-कुड़ुख सोसाइटी के दशक समारोह का समापन

रांची : कुड़ुख लिट्रररी सोसाइटी ऑफ इंडिया के दो दिवसीय दशक समारोह का समापन रविवार को मोरहाबादी स्थित आर्यभट्ट सभागार में हुआ। अंतिम दिन सोसाइटी की कार्यकारिणी समिति की समीक्षा बैठक हुई। इसमें विभिन्न चैप्टर के प्रतिनिधियों ने अपने-अपने क्षेत्र के कुड़ुख भाषा विकास संबंधी मुद्दों पर विचार रखे।

अक्टूबर में सम्मेलन

निर्णय लिया गया कि इस वर्ष 21 से 23 अक्टूबर तक अलीपुरद्वार में सोसाइटी का राष्ट्रीय सम्मेलन होगा। इसके अलावा सहमति बनी कि कुड़ुख शोध पत्रिका को मासिक किया जाएगा। इसके अलावा कुड़ुख भाषा पर अधिक से अधिक साहित्य का निर्माण किया जाएगा। जनजातीय शोध संस्थान की तर्ज पर कुड़ुख भाषा, साहित्य और परंपरा पर निबंध तैयार किया जाएगा। यह कार्य वर्तमान में 50 फीसद पूरा हो गया है, जिसका अक्टूबर में होनेवाले राष्ट्रीय सम्मेलन में लोकार्पण किया जाएगा।

रंगारंग कार्यक्रम

समारोह के अंतिम दिन रंगारंग कार्यक्रम हुए, जिसमें विभिन्न चैप्टर के सदस्यों द्वारा एकल गीत और नृत्य प्रस्तुत किए गए। मौके पर डॉ। करमा उरांव, डॉ। हरि उरांव, महेश भगत, डॉ। उषा रानी मिंज, नाबोर एक्का, अशोक बाखला, प्रोफेसर महामणी कुमारी, सोमनाथ भगत, डॉ। सबीता उरांव, चौठी उरांव सहित कई उपस्थित थे।

इन राज्यों से हुए शामिल प्रतिनिधि

दिल्ली से सिलास कुजूर, अंडमान से फदियानुस मिंज, महाराष्ट्र से सुशील कुजूर, ओडि़सा से पुष्पा केरकेट्टा, बंगला देश से बंधन उरांव, नेपाल से बेचन उरांव, कोलकाता से सुशील लकड़ा, तमिलनाडू से प्रमोद भगत, बिहार से गोरख नाथ उरांव, मध्यप्रदेश से निकोलस टोप्पो, छत्तीसगढ़ से मरकूस बेक व झारखंड से शशि विनय भगत शामिल हुए।

निकाली गई प्रभात फेरी

जिला स्कूल से आर्यभट्ट सभागार तक पारंपरिक वेशभूषा में प्रभात फेरी निकाली गई। इसके माध्यम से कुड़ुख को आठवीं अनुसूची में शामिल करने, भाषा की पढ़ाई प्राथमिक स्तर से चालू कराने और शिक्षकों की बहाली की मांग की गई। वक्ताओं ने कहा कि पूरे देश में कुड़ुख बोलनेवालों की संख्या 50 लाख है और झारखंड इसका सेंटर है। इसलिए राज्य सरकार केंद्र सरकार से अपील करे कि कुड़ुख को आठवीं अनुसूची में शामिल किया जाए।

Posted By: Inextlive