-डेंगू की जांच के लिए धड़ल्ले से किया जा रहा किट का इस्तेमाल

-150 रुपए की किट से जांच के लिए 1000 तक हो रही वसूली

-मेडिकल स्टोर पर खुले रूप से बिक रही डेंगू की किट

Meerut। शहर में जहां एक के बाद एक डेंगू के मामले सामने आते जा रहे हैं, वहीं डेंगू के खौफ की आड़ में प्राइवेट पैथोलॉजी लैब्स जांच के नाम पर मोटा खेल कर रही हैं। ये प्राइवेट पैथोलॉजी लैब डेंगू की जांच के लिए जिस डेंगू किट का इस्तेमाल कर रही हैं, न तो उनकी कोई मान्यता है और न ही इस आधार पर डेंगू की पुष्टि की जा सकती है।

डेंगू की पुष्टि में असफल किट

स्वास्थ्य विभाग के मुताबिक किट की जांच में डेंगू पॉजिटिव आने का मतलब यह नहीं है कि उसे वास्तव में डेंगू ही हो। कई बार डेंगू न होने पर भी किट से रिपोर्ट पॉजिटिव आती है। इसलिए किट की जांच पर भरोसा कर डेंगू से डरें नहीं। उन्होंने कहा कि एनएस1 एंटीजन टेस्ट (रैपिड डायग्नोस्टिक किट टेस्ट) की सेंसिटिविटी काफी लो है। जिसके कारण कई बार बीमारी न होने पर भी रिपोर्ट पॉजिटिव आती है। हेल्थ मिनिस्ट्री के अनुसार किट टेस्ट को सिर्फ संभावित मरीज कहा जा सकता है। लेकिन इसका मतलब यह नहीं है मरीजों को डेंगू हो ही।

बैन के बावजूद बिक्री

स्वास्थ्य विभाग की मानें तो 2015 में दिल्ली सरकार ने किट के माध्यम से की जाने वाली जांच पर प्रतिबंध लगा दिया था। जिसके पीछे सबसे बड़ा कारण यह है कि सामान्य बुखार में भी यह पॉजिटिव दिखाता है। जिससे डेंगू का पैनिक क्रिएट होता है। किट टेस्ट से मलेरिया, लेप्टोस्पाइरोसिस, मीजल्स, इंफ्लूएंजा, जापानीज इंसेफ्लाइटिस, वेस्ट नील रीवर और यलो फीवर में भी डेंगू पॉजिटिव बताता है।

इलाइजा टेस्ट से ही पुष्टि

दरअसल, डेंगू बुखार में रैपिड टेस्ट का कोई पुख्ता आधार नहीं होता। डॉ। सारस्वत के मुताबिक यदि डेंगू की पुष्टि का एक मात्र आधार केवल इलाइजा टेस्ट है। इलाइजा टेस्ट से डेंगू 5 से 6 दिन में ही पॉजिटिव आता है। अगर एलाइज टेस्ट बुखार के दूसरे या तीसरे दिन किया जाता है तो यह रिपोर्ट निगेटिव आएगी क्योंकि डेंगू की एंटी बॉडी पांचवें दिन बाद ही पहचान में आ पाती हैं। एलाइजा टेस्ट में कम से कम 6 घंटे लगते हैं और सभी सैंपल की रिपोर्ट सात घंटे में रिपोर्ट से भेजी जा रही है।

150 की किट, 800 की जांच

बाजार में दो प्रकार की डेंगू किट (एंटी बॉडी व एंटी जैन) उपलब्ध हैं। मेडिकल स्टोर्स पर एंटी बॉडी किट 150 रुपए और एंटी जैन किट 250 रुपए में खरीदी जा सकती है। चौंकाने वाली बात यह है कि प्राइवेट पैथालॉजी लैब्स इन दोनों ही टेस्ट के 300 से 1000 रुपए चार्ज करती हैं। जिसके बाद भी डेंगू की पुष्टि के लिए इन जांच रिपोर्ट को जिला अस्पताल और मेडिकल कॉलेज ही भेजा जाता है, जहां से डेंगू के पॉजिटिव और निगेटिव होने की पुष्टि की जाती है। ऐसे में रैपिड टेस्ट के नाम पर मरीजों से मोटी वसूली की जा रही है।

डेंगू किट की मांग में इजाफा

मेडिकल विशेषज्ञों की मानें तो शहर में डेंगू की पुष्टि होने के बाद से डेंगू किट की मांग में आठ गुना बढ़ोतरी हुई है। आलम यह है कि शहर में रोजाना 250 से 300 डेंगू किट खरीद की जा रही है। हालांकि यह डिमांड अभी और अधिक बढ़ने की संभावना बनी हुई है। ऐसे में डेंगू के खौफ के चलते मरीजों से अंधाधुंध वसूली की जा रही है।

अब तक 13 की पुष्टि

मेरठ में अब तक स्वास्थ्य विभाग ने डेंगू के 13 मामलों की पुष्टि की है। हालांकि डेंगू से मरीज की मौत का अभी तक एक भी केस सामने नहीं आया है। इसके अलावा चिकनगुनिया के दो मरीजों की पुष्टि विभाग कर चुका है।

यहां कराएं जांच

डेंगू की जांच एलाइजा विधि द्वारा ही प्रमाणिक मानी जाती है। जो जिला अस्पताल और मेडिकल कॉलेज के माइक्रोबायोलॉजी विभाग में बिल्कुल मुफ्त की जाती है। डेंगू के लक्षण दिखाई देने पर मरीज बिनी की घबराहट के दोनों सरकारी लैब में आकर अपना इलाइजा टेस्ट करा सकता है।

डेंगू की लक्षण पाए जाने पर घबराएं नहीं। इसके लिए तुरंत मेडिकल या जिला अस्पताल में आकर निशुल्क जांच कराएं। सरकारी लैब में इलाइजा जांच के बाद ही डेंगू की पुष्टि होती है।

-डॉ। योगेश सारस्वत, जिला मलेरिया अधिकारी

Posted By: Inextlive