बांग्ला और हिंदी फ़िल्मों की जानी मानी अभिनेत्री सुचित्रा सेन अब हमारे बीच नहीं रहीं.


लेकिन उनके चाहने वालों की निगाहें आज दिलालपुर स्थित एक मंजिला इमारत पर जाकर थम गई हैं.बांग्लादेश के पबना स्थित इस एक मंजिला इमारत के बाहर बोर्ड लगा हुआ है, उस पर 'ईमाम गज़ाली इस्लामी किंडरगार्टन' लिखा है.उदासी और अंधेरे में डूबी हुई यह इमारत सुचित्रा का पुश्तैनी आवास है.बचपन की किलकारियां'ईमाम गज़ाली ट्रस्ट' के सचिव आबिद हसन स्कूल में बदल चुकी इस इमारत की देखभाल करते हैं.आबिद हसन बताते हैं, "हमने जब स्कूल चलाने के लिए इस इमारत को किराए पर लिया तब हमें मालूम नहीं था कि यह सुचित्रा सेन का पुश्तैनी मकान है. हमने इसे साल 1983 में सरकार से लिया था. जब संस्कृति मंत्रालय इस जगह का दौरा करने आया तो हमारे रख-रखाव से उन्हें काफी तसल्ली हुई थी."


बचपन में इसी घर में कभी सुचित्रा सेन की किलकारियां गूंजती थीं. सुचित्रा सेन शादी करने के बाद 1947 में यह जगह छोड़कर कोलकाता चली गई.कानूनी लड़ाई"हमने जब स्कूल चलाने के लिए इस इमारत को किराए पर लिया तब हमें मालूम नहीं था कि यह सुचित्रा सेन का पुश्तैनी मकान है."-आबिद हसनआस-पास के लोग बताते हैं कि साठ के दशक में उनके परिवार ने इस घर को प्रशासन को सौंप दिया.

बांग्लादेश जब आज़ाद हुआ तब सरकार ने इस मकान के देख रेख का ज़िम्मा अपने हाथों में ले लिया. बाद में इसे किराए पर दिया गया.अब इस घर को खाली करने के लिए प्रशासन और पट्टेदारों के बीच क़ानूनी लड़ाई चल रही है.सरकारी अधिकारियों का यहां आना सबको रास नहीं आया. सुचित्रा सेन के इस पुश्तैनी आवास को खाली करवाने के लिए बांग्लादेश के उच्च न्यायालय में मुक़दमा दायर किया गया.संग्रहालयसाल 2009 में उच्च न्यायालय ने ट्रस्ट को आदेश दिया कि वह इस इमारत को खाली करे. मगर जवाब ने ट्रस्ट ने एक याचिका दाखिल करते हुए स्थगन आदेश हासिल कर लिया. ऐसे में यह घर अनिश्चितता के भंवर में डोल हो रहा है.इस घर को 'सुचित्रा सेन संग्रहालय' बनाने की मांग करते हुए स्थानीय लोगों ने एक आंदोलन भी चला रखा है.पबना में सुचित्रा सेन परिषद के राम दुलाल भौमिक कहते हैं, "उन लोगों ने कोर्ट की मदद ली है. हर छह महीने पर एक स्थगन आदेश लाया जाता है. हमें लगता है कि सरकारी वकील मदद नहीं करना चाहते. पहले भी उनका रवैया उदासीन रहा है."विवादों का सायासुचित्रा सेन की मौत के बाद उनका पुश्तैनी मकान फिर विवादों में है.

सार्वजनिक मुक़दमा दायर करने वाला ट्रस्ट उच्च न्यायालय के पुनर्विचार विभाग में मुक़दमे की सुनवाई का इंतजार कर रहा है.अटॉर्नी जनरल महबूबी आलम का कहना है, "हमने पिछले साल इस मसले को सुलझाने की कोशिश की थी मगर समस्या ये है कि कोर्ट में पहले से ही अनगिनत मामले लंबित पड़े हैं. देश भर में लगातार हड़तालों का सिलसिला चल रहा है. हालांकि पिछले तीन महीनों में न्याय की गति में तेज़ी आई है."सुचित्रा की मौत के बाद उनका पुश्तैनी मकान बांग्लादेश में एक बार फिर विवादों के घेरे में आ गया है.हालांकि ईमाम गज़ाली ट्रस्ट का ताज़ा बयान आया है कि अगर सरकार का आदेश आता है तो वे इसका पालन करेंगे.

Posted By: Subhesh Sharma