देश की सर्वोच्‍च अदालत ने वाहन निर्माता कंपनियों की मोहलत की अपील को खारिज करते हुए इस सप्‍ताह बुधवार को आदेश दे दिया कि अब देश में सिर्फ बीएस 4 वाहन ही बेचे जा सकेंगे। देखते ही देखते हड़कंप मच गया। गाड़ी खरीदने बेचने की धमाचौकड़ी के बीच लोगों के जहन में ये सवाल की उठा कि आखिर ये बीएस है क्‍या और बीएस 3 और बीएस 4 के बीच क्‍या अंतर है। ये किस चीज की पहचान है और मानक हैं तो आइए जानते हैं इससे जुड़ीं 10 प्रमुख बातें।

नंबर एक- बीएस यानि भारत स्टेट प्रदूषण मापक पैमाना है, जो कि सेंट्रल पाल्यूशन कंट्रोल बोर्ड तय करता है। ये वाहनों से उत्सर्जित होने वाले कार्बन का पर्यावरण और लोगों के स्वास्थ्य पर पड़ रहा असर जांचता है और उसके अनुसार वाहन के स्तर को र्निधारित करता है।
नंबर दो- BS वाहनों के इंजन का प्रदूषण नियंत्रण का स्तर बताता है। बीएस नियम इंजन से निकलने वाले हवा प्रदूषक तत्वों के हिसाब से तय होते हैं।
नंबर तीन- इसकी शुरुआत 2010 से की गई थी। जिसके तहत साल 2000 से पहले के वाहनों को बीएस-1, उसके बाद के वाहनों को बीएस-2 और 2010 के बाद के वाहनों को बीएस-3 की कैटगरी में रखा गया। अब इसमें फिर से बदलाव करते हुए सूप्रीम कोर्ट ने बीएस-4 मानक इंजन वाले वाहनों के रजिस्ट्रेश का आदेश दिया है।  
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नंबर चार- बीएस-3 को जानने के लिए समझें कि बीएस के साथ जो नंबर होता है वो बताता है कि इंजन कितना प्रदूषण फैलाता है। यानी बड़ा नंबर मतलब कम प्रदूषण। जाहिर है कि बीएस-3 में बीएस-4 से ज्यादा प्रदूषण फैलाने की क्षमता होगी।

नंबर पांच- बीएस-3 में बीएस-4 की तुलना में 80 प्रतिशत ज्यादा प्रदूषण होता है। बीएस-4 साल 2010 में दिल्ली,एनसीआर और कुछ बड़े शहरों में चार पहिया वाहनों के लिए लागू हुआ था। साथ ही कहा गया था कि 2020 से बीएस-6 लागू होगा और इससे 90 प्रतिशत कम प्रदूषण होगा।
नंबर छह- भारत में BS-V को स्विच कर के 2020 में सीधा BS-VI स्टैंडर्ड तय किए जायेंगे। ऑटो और तेल कंपनियों को इस बारे में अभी से तैयारी करने के लिए कह दिया गया है। इसके के लिए शोध भी शुरू हो चुके हैं। वाहन बनाने वाली कंपनियों को भी इसके अनुरूप इंजन बनाने के लिए कह दिया गया है और इस पर काम शुरू हो गया है। इसके लिए उनके पास भी 2020 तक का समय है। बीएस-6 लागू होने के बाद प्रदूषण को लेकर पेट्रोल और डीजल कारों के बीच ज्यादा अंतर नहीं रह जाएगा।
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नंबर सात- यूरोप में इस तरह के मानक को यूरो कहते हैं, वहीं अमेरिका में ये मानक टीयर 1, टीयर 2 के नाम से चलते हैं। वहां यूरो 6 पहले से ही जारी है। इसीलिए 2020 का लक्ष्य बीएस 6 रखा गया है ताकि भारत विकसित राष्ट्रों के स्तर पर आ सके।
नंबर आठ- नयी तकनीक में एमिशन स्टैंडर्ड के तहत ईंधन का वाष्पीकरण कम किया गया। जो प्रदूषण के स्तर को घटाने में मददगार होता है।

नंबर नौ- वाहन निर्माता कंपनियों ने BS-3 स्टॉक बेचने के लिए सुप्रीम कोर्ट से 6-8 महीने की मोहलत मांगी थी। जिसको खारिज कर कोर्ट ने नया आदेश पारित कर दिया और बीएस 3 गाड़ियों के रजिस्ट्रेशन पर रोक लगा दी।
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नंबर दस- कोर्ट ने कहा कि कंपनियों को पता था कि 1 अप्रैल 2017 से BS-4 गाडियां ही बेची जा सकेंगी, फिर भी उन्होंने स्टाक खत्म नहीं किया। कोर्ट के अनुसार लोगों के स्वास्थ्य के प्रति लापरवाही नहीं बरती जा सकती और BS-3 गाड़ियां स्वास्थ्य के लिए काफी हानिकारक हैं।

 

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Posted By: Molly Seth