80 के दशक का अंत था मैं कुछ 7 साल का रहा हूंगा। इस बात का 'ख़ुदा गवाह' है कि तब जब भी टीचर से डांट पड़ती थी कभी पिता जी किसी बात पे डांट देते थे तो मैं भगवान के सामने नहीं जाता था। देवी के बारे में सोचता था प्राथर्ना करता था कि जैसे फिल्म 'चालबाज़' में वो सबको बचाने आई थी आये और मुझे भी बचा कर ले जाये।


श्रीदेवी ने सिखाया फिल्मों से प्यार करना कहना गलत नहीं होगा कि उसने मुझे 'हिम्मतवाला' बनाया। वो ही मेरी 'आर्मी' थी जो मेरे हर दुख से लड़ कर मुझे खुशी से जीना सिखाती थी। उसने मुझे वो 'तोहफा' दिया जो आज मेरी ज़िंदगी बन गया है, हां,उसने ही मुझे फिल्मों से प्यार करना सिखाया। वो मेरा पहला प्यार थी, मेरी शक्ति थी और मेरी आत्मा का हिस्सा भी...आज वो देवी, देवत्व में विलीन हो गई। वो 'रूप की रानी थी', इस फ़िल्म जगत की 'मॉम' भी। यहां तक कि आज भी मेरी मां जब मुझे कहती है कि, 'चिंता मत करो, मैं हूं न तुम्हारे साथ' तो साथ मे मेरी माँ के वो भी मुझे दिखती थी। पिता के गुजरने के बाद किया कॉमेडी शूट


श्रीदेवी फ़िल्म लम्हे के लिए इंग्लैंड में शूट कर रही थीं, और उनके पिता गुज़र गए। यश चोपड़ा साहब को ये दुख की खबर पहले मिली और उनकी आंखों में आंसू आ गए। उन्हें समझ में ही नहीं आया कि वो कैसे उनको ये खबर दें। उन्होंने श्रीदेवी को ये खबर दी और कहा कि उनके जाने के लिए उन्होंने प्रबंध कर दिया है। श्रीदेवी भारत आ गईं, 16 दिन बाद वो स्वतः ही वापस आ गईं। अपने पिता के सारे क्रियाकर्मों के बाद और उन्होंने एक बाकी बचा कॉमेडी सीन शूट किया जो रह गया था। यश चोपड़ा उनके साहस और काम के प्रति उनके रवैये के मुरीद हो गए। चार्ली चैपलिन का किरदार ऐसे निभायाचार्ली चैपलिन बनना हर किसी के बस की बात नहीं है, कितनो ने कोशिश की और नहीं कर पाए। ऐसे में एक बार शेखर कपूर ने फ़िल्म मिस्टर इंडिया में श्रीदेवी को चार्ली चैपलिन का एक माइम करने को दिया। श्रीदेवी काफी नर्वस थीं, दिनों तक वो चार्ली चैपलिन की फिल्मों को देखती रहीं, जब वो शूट करने आईं तो शेखर कपूर भी काफी नर्वस थे, बात आखिर चैपलिन की थी। श्रीदेवी से पहले ये काम केवल शोमैन राज कपूर ने किया था पर जब श्रीदेवी ने सीन शूट करना शुरू किया तो शेखर कपूर भी दंग रह गए। फैन्स के लिए बनीं हिम्मत का स्रोत

ये तो हुई फिल्मों की बात, असल जिंदगी में भी श्रीदेवी बेहद भावुक थीं। सोशल वर्कर और एक्टिविस्ट हरीश अय्यर की ज़िंदगी मे श्रीदेवी की काफी बड़ी जगह थी। बचपन से डोमेस्टिक रेप की अग्नि में जल रहे हरीश जब सत्यमेव जयते के एक एपिसोड में आये तो उन्होंने श्रीदेवी को अपनी हिम्मत का स्रोत कहा और बताया कि कैसे सामने न होते हुए भी श्रीदेवी ने उन्हें फिल्मों के ज़रिए हरीश और उनके जैसे कई लोगों को हालातों से लड़ने की ताकत दी। आमिर खान के उनको ये बताते ही वो खुद सत्यमेव जयते के सेट पर आईं और हरीश की कहानी सुन कर रो पड़ीं पर हरीश कहते हैं कि वो दिन उनके जीवन का सबसे खास दिन था जब उन्होंने हरीश को गले लगाया था। मनमुटाव के बाद भी दिया 'मास्टर जी' का दर्जा

एक्टिंग भाव और भंगिमाओं का सम्मिश्रण है, ये बात श्रीदेवी बखूबी जानती थी। इसीलिए जिन जिन गीतों पे उन्होंने नृत्य किया वो भी अमर हो गए, चाहे वो चांदनी का 'मेरे हाथों में' हो, या फिर मिस्टर इंडिया का 'हवा हवाई' हो, या लम्हे का 'मोरनी', या चालबाज़ का 'न जाने कहां से आई है' या हिम्मतवाला का 'नैनों में सपना'जब ये गीत बजते हैं तो स्वतः ही श्रीदेवी का मुस्कुराता हुआ भाव भंगिमाओं से भरा हुआ चेहरा आंखों के सामने आ जाता है। भले ही किसी समय मे श्रीदेवी से सरोज खान जी का अलगाव रहा हो, पर सरोज खान ने हमेशा ये माना है इन और ऐसे ही कई गीतों में श्रीदेवी के अलावा वो किसी को सोच भी नहीं सकतीं। मनमुटाव अपनी जगह है श्रीदेवी जी ने भी सरोज जी को जो 'मास्टर जी' का दर्जा दिया वो कभी नहीं छोड़ा। अपनी मदद करने वालों को बिठाती थीं पलकों पर श्रीदेवी की एक और खास बात थी। अगर उनके लिए किसी ने कुछ भी किया होता था, तो वो उसको अपने सर आंखों पे बिठा के रखती थी। जैसा कि हम सब जानते हैं की श्रीदेवी दक्षिण से थीं इसलिए उन्हें हिंदी बोलने में खासी दिक्कत आती थी। ऐसे में उनकी रिकॉर्डिंग मशहूर बाल कलाकार बेबी नाज़ करती थीं। जब बेबी नाज़ गुज़र गईं तो श्रीदेवी ने बेहद दुख से कहा, 'आज का दिन मेरे जीवन के सबसे दुखद दिनों में से है, आज मेरी आवाज चली गई'। बेबी नाज़ के निधन के बाद काफी समय तक श्रीदेवी ने कोई फ़िल्म नहीं की, ऐसा था उनका लगाव।योहान भार्गव

Posted By: Vandana Sharma