इलाहाबाद राज्य विश्वविद्यालय की परीक्षाओं में निष्पक्षता और पारदर्शिता का दावा खोखला

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ALLAHABAD: तमाम दावों और वादों के साथ शुरू हुई स्टेट यूनिवर्सिटी व्यवस्था के सवाल पर औंधे मुंह गिरती नजर आ रही है। शुरुआत के वक्त इसे हावर्ड यूनिवर्सिटी की तर्ज पर डेवलप किए जाने की बातें कही गई थीं। लेकिन आज यह असफलताओं की मिसाल बन चुकी है। यहां पेपर आउट होना तो आम बात हो गई। उड़न दस्ते तक के लोग रिश्वत लेते गिरफ्तार किए गए।

सुबह 06:05 पर ही वायरल था पेपर

कुलभाष्कर आश्रम पीजी कॉलेज के प्राचार्य डॉ। ज्योति शंकर ने 21 अप्रैल को पेपर आउट प्रकरण पर स्थिति को स्पष्ट किया है। उनके मुताबिक वॉट्सएप पर पेपर लीक की सूचना महाविद्यालय प्रशासन द्वारा ही इलाहाबाद राज्य विवि को दी गयी। डॉ। ज्योति शंकर के अनुसार सुबह 06:05 पर ही पेपर वायरल हो गया था।

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21 अप्रैल

कुलभाष्कर आश्रम पीजी कॉलेज में चार छात्राओं समेत कुछ छात्रों को परीक्षा शुरू होने से पहले ही वॉट्सएप पर पर्चा मिल गया था। पता चला बीएससी गणित द्वितीय प्रश्न पत्र का पेपर आउट हो गया। सभी के खिलाफ मुकदमा हुआ। बाद में परीक्षा को निरस्त करनी पड़ी। करीब 25 हजार परीक्षार्थी प्रभावित हुए।

13 अप्रैल

एमएससी गणित द्वितीय का प्रश्न पत्र आउट हो गया। इसके बाद दूसरी पाली में चारो जनपद में होने वाली इस परीक्षा को निरस्त कर दिया गया। दरअसल, पट्टी प्रतापगढ़ के एक केन्द्र पर एमएससी गणित प्रथम प्रश्न पत्र की जगह बाद में होने वाली द्वितीय प्रश्न पत्र की परीक्षा का पेपर बांट दिया गया। गलती का एहसास होने पर गलत बांटे गए पेपर को वापस लिया गया। लेकिन एक परीक्षार्थी ने पेपर चुराकर सोशल मीडिया पर वायरल कर दिया।

26 मार्च

इलाहाबाद राज्य विवि के उड़न दस्ते में शामिल चार सदस्यों को एसटीएफ ने परीक्षा केन्द्रों से रिश्वत लेते गिरफ्तार किया। इस शर्मनाक हरकत का संज्ञान डिप्टी सीएम दिनेश शर्मा ने भी लिया।

24 मार्च

कौशाम्बी स्थित केन्द्र रामनाथ सिंह डिग्री कॉलेज चायल में सॉल्व पेपर से सामूहिक नकल का प्रकरण सामने आया। यहां केन्द्र व्यवस्थापक की मदद से नकल के आरोप में परीक्षा को निरस्त करना पड़ा। यहां परीक्षा से एक घंटे पहले ही पेपर का बंडल खोल दिया गया था।

23 मार्च

प्रथम पाली में संस्कृत बीए पार्ट वन की परीक्षा में आए प्रश्न पत्र में बहुविकल्पीय प्रश्नों के पांच विकल्प दिये गये। जबकि, ओएमआर शीट में चार गोले ही थे। इससे परीक्षा में भारी अव्यवस्था फैली। मामला पता चलने पर विवि ने परीक्षार्थियों से पांचवें विकल्प को छोड़ने के लिए कहकर पल्ला झाड़ लिया।

20 मार्च

प्रतापगढ़ के एक केन्द्र पर बीए प्रथम वर्ष अंग्रेजी का पेपर था। लेकिन परीक्षार्थियों को जो पेपर मिला, उस पर बीए प्रथम वर्ष की जगह द्वितीय वर्ष लिखा था। इसकी शिकायत कॉलेज ने यूनिवर्सिटी से की।

12 मार्च

वार्षिक परीक्षाएं शुरू होने के पहले ही दिन खूब हंगामा हुआ। पहले दिन परीक्षा सुबह 07 बजे से होनी थी लेकिन परीक्षा शुरु होने के निर्धारित समय तक केन्द्रों पर हिन्दी और केमेस्ट्री के प्रश्न पत्रों का कुछ अता पता ही नहीं था। अफरातफरी के बीच सुबह 09:30 बजे परीक्षा शुरु हो सकी।

अभी दो साल भी नहीं हुई उम्र

सपा शासनकाल में इलाहाबाद राज्य विश्वविद्यालय की स्थापना बड़े ही धूमधड़ाके से 17 जून 2016 को की गयी थी। इसके स्थापना दिवस समारोह में कुलपति प्रो। राजेन्द्र प्रसाद यादव ने कहा था इलाहाबाद राज्य विवि को हावर्ड यूनिवर्सिटी की तर्ज पर डेवलप किया जायेगा। लेकिन मौजूदा हालात कैसे हैं, इस चर्चा ही बेमानी है।

पेपर आउट में कॉलेज की कोई मिलीभगत नहीं है। कॉलेज ने ही दोषियों के खिलाफ एफआईआर भी करवाई थी।

-ज्योति शंकर,

प्राचार्य, कुलभाष्कर आश्रम पीजी कॉलेज

Posted By: Inextlive