Jamshedpur: वो जमाना गया जब लडक़ी 18 की और लडक़े 21 के हुए नहीं कि मां-बाप को उनके शादी की फिक्र सताने लगती थी. अब तो जब तक कॅरियर ना बन जाए लाइफ सेटल ना हो जाए तब तो शादी की कोई बात ही नहीं. और उसके लिए उम्र चाहे जितनी भी निकल जाए.

टाइम पर करें शादी
कॅरियर पर कॉन्संट्रेट करने के चक्कर में हम अपने शादी को उतना इंर्पोटेंस नहीं देते। और अगर शादी कर भी ली तो बच्चे के चक्कर में कौन पड़े। पर ये लेट मैरिज और लेट बेबी प्लान करने का डिसीजन इनफर्टिलिटी को बढ़ा रहा है। सिटी में भी इनफर्टिलिटी के मामले तेजी से बढ़ रहे हैं। पंडित सुधानंद झा बताते हैं कि आज-कल हो रहे शादियों में ऐसा देखने को मिलता है कि दूल्हे-दुल्हन की उम्र पहले के मुकाबले ज्यादा होती है। ज्यादातर लडक़े लगभग 35 या उससे ज्यादा उम्र के होते हैं, जबकि लड़कियों की उम्र लगभग 30 या उससे ज्यादा ही होती है।

जल्दी कर लें फैमिली प्लान
हेल्थ पर हुए इस साइडइफेक्ट ने कपल्स में इंफर्टिलिटी की प्रॉब्लम को बढ़ा दिया है। कई कपल्स बच्चे ना होने की प्रॉब्लम से सफर कर रहे हैं। डाक्टर्स का कहना है कि ज्यादा एज होने पर बॉडी का रिप्रोडक्टिव सिस्टम  अनबैलेंस हो जाता है और चाइल्ड बर्थ में काफी कॉमप्लीकेशन्स होने लगते हैं। डॉक्टर रेनुका चौधरी बताती हैं कि  चेंज होती लाइफस्टाइल, कॅरियर और वर्क पे्रशर, सोशल इलनेस जैसे कई वजह हैं जो इनफर्टिलिटी को बढ़ाते हैं। उन्होंने बताया कि 15 परसेंट लोग इनफर्टिलिर्टी की इस प्रॉब्लम से जूझ रहे हैं। इसके ज्यादातर पेशेंट का 35 से 37 साल के एज गु्रप के हैं।

बदलाव ने health पर डाला बुरा effect
इस बदलते लाइफस्टाइल से वीमेन के हेल्थ पर काफी बुरा इमपैक्ट पड़ा है। गायनकोलॉजिस्ट डॉ बी.के चौधरी बताते हैं कि वर्क स्ट्रेस और चेंज होती लाइफस्टाइल की वजह से अर्ली मोनोपॉज का केस अब कॉमन हो चुका है। मोनोपॉज की एज जो पहले 50 से 55 साल हुआ करती थी अब वो घट कर 40 से 45 साल हो गई है। उन्होंने बताया कि आज भी हाउसवाइफ के मुकाबले वर्किंग वीमेन में अर्ली मोनोपॉज के केसेज ज्यादा देखने को मिल रहे हैं।

बॉडी का एक बॉयलोजिकल क्लॉक होता है और उसके अर्कोडिंग ही हमारी बॉडी वर्क करती है। लेट मैरिज और फैमिली प्लांनिग के फ्यूचर में कई डिफेक्ट हो सकते हैं। लोगो को 35 साल से पहले अपनी फैमिली प्लान कर लेनी चाहिये।
-रेनुका चौधरी, गायनकोलॉजिस्ट

इनफर्टिलिटी का केस अब कॉमन बनता जा रहा है। 30 से 40 परसेंट लोग इस प्रॉब्लम से जूझ रहे हैं। हर मंथ 5 से 7 इनफर्टिलिटी के केस देखने को मिल रहे हैं।
-बी.के चौधरी, गायनकोलॉजिस्ट
वर्क स्ट्रेस और लाइफस्टाइल की वजह से अर्ली प्यूबर्टी की के मामले ज्यादा देखने को मिल रहे हैं। हाउसवाइफ मुकाबले वर्किंग वीमेन में ये प्रॉब्लम ज्यादा देखने को मिल रही है।
-बीना सिंह, गायनकोलॉजिस्ट


Posted By: Inextlive