के लिए जाना होता है. ऐसे में अगर मैं उसकी व्यक्तिगत ज़रुरतों के लिए उसे पार्लर लेकर जाती हूं तो इसमें क्या बुराई है ?''
दिल्ली में रहने वाली सीमा कुरानी जो एक तीन साल की बच्ची की मां है, कहती हैं, ''मेरी बेटी रोज़ प्लेस्कूल जाने से पहले अपने कपडे़ के रंग की नेल-पॉलिश और हेयर क्लिप्स लगाना चाहती हैं. उसे रूज़, मस्करा, आई-शैडो, लिप्सटिक के बारे में भी पता है. ऐसे में मुझे भी बदलते समय के साथ बदलना ही पड़ेगा.''
इन सभी दलीलों के बीच ये तय है कि छोटे बच्चों का खाली वक्त जिस तरह से खेल के मैदान के बजाय वीडियो और ब्यूटी पार्लरों में बीत रहा है वो हमारे समाज के बदलते रुप को दर्शाता है.

Posted By: Surabhi Yadav