भाद्रपद मास के कृष्ण पक्ष की अष्टमी को भादो अमावस्या के नाम से जाना जाता है। इस बार यह शुक्रवार को पड़ रही है। इस बार सूर्य चंद्रमा बुध शुक्र और मंगल एक साथ 67 वर्षों बाद विशेष योग का निर्माण कर रहे हैं...


सूर्य, चंद्रमा, शुक्र, मंगल और बुध पंचग्रही योग का निर्माण कर रहे हैं। इसलिए इस दिन गंगा स्नान व दान पुण्य का महत्व अधिक होता है। भादो अमावस्या को गंगा स्नान व दान पुण्य करने से सुख-समृद्धि प्राप्त होती है। इस दिन कुश की पूजा करने का महत्व है। घर में लाई गई कुश की पूजा करके इसे वर्ष भर रख जाता है। इसका प्रयोग धार्मिक अनुष्ठानों में अधिक किया जाता है। शास्त्रों के अनुसार ऐसी मान्यता है कि इस दिन कुश से बना यगोपवित कवच का काम करता है। पवनपुत्र हनुमान और दानवीर कर्ण भी इसी कवच को धारण करते थे। वह खुश भादो मास की अमावस्या को ही निकाली जाती है।गंगा स्नान कर पित्रों का तर्पण करें


अमावस्या को पित्रों के लिए दान-पुण्य भी करना चाहिए। गंगा स्नान के बाद उत्तर पित्रों का तर्पण करें। वैसे तो प्रत्येक अमावस्या पर पित्रों का तर्पण करने का विधान है लेकिन भाद्रपद मास की अमावस्या को पितरों का पूजन एवं तर्पण विशेष महत्व रखता है। गंगा स्नान करने के बाद श्रद्धालुओं को 'ऊं हूं फट' के मंत्र जाप के साथ कुशा ग्रहण करनी चाहिए।कुश 10 प्रकार के होते हैं

शास्त्रों में 10 प्रकार का कुश बताया गया है। इसमें जो भी मिल जाए उसी को ग्रहण कर लेना चाहिए। इस भादो की अमावस्या में छुटपुट बारिश के आसार नजर आ रहे हैं। भादो की अमावस्या को लाई गई कुश 12 वर्षों पर शुभ रहती है और पूजा पाठ के लिए प्रयोग की जाती है।-पंडित दीपक पांडेय

Posted By: Vandana Sharma