वाराणसी बनारस या काशी आप चाहे इसे जिसे नाम से पुकारें पर इसकी ऐतिहासिक और प्राचीन धरोहरें लाखों करोंड़ो लोगों के दिलों में ऐसी जगह बना लेंती हैं कि कोई भी उन्‍हें बिसरा नहीं सकता। भगवान शिव की प्रिय काशी हमेशा से रही है और हमेशा रहेगी। इसी विश्‍वास के साथ आई नेक्‍स्‍ट वाराण्‍ासी काशी की कुछ खास और कम चर्चित धरोहरों के सफर पर आपको लेकर चल रहा है। 'बना रहे बनारस' की इस श्रंखला में सबसे पहले हम आपको लेकर चल रहे हैं 'लाल खां का रौजा'। जो सुना रहा है 'काशी के एक वीर योद्धा की कहानी'।

काशी नरेश ने बनवाया 'लाल खां का रौजा'
वाराणसी के राजघाट क्षेत्र में गंगा के तट पर मौजूद लाल खां का रौजा (मकबरा) खुद में बनारस का इतिहास समेटे हुए है। इसका निर्माण सन 1773 में हुआ था। विशालकाय कैम्पस में खूबसूरत मकबरे में वीर योद्धा लाल खां की मजार है। इसी मकबरे की भीतर ही उनके परिवार के सदस्यों की मजार भी मौजूद हैं। लाल खां तत्कालीन काशी नरेश के सेनापति थे। अपनी वीरता से उन्होंने काशी के विस्तार और विकास में बड़ा योगदान दिया। जीवन के अंतिम दिनों में काशी नरेश ने उनसे कुछ मांगने के लिए कहा तो उन्होंने कहा कि कुछ ऐसा इंतजाम करें कि मृत्यु के बाद भी वो महल की चौखट के दीदार कर सकें। काशी नरेश ने उनकी इच्छा का सम्मान करते हुए लाल खां की मृत्यु के बाद राजघाट में उन्हें दफन कराया। यहां उनका भव्य मकबरा बनवाया। वीडियो में देखिए इस भव्य मकबरे का पूरा इतिहास।

 

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इनके नाम पर है काशी का मोहल्ला 'चौहट्टा लाल खां'
लाल खां और इनके मकबरे की शोहरत के चलते बनारस के इस पुराने मोहल्ले को नाम मिला है 'चौहट्टा लाल खां'। करीब पांच किलोमीटर इलाके में बसा ये मोहल्ला लाल खां के अलावा आजकल के एक सेलेब्रिटी के कारण भी चर्चा में रहा है। इसी मोहल्ले में फिल्म एक्टर आमिर खान का ननिहाल है। यहीं उनकी मां ने अपना बचपन बिताया था। आमिर खान ने एक इंटरव्यू के दौरान बताया कि वो अपनी नानी का पुराना घर और उसकी जमीन खरीदकर अपनी मां को गिफ्ट करना चाहते हैं। इस वीडियो में देखिए कि अपने 'चौहट्टा लाल खां' इलाके में अपने ननिहाल को लेकर क्या कह रहे है आमिर खान।

 

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Posted By: Inextlive