- सीएम द्वारा वेस्ट यूपी बेंच को नकारने के बाद मेरठ के वकीलों ने की हड़ताल

- कलक्ट्रेट में धरना-प्रदर्शन के दौरान वकीलों ने आंदोलन को और धारदार बनाने को कहा

- जल्द ही बेंच आंदोलन को लेकर बनाई जाएगी एक बड़ी रणनीति

- बैठक में किया जा सकता है सपा सरकार का बायकॉट

Meerut : उत्तरप्रदेश के सीएम अखिलेश यादव द्वारा हाईकोर्ट बेंच के मामले नकारात्मक बयान से मेरठ सहित आसपास के जिलों के वकीलों में आक्रोश फैल गया है। शुक्रवार को मेरठ सहित आसपास जिलों के वकीलों ने हड़ताल की। साथ ही कलेक्ट्रेट पर सुबह से लेकर शाम तक धरना-प्रदर्शन किया। वकीलों ने साफ कर दिया कि वो वेस्ट यूपी हाईकोर्ट बेंच को लेकर अपना संघर्ष जारी रखेंगे। वहीं सीएम को चेतावनी दी की वो आगे से वेस्ट यूपी हाईकोर्ट बेंच को लेकर नकारात्मक बयान न दें।

सुबह से प्रदर्शन

जब हाईकोर्ट बेंच पर सीएम के बयान को अखबार की सुर्खियों में पढ़ा तो मेरठ बार एसोसिएशन ने तत्काल प्रभाव से हड़ताल की घोषणा कर दी। उसके बाद आनन-फानन में सभी वकीलों को बुलाकर कलक्ट्रेट में डीएम कार्यालय के सामने धरना प्रदर्शन शुरू कर दिया, जिसमें मेरठ बार सभी पदाधिकारियों के वकील भी शामिल हुए। जहां सभी वकीलों ने सीएम के बयान का विरोध किया।

सरकार को कोसा

वकीलों ने कहा कि सरकार ने हमेशा से ही वेस्ट के वकीलों के धोखा किया है। जबकि मुलायम सिंह की सरकार में इसका प्रस्ताव विधानसभा में पास हुआ था। ऐसे में अखिलेश यादव को अपने पिता से इस मुद्दे पर अपना बयान देने से पहले पूछ लेना चाहिए था। वकीलों ने कहा पिछले तीन सालों से सरकार वकीलों को धोखा देती हुई आ रही है। ऐसे में सपा सरकार पर किसी भी तरह से विश्वास नहीं किया जा सकता है। एक सपा सरकार नहीं बल्कि किसी भी सरकार पर विश्वास नहीं किया जा सकता है।

अब सबक सिखाना है जरूरी

वकीलों ने कहा कि जिस तरह से अजीत सिंह की पार्टी को यहां की जनता ने सबक दिया है। जिस तरह से केंद्र सरकार की पार्टी को दिल्ली और बिहार में सबक मिला है। अब उसी तरह से सपा सरकार को सबक सिखाना काफी जरूरी हो गया है। वकीलों ने कहा कि वेस्ट यूपी हाईकोर्ट बेंच को सभी पार्टियों ने राजनीतिक मुद्दा बनाकर वकील बिरादरी के हमेशा से ही खिलवाड़ किया है। यह मुद्दा अब पार्टियों के महज एक मजाक बनकर रह गया है। ऐसे में आगामी 2017 में सपा सरकार को सबक सिखाना काफी जरूरी हो गया है। क्योंकि ये मुद्दा सिर्फ वकील बिरादरी का नहीं बल्कि वेस्ट यूपी के लाखों का लोगों का मुद्दा है। आम जनता का मुद्दा है।

क्रमिक अनशन पर बैठे

वकीलों ने धरना-प्रदर्शन पर क्रमिक अनशन भी किया, जिनमें पूर्व अध्यक्ष सतीश चंद्र गुप्ता, उपाध्यक्ष अजीत सिंह यादव, संयुक्त मंत्री विनोद गौतम, बिरेंद्र कुमार, ऐश्वर्य सीता, सिद्धार्थ जैन, यशवंत चौहान, सरताज गाजी, पीके तोमर, संदीप चौधरी आदि लोग अनशन पर बैठे। उसके बाद मेरठ बार एसोसिएशन के पदाधिकारियों ने डीएम से बात कर सीएम नाम ज्ञापन सौंपा।

आंदोलन को दी जाएगी धार

मेरठ बार एसोसिएशन के पदाधिकारियों ने कहा कि जल्द ही वेस्ट यूपी हाईकोर्ट बेंच संघर्ष समिति की जल्द ही आपात बैठक बुलाई जाएगी। बैठक में आंदोलन को धार देने की रणनीति बनाई जाएगी। पदाधिकारियों ने कहा कि हम नहीं चाहते ही पब्लिक परेशान हो इसलिए लंबी हड़ताल के ऑप्शन को पूरी तरह से ड्रॉप कि जाएगा। ताकि न्यायिक कार्यो में कोई बाधा पहुंचे। 23 दिसंबर को वेस्ट यूपी के वकील जंतर मंतर को धरना-प्रदर्शन करेंगे। उन्होंने कहा हमें दिल्ली के वकीलों का भी समर्थन प्राप्त हुआ है। जल्द ही रणनीति के बारे में सभी को बताया जाएगा।

क्या कहना है वकीलों का?

हम 23 को जंतर मंतर पर प्रदर्शन करेंगे। हमें काफी जगहों का समर्थन मिला हुआ है। सीएम के बयान से काफी लोग आहत है। सिर्फ वकीलों को ही नहीं बल्कि आम पब्लिक को भी सीएम का बयान जनविरोधी लगा है।

- रोहिताश्व कुमार अग्रवाल, चेयरमेन, वेस्ट यूपी हाईकोर्ट बेंच संघर्ष समिति

हाईकोर्ट बेंच को लेकर वकील पिछले 50 सालों से अधिक समय से आंदोलन कर रहे हैं। ऐसे में सीएम का एक बयान बेंच के भविष्य को तय नहीं कर सकता है। हमारा आंदोलन आगे भी जारी रहेगा। इसमें आम लोगों जोड़ा जाएगा।

- संजय शर्मा, संयोजक, वेस्ट यूपी हाईकोर्ट बेंच संघर्ष समिति

Posted By: Inextlive