-20 कोच प्रति माह मरम्मत के लिए इंफ्रास्ट्रक्चर डेवलप कर रहा रेलवे

-करीब एक करोड़ रुपए का बजट, पैसेंजर्स को झटके से मिल रही राहत

-गोरखपुर की अहम गाडि़यों में लगाए जा रहे एलएचबी कोच

GORAKHPUR: एनई रेलवे अब पहले से ज्यादा एलएचबी कोचेज की मरम्मत करेगा। हर माह यहां से अब 20 एलएचबी कोच की मेंटेनेंस की जाएगी। इसके लिए जिम्मेदारों ने इंफ्रास्ट्रक्चर डेवलप करना शुरू कर दिया है। रेलवे बजट में इसके लिए प्रावधान होने के बाद से कार्य में और तेजी आई है। फिलहाल रेलवे में 12 एलएचबी कोच हर माह रिपेयर किए जाते हैं। वहीं रोजाना 6-7 आईसीएफ कोचेज की रिपेयरिंग होती है। इसके लिए बजट में 98 लाख रुपए मिले हैं।

18 ट्रेंस में लग चुका है एलएचबी कोच

एनई रेलवे की बात की जाए तो अभी तक 18 ट्रेंस में एलएचबी कोच इंस्टॉल किए जा चुके हैं। इनसे रेलवे के खर्च और मेंटेनेंस में काफी कमी आई है। इन कोचेज की खास बात यह है कि इनमें डायरेक्ट इलेक्ट्रिक सप्लाई के लिए हेड ऑन जनरेशन (एचओजी) सिस्टम लगाया गया है। इस टेक्नीक में पेंटोग्राफ एलिमेंट्स लगाकर इंजन के जरिए ओवर हेड लाइन से पॉवर सप्लाई डिब्बों में भी ली जाने लगी है। जिससे कि एक्स्ट्रा जनरेटर वैन की जरूरत खत्म हो गई है तथा इसकी जगह रेलवे एक्स्ट्रा कोच लगा रहा है।

डीजल की होगी बचत, न्वॉएज फ्री कोच

रेलवे के इस नए कोच से रेलवे पॉवर कार को हटा रहा है। इससे हर घंटे करीब 60 लीटर डीजल की बचत हो रही है। इसके साथ ही रेलवे की पॉवर कार हटने की वजह से ट्रेन के आसपास धुएं और न्वॉएज की प्रॉब्लम भी दूर हो गई है। कोचेज में शोर कम होने से पैसेंजर्स को काफी राहत मिली है। गोरखपुर की बात करें तो यहां एलटीटी और गोरखधाम समेत करीब 18 ट्रेंस ऐसी हैं, जिसमें एलएचबी कोच लगाए जाते हैं। इन ट्रेंस में यह व्यवस्था हो जाने से दिल्ली और मुंबई के पैसेंजर्स को काफी राहत मिलेगी।

- यह भी है खास -

- कोच सिकुड़ते नहीं हैं, जिसकी वजह से एक्सीडेंट के केस में कैजुअल्टी की पॉसिबिल्टीज कम होंगी।

- स्प्रिंग और खास शॉकर लगाए गए हैं, जिससे कि पैसेंजर्स की जर्नी और कंफर्टेबल हो सके।

- कोच की बॉडी बाहर से स्टील और अंदर से एल्यूमिनियम की बनी हुई है।

- नॉर्मल कोच से दो मीटर लंबा है एलएचबी कोच

- फायर प्रूफ है यह कोच।

वर्कशॉप में अब 20 एलएचबी कोच प्रति माह रिपेयरिंग करने के लिए इंफ्रास्ट्रक्चर डेवलप किया जा रहा है। पहले 12 कोच की रिपेयरिंग होती थी। इसके लिए एनई रेलवे को बजट भी मिला है।

- पंकज कुमार सिंह, सीपीआरओ, एनई रेलवे

Posted By: Inextlive