जाए तो जाएं कहां?

- आई नेक्स्ट कैंपेन 'जाए तो जाएं कहां' के रिपोर्टर और कैमरा पर्सन गुरुवार को पहुंचे उर्दू बाजार के मार्केट में

- मार्केट पहुंचते ही आईनेक्स्ट कैंपेन 'जाए तो जाएं कहां' की जमकर सराहना करते हुए खुद की समस्या के कराया रिपोर्टर को अवगत

GORAKHPUR: जब भी खरीदारी की बात होती है तो सबसे पहले गोरखपुराइट्स की जुबान पर उर्दू बाजार या हिंदी बाजार का नाम आता है। सबसे पुराना मार्केट होने के नाते न सिर्फ शहरवासी इस मार्केट को प्रीफर करते हैं, बल्कि गोरखपुर मंडल समेत बिहार और नेपाल तक के लोग खरीदारी के लिए आते हैं। लेकिन दुर्भाग्य है कि यहां आने वाले हजारों-लाखों उपभोक्ताओं को जब यूरिनेट की शंका होती है तो वे इधर उधर जगह तलाशने लगते हैं। पुरुष खरीदार को तो कोना-कोनी मिल जाती है, लेकिन सबसे ज्यादा प्राब्लम महिला उपभोक्ताओं को होती है। फिर भी शहर के जिम्मेदार इन गंभीर समस्याओं का समाधान करने के बजाय इसे नजर अंदाज करते हैं। यूरिनेट की समस्या को लेकर जब आई नेक्स्ट रिपोर्टर उर्दू बाजार पहुंचा तो कई चौंकाने वाले तथ्य सामने आए।

सीन - घंटा घर

टाइम - 12.30 बजे

रिपोर्टर जब अपने कैमरा पर्सन के साथ रेती चौक होते हुए घंटाघर पहुंचा तो कहीं भी यूरिनल नहीं दिखा। कई जगह तो पुरुष उपभोक्ता पंजाब नेशनल बैंक के पास वाली गली में यूरिनेट करते नजर आए। जब उनसे यूरिनल के बारे में पूछा गया तो उनका एक ही जवाब था जब यूनिरल होगा तब न वह जाएंगे। फिर रिपोर्टर आगे की ओर बढ़ा कमोबेश वहां भी एक बुजुर्ग यूरिनेट के लिए बैठ थे। पहले तो वह कैमरा पर्सन को देखकर भागने लगे। लेकिन फिर हिम्मत जुटाते हुए उन्होंने अपनी भड़ास निकाली और कहा कि इस मार्केट में कहीं ढंग का यूरिनल नहीं है।

सीन - हिंदी मार्केट

टाइम -12:50 बजे

जब रिपोर्टर ने हिंदी मार्केट का भ्रमण किया तो वहां भी कमोबेश यही स्थिति देखने को मिली। इसी बीच एक महिला ने अपने छोटे बच्चे को यूरिनेट के लिए सड़क के किनारे ही बैठा दिया। महिला से पूछे जाने पर कहा कि जब यूरिनल की व्यवस्था ही नहीं है तो फिर कहां कराएंगे। बच्चा तो समझिए सड़क किनारे कर भी ले रहा है। हम महिलाएं आखिरकार कहां जाएं। इसका जवाब कौन देगा? रिपोर्टर ने किसी तरह से महिला को भरोसा दिया कि उनकी इस समस्या को जिम्मेदारों तक जरूर पहुंचाएंगे।

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उपभोक्ता कोट्स

घर ही यूरिनल का कर लेते हैं इस्तेमाल

आई नेक्स्ट मेरा फेवेरट न्यूज पेपर है। आई नेक्स्ट का यह कैंपेन सराहनीय है। मुझे अच्छा लगा कि आप आज हिंदी बाजार आए हैं। चूंकि मेरा घर इस मार्केट से पास में हैं इसलिए मैं अक्सर यहां मार्केट करने आती हूं, लेकिन इस मार्केट में आने से पहले मैं घर से ही यूरिनल का इस्तेमाल करके ही आती हूं, क्योंकि इतने बड़े मार्केट में लेडीज यूरिनल की व्यवस्था तक नहीं है। जबकि जिम्मेदारों को यह सोचना चाहिए कि लेडीज और जेंस यूरिनल की व्यवस्था कराए।

राजकुमारी वर्मा

कुछ तो शर्म करो

आज की बहुत बड़ी समस्या है। इस समस्या को आज तक किसी ने भी उठाया है। गोरखपुर का सबसे पुराना मार्केट है हिंदी बाजार, लेकिन यहां पर आने वाले उपभोक्ताओं के लिए यूरिनल तक की व्यवस्था तक नहीं है। न तो पुरुष के लिए और न ही महिलाओं के लिए। कई बार तो देखा जाता है पुरुष कहीं भी हल्के हो लेते हैं, लेकिन महिलाओं के लिए बहुत दिक्कत होती है। एक बार तो मैं भी इस समस्या से जूझ चुकी हूं। इसका समाधान होना चाहिए। कम से कम कुंभकरण की नींद सो रहे जिम्मेदारों को इस ओर भी ध्यान देना चाहिए।

