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RANCHI: शुक्रवार को रानी मुखर्जी की मूवी मर्दानी रिलीज हुई, जिसमें वह क्राइम ब्रांच में सीनियर इंस्पेक्टर के रोल में हैं। रानी मुखर्जी दिमाग और फौलादी उम्मीद के साथ गर्ल चाइल्ड ट्रैफिकिंग के केस को सुलझाती हैं। इस दौरान उन्हें कई चुनौतियों का सामना करना पड़ता है। इसी बहाने आज हम बात करते हैं झारखंड की वैसी महिला पुलिस अधिकारियों की कहानी, जिन्होंने अपना दम दिखाया और उनका खौफ आज भी बदमाशों और क्रिमिनल्स पर दिखता है।

सीनियर पुलिस ऑफिसर्स भी मानते हैं इनकी हिम्मत को

साक्ष्य के दम पर अपने ही सीनियर अधिकारी को अरेस्ट करने का माद्दा और बेहतर इंटेरोगेशन के जरिए कलप्रीट को सजा दिलवाने की हिम्मत करनेवाली, आईपीएस ऑफिसर सुमन गुप्ता की पहचान झारखंड की दमदार महिला पुलिस में आती है। चर्चित आईजी नटराजन केस हो या, मेन रोड के ज्वेलर और एजी ऑफिसर की किडनैपिंग केस, गया के डकैत हों या शहर के अपराधी, इन सबकी रिकवरी और इंवेस्टिेगशन में सुमन गुप्ता की चुनौती साफ झलकती है। पुलिस सर्विस से जुड़ने के बाद सुमन गुप्ता ने एएसपी प्रोबेशनर के रूप में गया में सबसे पहले चुनौती भरी ज्वाइनिंग की। अपराध और नक्सल से प्रभावित उस शहर में जब नक्सल घटनाएं चरम पर थीं, तब सुमन गुप्ता ऐसी पहली महिला पुलिस अधिकारी थीं, जिन्होंने सिस्टम को सामान्य बनाने की जिम्मेवारी ली। नक्सलियों द्वारा टेकारी थाना अटैक के बाद गया में जनता के बीच विश्वास कायम किया। आग लगा दिए पुलिस रिकॉ‌र्ड्स को तीन महीने के अंदर रिकवर करके केसेस पर इंवेस्टिगेशन शुरू की। इसके बाद हाजीपुर के महुआ में एएसपी के रूप में ज्वाइन की। वहां बलरामपुर थाने में पहुंचने के लिए नदी पार करके जाना होता था। वहां न रहने का ठिकाना था और न ही सुरक्षा का। ऐसे माहौल में सुमन गुप्ता ने मुजफ्फरपुर, हाजीपुर और समस्तीपुर के एरिया में डकैती की घटनाओं की जांच की और कई डकैतों को पकड़ा। सुमन गुप्ता बताती हैं कि रांची में भी एजी कॉलोनी से किडनैप हुए एजी ऑफिसर को आठ दिन के अंदर रिकवर किया गया। इसके लिए भुरकुंडा, पतरातू, तमाम कोल बेल्ट में आठ दिन का कैंप लगाकर जोखिम भरे माहौल में केस को सुलझाया। सुमन गुप्ता का मानना है कि सिर्फ एरिया और यूनिफॉर्म के साथ ही पुलिस की ड्यूटी खत्म नहीं होती। बकायदा आम जनता के बीच फ्रेंडली होकर तैनात होना पड़ता है। क्म् सालों की सर्विस में आम पब्लिक ने पलकों पर बिठाया और यहीं से हिम्मत भी मिली आगे बढ़ने की। अभी सुमन गुप्ता जैप वन में डीअाईजी हैं।

