मथुरा। अदभुत नजारा नंदगांव का, भक्ति में मस्ती का गजब समावेश, सतरंगी गुलाल की आंधी के बीच रंगों की झमाझम बारिश, भीगते तन मन के साथ ढोल नगाड़ों की धुन पर थिरकते हुरियारे और हुरियारिन, लठ बरसातीं नंदगांव की हुरियारिन तो ढाल से बचाव करते बरसाने के हुरियारे। नंदगांव में कुछ इसी माहौल और मस्ती में लठामार होली हुई।

होली की मस्ती में डूबे श्रद्धालु

गुरुवार को शाम साढ़े पांच बजे बरसाना के हुरियारे नंदगांव की हुरियारिनों से होली खेलने उनके यहां पहुंचे। बरसाना के हुरियारों ने नंदगांव की हुरियारिनों संग हास परिहास किया। फिर शुरू हुई लठामार होली। लठामार होली में लठ बरसे तो आनंद की बारिश हुई। होली की मस्ती में श्रद्धालु कृष्ण के जयकारे लगा रहे थे। नंदगांव होली खेलने पहुंचे बरसाना के हुरियारे नंद के जमाई की जय का उद्घोष करते रहे। घूंघट की ओट से हुरियारिनें बरसाना के हुरियारों पर अपनी प्रेमपगी लाठियां बरसातीं रहीं। बरसाना-नंदगांव के बीच आज भी राधा और कृष्ण का ही भाव है। तभी तो नंदगांव के लोग खुद को वृषभान का जमाई, तो बरसाना के लोग खुद को नंद का जमाई मानते हैं।

आज ये भी रहेगा खास

जन्मस्थान पर पहली बार गुलाब जल, केवड़ा से भी खेली जाएगी होली

राधा की जन्मभूमि रावल से होली खेलने आएंगे हुरियारे और हुरियारिन

सुबह 10 से 11 बजे तक कुंज में विराजमान होकर होली खेलेंगे द्वारिकाधीश।

बांकेबिहारी मंदिर में सुबह शुरू होगी रंगीली होली

वृंदावन। रंगभरनी एकादशी पर शुक्रवार को ठा। बांकेबिहारीजी अपने भक्तों संग होली खेलेंगे। ठाकुरजी के होली खेलने के साथ ही वृंदावन में रंगों की होली शुरू होगी। जो हर मंदिर, मठ और आश्रमों में खेली जाएगी। आराध्य के दर्शन कर श्रद्धालु पंचकोसीय परिक्रमा करेंगे।

रंगभरनी एकादशी पर शुक्रवार को सुबह ठा। बांकेबिहारीजी श्वेत धवल वस्त्रों में हाथ में चांदी की पिचकारी और कमर पर गुलाल का फेंटा बांध आराध्य भक्तों को दर्शन देंगे। ठाकुरजी का प्रतिनिधित्व करते हुए सेवायत भक्तों पर रंगों क बरसात करेंगे। रंग भरनी एकादशी से शुरू होने वाली बांकेबिहारी मंदिर की होली धूल की दोपहर तक चलेगी। ठाकुरजी के संग होली खेलने का आनंद लेने को देश दुनिया से लाखों श्रद्धालुओं ने वृंदावन में डेरा डाल लिया है।

जन्मस्थान पर दिखेगी ब्रज की परंपरागत होली

पहली बार गुलाब जल, केवड़ा से भी खेली जाएगी होली

राधारानी की जन्मभूमि रावल से होली खेलने आएंगे ग्वाल, बाल, हुरियारिन

मथुरा। बरसाना, नंदगांव की लठामार होली के बाद शुक्रवार को जन्मभूमि पर होली होगी। ब्रज के परंपरागत होली उत्सव से जुड़ी विभिन्न विधाओं के दर्शन रंगभरी एकादशी पर साकार होंगे। ढोल, नगाड़े, लाठी, बारह¨सगा के साथ अलौकिक होली में सम्मिलित हुरियारे, हुरियारिन, भक्त इस होली का आनंद लेकर अपने को धन्य समझते हैं। पहली बार गुलाब जल, केवड़ा से होली खेली जाएगी।

श्रीकृष्ण जन्मस्थान सेवा संस्थान के सचिव कपिल शर्मा ने जन्मस्थान स्थित अंतरराष्ट्रीय विश्राम गृह में बताया कि स्वयं प्रिया-प्रियतम भी किसी न किसी रूप में इस अलौकिक महोत्सव में उपस्थित हैं। यही भाव भक्तों को हजारों मील दूर से ब्रज की होली में खींच लाता है। हुरियारिनों की तेल पगी लाठियां और उनको सखा भाव से स्वीकार करने के लिए ग्वाल-बाल निरंतर भावमय अभ्यास करते हैं। श्री कृष्ण जन्मस्थान सेवा संस्थान के सदस्य गोपेश्वरनाथ चतुर्वेदी ने बताया कि लठामार होली कार्यक्रम में ब्रज के विभिन्न भागों में खेली जाने वाली होली की अनूठी कलाओं व विधाओं का मंचन किया जाता है। शुक्रवार को बंब और ढप पर होली गायन से उत्सव का शुभारंभ दोपहर दो बजे से होगा। ब्रज की होली के परंपरागत रसिया, लोकगीत, हंसी, ठिठोली, होली के नृत्य, मयूर नृत्य, चरकुला नृत्य, फूलों की होली के दर्शन होंगे। हरियाणा, जैसलमेर के कलाकार सहभागिता करते हैं। पुष्प होली के बाद सुगंधित द्रव्य होली प्रथमवार जन्मस्थान में खेली जाएगी। केसर मिश्रित गुलाब, जल, केवड़ा, का छिड़काव सर्वप्रथम भगवान केशवदेव को अर्पित करने के बाद भक्तों पर प्रसादी रूप में किया जाएगा।

Posted By: Inextlive