श्रीदेवी की जिंदगी के वाकिये जो साबित करते हैं कि उनके जैसी न ही कोई थी , न ही कभी होगी
श्रीदेवी ने सिखाया फिल्मों से प्यार करना कहना गलत नहीं होगा कि उसने मुझे 'हिम्मतवाला' बनाया। वो ही मेरी 'आर्मी' थी जो मेरे हर दुख से लड़ कर मुझे खुशी से जीना सिखाती थी। उसने मुझे वो 'तोहफा' दिया जो आज मेरी ज़िंदगी बन गया है, हां,उसने ही मुझे फिल्मों से प्यार करना सिखाया। वो मेरा पहला प्यार थी, मेरी शक्ति थी और मेरी आत्मा का हिस्सा भी...आज वो देवी, देवत्व में विलीन हो गई। वो 'रूप की रानी थी', इस फ़िल्म जगत की 'मॉम' भी। यहां तक कि आज भी मेरी मां जब मुझे कहती है कि, 'चिंता मत करो, मैं हूं न तुम्हारे साथ' तो साथ मे मेरी माँ के वो भी मुझे दिखती थी।
श्रीदेवी फ़िल्म लम्हे के लिए इंग्लैंड में शूट कर रही थीं, और उनके पिता गुज़र गए। यश चोपड़ा साहब को ये दुख की खबर पहले मिली और उनकी आंखों में आंसू आ गए। उन्हें समझ में ही नहीं आया कि वो कैसे उनको ये खबर दें। उन्होंने श्रीदेवी को ये खबर दी और कहा कि उनके जाने के लिए उन्होंने प्रबंध कर दिया है। श्रीदेवी भारत आ गईं, 16 दिन बाद वो स्वतः ही वापस आ गईं। अपने पिता के सारे क्रियाकर्मों के बाद और उन्होंने एक बाकी बचा कॉमेडी सीन शूट किया जो रह गया था। यश चोपड़ा उनके साहस और काम के प्रति उनके रवैये के मुरीद हो गए।
ये तो हुई फिल्मों की बात, असल जिंदगी में भी श्रीदेवी बेहद भावुक थीं। सोशल वर्कर और एक्टिविस्ट हरीश अय्यर की ज़िंदगी मे श्रीदेवी की काफी बड़ी जगह थी। बचपन से डोमेस्टिक रेप की अग्नि में जल रहे हरीश जब सत्यमेव जयते के एक एपिसोड में आये तो उन्होंने श्रीदेवी को अपनी हिम्मत का स्रोत कहा और बताया कि कैसे सामने न होते हुए भी श्रीदेवी ने उन्हें फिल्मों के ज़रिए हरीश और उनके जैसे कई लोगों को हालातों से लड़ने की ताकत दी। आमिर खान के उनको ये बताते ही वो खुद सत्यमेव जयते के सेट पर आईं और हरीश की कहानी सुन कर रो पड़ीं पर हरीश कहते हैं कि वो दिन उनके जीवन का सबसे खास दिन था जब उन्होंने हरीश को गले लगाया था।
एक्टिंग भाव और भंगिमाओं का सम्मिश्रण है, ये बात श्रीदेवी बखूबी जानती थी। इसीलिए जिन जिन गीतों पे उन्होंने नृत्य किया वो भी अमर हो गए, चाहे वो चांदनी का 'मेरे हाथों में' हो, या फिर मिस्टर इंडिया का 'हवा हवाई' हो, या लम्हे का 'मोरनी', या चालबाज़ का 'न जाने कहां से आई है' या हिम्मतवाला का 'नैनों में सपना'जब ये गीत बजते हैं तो स्वतः ही श्रीदेवी का मुस्कुराता हुआ भाव भंगिमाओं से भरा हुआ चेहरा आंखों के सामने आ जाता है। भले ही किसी समय मे श्रीदेवी से सरोज खान जी का अलगाव रहा हो, पर सरोज खान ने हमेशा ये माना है इन और ऐसे ही कई गीतों में श्रीदेवी के अलावा वो किसी को सोच भी नहीं सकतीं। मनमुटाव अपनी जगह है श्रीदेवी जी ने भी सरोज जी को जो 'मास्टर जी' का दर्जा दिया वो कभी नहीं छोड़ा।