RANCHI : जिन अफसरों के जिम्मे झारखंड में बाल श्रम को खत्म करना है, वे ही अपने घरों में बच्चों को कैद कर न सिर्फ काम करा रहे हैं, बल्कि मारपीट व प्रताडि़त करने से भी बाज नहीं नहीं आते हैं। मंगलवार को झारखंड प्रशासनिक सेवा के अधिकारी रजनीश कुमार सिंह के घर से एक नाबालिग बच्ची को मुक्त कराया गया। श्रम विभाग की असिस्टेंट कमिश्नर लक्ष्मी कुमारी और श्रम पदाधिकारी दिनेश भगत ने बीआईटी ओपी पुलिस व बाल अधिकार कार्यकर्ता वैद्यनाथ कुमार के सहयोग से छापेमारी कर बच्ची को बरामद किया। फिलहाल बच्ची को सीडब्ल्यूसी के हवाले कर दिया गया है।

नौ महीने से दी जा रही थी प्रताड़ना

नाबालिग बच्ची अनगड़ा थाना एरिया की रहने वाली है। उसने सीडब्ल्यूसी को बताया कि उसके माता-पिता ने उसे बीडीओ रजनीश कुमार सिंह को यह कहकर सौंपा था कि वह पढ़ाएंगे। लेकिन, जब से उनके घर में आई, सिर्फ घरेलू काम कराया जा रहा था। बात-बात में मालकिन पिटाई कर देती थी। दिनभर काम करने के लिए मजबूर किया जाता था। खाने-पीने का भी कोई ठिकाना नहीं था। कभी खाने को मिलता था और कभी भूखे रहना पड़ता था। रात में फर्श पर सोना पड़ता था। इतना ही नहीं, उसके पिता को बीडीओ की ओर से नौ महीने में मात्र पांच सौ ही रूपए दिए गए।

दर्ज होगी एफआईआर

बीआईटी ओपी इंचार्ज पप्पु कुमार ने कहा कि नाबालिग बच्ची से घरेलू काम, मारपीट और प्रताडि़त करने के मामले में बीडीओ रजनीश कुमार सिंह व अन्य आरोपियों के खिलाफ एफआईआर दर्ज की जाएगी। बच्ची अभी सीडब्ल्यूसी के संरक्षण में है। उसके बयान पर ही केस दर्ज कर आगे की कार्रवाई की जाएगी।

ग्रीन सिटी के फ्लैट में रहते हैं बीडीओ

रजनीश कुमार सिंह जब ओरमांझी में बीडीओ थे, तभी उन्होंने नाबालिग बच्ची को ग्रीन सिटी स्थित अपने फ्लैट में लाया था। यहां शुरू से ही उसे शारीरिक व मानसिक तौर पर प्रताडि़त किया जाता था। फिलहाल वे लोहरदगा जिले के कुडू में बीडीओ के रूप में कार्यरत हैं।

Posted By: Inextlive