- शहर के राजेंद्र नगर एरिया के नाले की 2ाोजबीन के दौरान सामने आया मामला

- राजेंद्र नगर में 1951 से लेकर 1972 के बीच 42 एकड़ जमीन अचानक हो गई गायब

- आरटीआई के दौरान हुआ बड़ा 2ाुलासा, आ2िार राजेंद्र नगर की जमीन पर किसने किया अवैध क4जा

PATNA: पिछले साल जिस तरह से राजेंद्र नगर जलजमाव की 5ोंट चढ़ा था, वैसी स्थिति इस बार न हो इसको लेकर निगम से लेकर तमाम सोशल ए1िटविस्ट अपनी-अपनी ओर से लगातार प्रयास में जुट गए हैं। इसी दौरान राजेंद्र नगर को लेकर एक बड़ा 2ाुलासा सामने आया है। मामला राजेंद्र नगर की जमीन को लेकर है। आरटीआई ए1िटविस्ट की टीम ने इसका 2ाुलासा किया तो पता चला कि जिस राजेंद्र नगर को बसाने के लिए 240 एकड़ जमीन दि2ाया गया था। वो अचानक से 198 एकड़ हो गया और बाकी का 42 एकड़ कहां गायब हो गया कुछ पता नहीं चला। हाल यह हो गया है कि जिस राजेंद्र नगर को बचाने के लिए उसके ड्रेनेज और सीवरेज की तलाश की जा रही है। वो पूरा का पूरा सिस्टम ही जमीन से गायब हो गया है। आरटीआई ए1िटविस्ट योगेश कुमार की मानें, 1951 के आसपास राजेंद्र नगर को लेकर पटना इंप्रूवमेंट ट्रस्ट की ओर से जो सीवरेज और ड्रेनेज का 2ांका 2ाींचा गया था। उसमें 240 एकड़ की जमीन को दि2ाया गया था। लेकिन 1972 के आसपास जब लोगों को बसाया गया तो 198 एकड़ के आसपास आ गया। रेस्ट 42 एकड़ की जमीन का आज तक पता नहीं चल पाया है।

सीवरेज और ड्रेनेज की जमीन की ही हो गई चोरी

1951 में पटना इंप्रूवमेंट ट्रस्ट की ओर से जमीन का न1शा बनाया गया था। इसमें सीवेरज और ड्रेनेज सिस्टम को दि2ाया गया था, लेकिन जब 1972 के आसपास जब पटना रिजनल डेवलपमेंट अथॉरिटी बना और लोगों के बीच प्लॉटिंग की गई तो उस समय 198 एकड़ ही जमीन का हवाला दिया गया था। उसमें लि2ा हुआ था कि नए राजेंद्र नगर के पास 198 एकड़ ही जमीन है। जिसमें उसकी प्लॉटिंग की गई है।

लाइफ लाइन बना राजेन्द्र नगर

रिटायर्ड इंजीनियर राजीव प्रसाद ने बताया कि 1972 से लेकर 2015 तक यह एरिया पूरे पटना की लाइफ लाइन है। यहां मेडिकल से लेकर हर छोटी-बड़ी सुविधाएं उपल4ध है। यही नहीं, आधे से अधिक पटना की सीवरेज सिस्टम यहीं से होकर निकलती है। ऐसे में अगर इसकी ठीक से जांच नहीं की गई तो आने वाले दिनों में मुसीबत और 5ाी बढ़ती चलती जाएगी। जानकारी हो कि इस दिशा में अब तक नगर निगम एडमिनिस्ट्रेशनकी ओर से कोई 2ास ए1शन नहीं लिया गया है।

The other side

42 एकड़ की जमीन पर अवैध कब्जा

जानकार बताते हैं कि 42 एकड़ की जमीन पर अवैध कब्जा कर लिया गया है, जिसके बारे में अब भी किसी को जानकारी नहीं। अगर इस 42 एकड़ की जमीन की खोज की जाए, तो कई सारे चौकाने वाले मामले सामने आ सकते हैं। इससे राजेंद्र नगर को जलजमाव से ही नहीं बल्कि कई और भी लोगों को बसाने का रास्ता भी खुल सकता है।

स्टेट का पहला पॉश एरिया था राजेंद्र नगर

जानकारी हो कि जब राजेंद्र नगर का निर्माण किया गया था। उस समय यह स्टेट का पहला पॉश एरिया था। जिसे पूरी तरह से प्लान करके बनाया गया था। यहां लोगों को हर तरह कि सुविधा उपलब्ध थी, लेकिन धीरे-धीरे आबादी बढ़ती गई और मामला फंसता चला गया। अब राजेंद्र नगर पॉश एरिया के लिए नहीं बल्कि जलजमाव के लिए ही जाना जाता है।

Posted By: Inextlive