साधना

अपने फैमिली के साथ मार्केट आई हूं, इस समस्या से अभी हम जूझ ही रहे थे कि आपने इस विषय पर सवाल कर लिया। मार्केट में कई जगहों पर यूरिनल हम लोगों ने सर्च किया, लेकिन नहीं मिला। जबकि, इतने बड़े मॉर्केट में यूरिनल की व्यवस्था होनी चाहिए। कई दुकानदारों से भी पूछा वे जवाब देने में असमर्थ दिखे। न तो जेंस के लिए कोई व्यवस्था है और न ही लेडीज के लिए। केवल नाम के लिए है हिंदी बाजार। मिलने को तो सारे आईट्म्स यहां मिल जाते हैं, लेकिन सबसे बड़ी समस्या है यूरिनेट की। जिसके लिए मैं खुद ही काफी देर से सर्च कर रही हूं।

शर्मिला

देखिए मुझे इस विषय पर चर्चा करने में तनिक भी झिझक नहीं है। कब तक कोई शर्म करें। कम से कम जिम्मेदारों को तो इस बात का ध्यान रखना चाहिए। क्या उनके घर की महिला या पुरुष बाजार करने नहीं आते हैं। क्या उन्हें यूरिनेट की जरूरत महसूस नहीं होती होगी। मैं पिछले आधे घंटे से खुद यूरिनल ढूढ़ रही हूं, लेकिन कहीं नहीं मिला। अभी तक पूरी खरीदारी भी नहीं कर पाई हूं, ऐसे में मैं और ज्यादा इस बाजार में नहीं रूक पाउंगी। लेकिन इतना जरूर कहना चाहूंगी आपके अखबार के माध्यम से कहना चाहूंगी कि जिम्मेदारों की नींद खुलवाएं और इतने बड़े मॉर्केट में कम से यूनिरल की व्यवस्था कराएं।

अंकिता सिंह

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दुकानदार कोट्स

भईया देखिए, हिंदी बाजार बहुत बड़ा मार्केट है। कोई ऐसा दिन न हो कि महिला या पुरुष उपभोक्ता यूरिनल के बारे में न पूछते हो। हम दुकानदार ही इस समस्या से जूझ रहे हैं तो उपभोक्ताओं का क्या बताए कि वह कहां जाए? पुरुष उपभोक्ता होता है तो उसे आगे मोड़ पर जाने को बोल भी दिया जाता है, लेकिन महिला उपभोक्ता के लिए कौन सी जगह बताई जाए। कुछ भी इस मार्केट में यूरिनल की व्यवस्था तो होनी ही चाहिए।

सैयद फैसल हुसैन

कुर्ती और लैगिंग की दुकान है। अक्सर टीनेजर्स हमारे दुकान पर आते हैं। कई बार वे सवाल करते हैं। भईया इधर यूरिनल है, तो हमारा भी जवाब यही होता है कि इधर कहीं भी यूरिनल नहीं है। यह कोई एक दिन का मसला नहीं होता है, हर दिन इस सवाल से जूझना पड़ता है। हम लोग दुकानदार हैं, हमें भी इसकी जरूरत महसूस होती है तो आगे मंडी की तरफ चले जाते हैं। लेकिन वहां भी सब्जी मंडी

संदीप कुमार

फैक्ट्स फीगर

- लगभग 35-40 हजार उपभोक्ता डेली मार्केट करने आते हैं

- सोना-चांदी से लगाए, फुटकर व थोक सामान का होता है कारोबार

- घरेलू सामान से लगाए, दुल्हा-दूल्हन के साज-सज्जा के सामान

- कास्मेटिक आईट्म्स से लगाए बेड शीट और किचन आईट्म्स की होती है खरीदारी

- 5 करोड़ से ऊपर का है कारोबार

- 3700 से ऊपर है थोक कारोबारियों की दुकानें

- 2200 से ऊपर हैं फुटकर कारोबारियों की दुकानें

- 250 से ऊपर हैं सोने-चांदी की दुकानें

यहां करते हैं यूरिनल का इस्तेमाल

- मार्केट में आने वाले पुरुष उपभोक्ता शाहमारूफ मार्केट के पीछे यूरिनेट का इस्तेमाल करते हैं।

- घंटा घर से छोटेकाजीपुर जाने वाली सड़क की नाली को बना दिया यूरिनल।

- रेती से गीता प्रेस रोड पर जाने के लिए कहीं भी नहीं है यूरिनल

Posted By: Inextlive