- सीएसजेएमयू में लाइब्रेरी साइंस पर चली रही सेमिनार में दिग्गजों ने खोली पोल

-कहा स्कूल-कॉलेजों में मान्यता के लिए लाइबे्ररी व लाईब्रेरियन अनिवार्य, लेकिन हो रहा खुल्लम-खुल्ला खिलवाड़

kanpur@inext.co.in

KANPUR। यूनिवर्सिटी में पुस्तकालय एवं सूचना विज्ञान विभाग के द्वारा हो रही सेमीनर में दूसरे दिन लाइब्रेरी के महत्व बताते हुए एक्ट में होने वाले सुधारों पर चर्चा की गई। जिसमें करीब ब्00 लोगों ने भाग लिया। प्रोग्राम में चीफ गेस्ट आईआईटी दिल्ली के भूतपूर्व लाइब्रेरियन प्रो। एसपी सिंह रहे।

सेमीनार में लखनऊ यूनिवर्सिटी के एनआर सत्यनारायणा ने कहा कि लाइब्रेरी साइंस को डेवलेप करने की जरुरत है। लाइब्रेरी पर चर्चा करते हुए कहा कि लाइब्रेरी एक्ट के ठीक से पालन की आवश्यकता इस समय बहुत जरुरी है। फादर आफ लाइब्रेरी साइंस एसआर रंगनाथन ने क्9ब्8 में लाइब्रेरी एक्ट बनवाया। और इसे मद्रास में लागू कराया। आज देश के दर्जनों स्टेट्स में लाइब्रेरी एक्ट लागू है। सबसे दुखद बात ये है कि उत्तर प्रदेश में ये लाइब्रेरी एक्ट का ठीक से पालन नहीं हो रहा है। लाइब्रेरी एक्ट में प्रावधान है कि सभी स्कूलों व डिस्ट्रिक, ब्लाक स्तर पर लाइब्रेरी होना अनिवार्य है। जिसमें एक प्रशिक्षित लाइब्रेरियन होना जरुरी है। यहां अक्सर देखा जाता है कि मान्यता लेने के लिए स्कूल लाइब्रेरी तो खोल लेते हैं कि लेकिन लाइब्रेरी के प्रयोग पर ध्यान नहीं देते। अक्सर लाइब्रेरियन स्कूल के स्टाफ से ही कोई होता है। यानि कि लाईब्रेरियन का एप्वाइंटमेंट फर्जी तरह से दिखाया जाता है। वहीं प्राइवेट स्कूल वाले तो लाइब्रेरियंस का जमकर शोषण करते हैं। डॉ। संजय कटारिया ने कहा कि लाइब्रेरी साइंस बौद्धिक विकास के लिए बहुत जरुरी है। अच्छे से पढ़ना चाहिए तभी मस्तिष्क चिंतनशील होता है। इसके अलावा अन्य जगहों से आए विशेषज्ञों ने शोध पत्र प्रस्तुत किए। जिसमें एक संगठन की जरुरत बताई गई जो लाइब्रेरी एक्ट के पालन पर नजर रखे। उसे ये पावर दी जाए कि वो कार्रवाई भी कर सके। पेपर लाइब्रेरी की जरुरत पर भी प्रकाश डाला गया। वहीं डिजिटल लाइब्रेरी, इलेक्ट्रानिक रिसोर्सेज, क्लाउड कंप्यूटिंग आदि विषयों पर भी चर्चा की गई। ई लाइब्रेरी की जरुरत को आज के युग की सबसे बड़ी जरुरत बताई गई। क्योंकि आज के युग में इंटरनेट एक बड़ी उपलब्धता है। प्रोग्राम में डॉ। पंकज सिंह, डॉ। एमपी सिंह, डॉ। सिधांशु राय, डॉ। मनीष, डॉ। आदेश, डॉ। रवींद्र कुमार, डॉ। अनिल, डॉ। रचना गुप्ता, डॉ। पंकज कुमार आदि थे।

Posted By: Inextlive