बिहारः लालू का हर मतदाता कैमरे में
साथ ही, यह भी दिलचस्प है कि फिलहाल लालू का लोक सभा क्षेत्र उसी निर्वाचन आयोग द्वारा दिए जाने वाले एक पुरस्कार के कारण चर्चा में है जिसके साथ उनकी पार्टी की सरकार की अक्सर ठन जाया करती थी.मामला कुछ यूं है कि छपरा लोक सभा क्षेत्र बिहार के सारण ज़िले के अंतर्गत आता है. इस ज़िले के सभी मतदाताओं की तस्वीरें मतदाता सूची में शामिल कर ली गई हैं और भारत निर्वाचन आयोग इस उपलब्धि को हासिल करने के लिए यहां के वर्तमान ज़िलाधिकारी को पुरस्कृत करेगा.सारण ज़िले ने यह उपलब्धि भारतीय प्रशासनिक सेवा के 48 वर्षीय युवा अधिकारी कुंदन कुमार के नेतृत्व में पांच महीने से भी कम समय में हासिल की है.
राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी शनिवार शाम को कुंदन कुमार सहित तीन अधिकारियों को इस उपलब्धि के लिए सम्मानित करेंगे. राष्ट्रीय मतदाता दिवस के अवसर पर नई दिल्ली स्थित विज्ञान भवन में यह कार्यक्रम आयोजित होगा.दैनिक निगरानी
बेस्ट इलेक्टोरल प्रैक्टिसेस अवार्ड ग्रहण के लिए दिल्ली जाने के क्रम में पटना में कुंदन कुमार ने बीबीसी को बताया कि तय समय-सीमा में इस उपलब्धि को हासिल करना बड़ी चुनौती थी. बकौल कुंदन कुमार चुनौती की सबसे बड़ी वजह यह थी कि सारण बिहार का ऐसा ज़िला था जहां सबसे ज़्यादा संख्या में मतदाताओं की फोटोग्राफी नहीं कराई गई थी.
लोगों तक इस तरीके से पहुंचने का एक फायदा यह भी हुआ कि पिछले पांच महीने के दौरान बड़ी संख्या में नए मतदाताओं का पंजीकरण भी ज़िले में हुआ.लक्ष्य हासिल करने के लिए कुंदन कुमार ने कुछ अनूठे प्रयोग भी किए. 2014 में पहली बार मतदान करने का अधिकार हासिल करने वाल युवाओं को पहचान पत्र बनाने के लिए प्रेरित करने के लिए कॉलेज स्तर पर युवाओं को ‘कैंपस एंबेसेडर’ बनाना शामिल है.बेहतर लैंगिक अनुपात"तय समय-सीमा में इस उपलब्धि को हासिल करना बड़ी चुनौती थी. इसकी सबसे बड़ी वजह यह थी कि सारण बिहार का ऐसा ज़िला था जहां सबसे ज्यादा संख्या में मतदाताओं की फ़ोटोग्राफी नहीं कराई गई थी."-कुंदन कुमार, ज़िलाधिकारी सारण, बिहारइस पहल का असर सिर्फ यह नहीं हुआ है कि आज सारण ज़िले के सभी मतदाताओं की फोटोग्राफी हो गई है बल्कि इसके चलते ज़िले में मतदाताओं का लिंगानुपात भी पहले से बेहतर हुआ है.पहले 1000 पुरुष मतदाताओं पर जहां सिर्फ 823 महिला मतदाता ही थीं, वहीं अब महिला मतदाताओं की संख्या प्रति एक हज़ार पुरुष पर बढ़कर 860 हो गई है.
साथ ही ज़िले में निर्वाचक आबादी प्रतिशत यानी ईपी रेशियो में भी सुधार हुआ है. पहले जहां ज़िले का ईपी रेशियो 58 था वहीं अब यह बढ़कर 60 हो गया है. इस उपलब्धि का मतलब यह है कि अब ज़िले की साठ प्रतिशत आबादी अपना जनप्रतिनिधि चुनने के लिए वोट डाल सकती है.हालांकि ज़िले के एक लाख से अधिक मतदाताओं को अभी भी फोटोयुक्त मतदाता पहचान पत्र जारी कराना बाकी है. कुदंन कुमार के अनुसार अगले महीने 15 फरवरी तक इस लक्ष्य को भी हासिल कर लिया जाएगा.कुंदन कुमार के लिए यह पुरस्कार इस मायने में भी खास है कि वे खुद भी बिहार के बेतिया के हैं. साथ ही यह सम्मान पाने वाले सूबे के पहले अधिकारी भी हैं.