दो साल और बचे हैं सर्विस को, लेकिन हिम्मत बरकरार है

खूंटी महिला थाना की प्रभारी, आराधना सिंह के थप्पड़ का डर शहर के शोहदों के चेहरों पर झलकता है। लड़कियों से छेड़खानी, दहेज हत्या, महिला हिंसा जैसे कई मामलों को अपने दिमाग और हिम्मत से सॉल्व करने का माद्दा ये रखती हैं। बतौर प्रोबेशनर ओरमांझी में पेास्टिंग के साथ आराधना सिंह ने सिर्फ शक के जरिए किडनैपिंग केस को सुलझाया। ओरमांझी के आगे घाटी में डकैत के हाथों को ऐसे पकड़ा कि फिर उसे पानी मांगना पड़ गया। आराधना सिंह बताती हैं कि, दो साल में रिटायरमेंट करीब है, लेकिन इस बीच हिम्मत और फौलादी हाथ कभी पीछे नहीं हटे। ख्भ् सालों की नौकरी में फिजिकली और मेंटली हर जगह चुनौतियों का सामना किया। कभी भी और किसी भी गलत काम को देखते ही उसमें सुधार के लिए कूद पड़ने की कई बार हिम्मत भ्ाी दिखाई।

ट्रेन से आजाद कराया ट्रैफिकिंग की शिकार लड़िकयों को

बॉक्सिंग के पंच और फौलादी उम्मीदों ने इंस्पेक्टर अरुणा मिश्रा को स्पेशल ब्रांच में जगह दी। पहले जमशेदपुर के मनचलों को सीधा किया और अब बड़े - बड़े अनसुलझे केसों में अपना योगदान दे रही हैं। सिर्फ पुलिस की ड्यूटी ही नहीं अरुणा मिश्रा दूसरी लड़कियों को भी हिम्मती और फौलादी बनाने में लगी हुई हैं। बिरसा बॉक्सिंग सेंटर को रन करने के साथ अरुणा मिश्रा आम पब्लिक के बीच रहकर उनकी परेशानियों को सुलझाने में भी लगी हैं। अरुणा मिश्रा बताती हैं कि हाल में तीन घटना को उन्होंने सुलझाया है, जिसमें महिलाओं के साथ हुए अत्याचार का मामला भी शामिल था। एक बार बॉक्सिंग की टीम को ट्रेन में जमशेदपुर से चेन्नई ले जाते वक्त चेन्नई स्टेशन पर कुछ लड़कियों पर शक हुआ। ट्रैफिकिंग की शिकार इन लड़कियों को अरुणा मिश्रा ने किंगपीन के जाल से मुक्त कराया और स्थानीय पुलिस के हवाले किया।

चलती ट्रेन से मार गिराया मनचलों को

स्पेशल ब्रांच की सब इंस्पेक्टर तरुणा मिश्रा इन दिनों कुख्यात अपराधी की तलाश और उससे संबंधित केस की जांच में जुटी हैं। स्पो‌र्ट्स स्पीरिट के साथ पुलिसिंग में अपने हिम्मत का लोहा मनवाने वाली तरुणा मिश्रा शुरू से ही क्रिमिनल्स और बदमाशों के खिलाफ थीं और गलत कार्य को मात देना जानती हैं। तरुणा बताती हैं कि हाल ही में महिला खेलकूद प्रतियोगिता के लिए जम्मू जाते वक्त अलीगढ़ में कुछ बदमाशों ने छेड़खानी शुरू कर दी। पहले तो उन्हें मना किया, नहीं माने तो हॉकी स्टिक और बॉक्सिंग पंच से मार-मार कर चलती ट्रेन से मनचलों को नीचे फेंक डाला। लौटते वक्त उनकी टीम को अलीगढ़ में ट्रेन पर हुए पथराव का सामना करना पड़ा था। यही नहीं सेना के जवान की ओर से हुई छेड़खानी में भी अपनी ताकत का सहारा लेते हुए मामला सुलझाया। तरुणा इन दिनों जोखिम भरे केस की गुप्त रूप से सूचना तलाश रही हैं।

Posted By: Inextlive