अंडरवर्ल्‍ड डॉन दाऊद इब्राहीम के करीबी देश के मोस्ट वांटेड आतंकी अब्दुल करीम टुंडा को दिल्ली पुलिस ने दबोचने में कामयाबी हासिल की है. 70 वर्षीय टुंडा को भारत-नेपाल सीमा पर वनबसा महेंद्रनगर से शुक्रवार अपराह्न तीन बजे गिरफ्तार किया गया. वह पिछले 19 सालों से दुनिया के कई देशों में सक्रिय रहकर भारत विरोधी गतिविधियों को अंजाम दे रहा था. 26 नवंबर के चर्चित मुंबई आतंकी हमले के बाद भारत ने पाकिस्तान को जिन 20 आतंकियों के नाम की सूची दी थी उसमें टुंडा का नाम भी था. भारत का दावा था कि सूची में दर्ज आतंकी पाकिस्तान में छिपे हुए हैं और उन्हें उसे सौंपा जाए. इस सूची में लश्कर-ए-तैयबा का सरगना हाफिज सईद जैश-ए-मुहम्मद का प्रमुख मौलाना मसूद अजहर और दाऊद इब्राहीम जैसे बड़े आतंकियों के नाम हैं.


हाफिज सईद से रहा संबंधदिल्ली लाए गए टुंडा का सीधा संबंध लश्कर-ए-तैयबा सरगना हाफिज सईद से रहा है. वह भारत में विभिन्न स्थानों पर हुए 40 बम विस्फोटों की घटनाओं के लिए जिम्मेदार माना जाता है. उस पर अकेले दिल्ली में 21 मामले लंबित हैं. टुंडा को लश्कर-ए-तैयबा का विस्फोटक विशेषज्ञ माना जाता है. सन 1993 में मुंबई में हुए सिलसिलेवार बम धमाकों और दिल्ली में सन 1997 में हुए सिलसिलेवार बम धमाकों के अतिरिक्त उत्तर प्रदेश, पानीपत, सोनीपत, लुधियाना, सूरत, गुलबर्गा व हैदराबाद में हुए बम विस्फोटों के लिए उसे जिम्मेदार माना जाता है.जम्मू-कश्मीर के कई वारदातों में हाथ का शक


पुलिस को शक है कि टुंडा जम्मू-कश्मीर में हुई कई वारदातों से भी जुड़ा था. दिल्ली में हुए राष्ट्रमंडल खेलों के दौरान भी दिल्ली में बम विस्फोटों की साजिश टुंडा ने रची थी लेकिन उसके गिरोह के एक शख्स के पकड़े जाने के कारण साजिश का भंडाफोड़ हो गया था. उसे शनिवार को मजिस्ट्रेट के समक्ष पेश करके तीन दिन की पुलिस रिमांड पर ले लिया गया है. अब्दुल कुद्दूस नाम से पाकिस्तानी पासपोर्ट

टुंडा अब्दुल कुद्दूस नाम से बने पाकिस्तानी पासपोर्ट का इस्तेमाल करता था. इसकी पुष्टि करते हुए दिल्ली पुलिस के विशेष आयुक्त एसएन श्रीवास्तव ने बताया कि यह पासपोर्ट गत 23 जनवरी, 2013 को पाकिस्तान सरकार ने जारी किया था. आसानी से बम तैयार करने में माहिरपुलिस सूत्रों के अनुसार टुंडा आसानी से उपलब्ध होने वाले सामान से बम बनाने में माहिर है. वह यूरिया, नाइट्रिक एसिड, पोटैशियम क्लोराइड, नाइट्रो बेंजीन और चीनी के इस्तेमाल से बम बनाने में सिद्धहस्त माना जाता है. इसी तरह के आसानी से बम बनाने का प्रशिक्षण वह नौजवानों को देता था. आतंक के रास्ते पर चलने से पहले टुंडा ने बढ़ईगीरी, कबाड़ कारोबारी और कपड़ा व्यवसायी के रूप में भी काम किया था. बम बनाते समय उड़ गया था हाथएक बम बनाने के दौरान हुई दुर्घटना में ही उसके  एक हाथ का हिस्सा उड़ गया था. उसी दुर्घटना के बाद उसे टुंडा के नाम से जाना जाने लगा. टुंडा का जन्म दिल्ली के दरियागंज इलाके में सन 1943 में हुआ था. उसके पिता धातुओं को पिघलाने और उनसे नई वस्तुओं को बनाने का धंधा करते थे. खुफिया एजेंसियां पीछे पड़ी थीं

दिल्ली पुलिस के सूत्र की ओर से पहले यह खबर भी चर्चा में आई कि टुंडा को खाड़ी के किसी देश से प्रत्यर्पित करके भारत लाया गया है. एक अन्य चर्चा यह भी उड़ी कि टुंडा ने करीब दस दिन पहले पाकिस्तान का कराची शहर छोड़ा था और दुबई होता हुआ काठमांडू पहुंचा था. भारतीय खुफिया एजेंसी दुबई से ही उसके पीछे लग गई थीं. उन्होंने सूचना को दिल्ली पुलिस की स्पेशल सेल से साझा किया और उसी के बाद शुक्रवार को नेपाल सीमा से टुंडा को गिरफ्तार कर लिया गया. एक अन्य चर्चा के अनुसार टुंडा को नेपाल के विराटनगर से दो दिन पहले गिरफ्तार किया गया और वहां से दिल्ली लाया गया.1996 में रेड कार्नर नोटिसपाकिस्तान और बांग्लादेश में टुंडा हाफिज सईद के अतिरिक्त जकी उर रहमान लखवी, वाधवा सिंह, रतनदीप सिंह, अब्दुल अजीज उर्फ बड़ा सज्जाद आदि के साथ मिलकर काम करता था. उसकी गिरफ्तारी के लिए इंटरपोल ने सन 1996 में रेड कार्नर नोटिस जारी किया था. टुंडा के बारे में पुख्ता जानकारी फरवरी, 1998 में दिल्ली के सदर बाजार रेलवे स्टेशन से गिरफ्तार उसके दो बांग्लादेशी शागिर्दों से पूछताछ में मिली. उसी के बाद से खुफिया एजेंसियां टुंडा की फिराक में थीं.

Posted By: Satyendra Kumar Singh