-राजकीय लाइब्रेरी में विधान मंडल की बैठक की 133वीं वर्षगांठ पर आयोजित हुआ कार्यक्रम

-डिप्टी सीएम केशव प्रसाद मौर्य, पूर्व विस अध्यक्ष सहित मंत्री नंदगोपाल गुप्ता नंदी व सांसद, विधायक भी पहुंचे

PRAYAGRAJ: प्रयागराज का इतिहास बहुत पुराना है। यहां गंगा यमुना के संगम के साथ सृष्टि के रचयिता भगवान ब्रम्हाजी द्वारा प्रथम यज्ञ और प्रथम विधान मंडल की बैठक का संगम भी हुआ है। इस गौरवशाली इतिहास को समेटे राजकीय लाइब्रेरी का कई करोड़ की लागत से विकास किया जाना है। यह बात प्रदेश के डिप्टी सीएम केशव प्रसाद मौर्य ने कंपनी बाग स्थित राजकीय लाइब्रेरी में बुधवार को आयोजित एक कार्यक्रम के दौरान बतौर चीफ गेस्ट कही। वह लाइब्रेरी में 1887 में आयोजित विधान मंडल की पहली बैठक की 133वीं वर्षगांठ पर श्रोताओं को संबोधित कर रहे थे। कार्यक्रम पर खराब मौसम का असर रहा। इस दौरान पूर्व विधानसभा अध्यक्ष केशरीनाथ त्रिपाठी सहित मंत्री नंदी व सांसद-विधायकों ने उपस्थिति दर्ज कराई।

कमिटेड है गवर्नमेंट

डिप्टी सीएम ने इस दौरान यूपी सरकार के कार्यो की चर्चा की। उन्होंने कहा कि श्रृंगवेरपुर धाम, 12 माधव, अलोप शंकरी, ललिता देवी मंदिर के विकास और पुनरुद्धार की बात करते हुए कहा कि इनके इतिहास को आने वाली पीढ़ी तक पहुंचाने के लिए सरकार प्रतिबद्ध है। उन्होंने बनने वाले इनर रिंग रोड सहित सिक्स लेन पुल को जनता के लिए उपयोगी बताया।

इतिहास से जुड़ा है विकास

इसके पहले चीफ गेस्ट पूर्व विधानसभा अध्यक्ष केशरीनाथ त्रिपाठी, सांसद केसरी देवी पटेल, कैबिनेट मंत्री नंद गोपाल गुप्ता नंदी, महापौर अभिलाषा गुप्ता नंदी, पूर्व मंत्री डॉ नरेंद्र कुमार सिंह गौर, विधायक हर्षवर्धन बाजपेई, वरिष्ठ साहित्यकार पंडित राम नरेश त्रिपाठी एवं महानगर अध्यक्ष गणेश केसरवानी द्वारा वंदे मातरम गान से कार्यक्रम की शुरुआत हुई। केसरी नाथ त्रिपाठी ने कहा कि राज्य में विधाई संस्थाओं का विकास भारत में विधान मंडल के इतिहास से सीधे जुड़ा हुआ है। उन्होंने बताया कि वर्ष 1861 तक समस्त विधान कार्य ब्रिटेन की संसद के हाथों में था। इस राज्य में पांच जनवरी 1887 को 9 नाम निर्देशित सदस्यों के लेजिस्लेटिव काउंसिल की स्थापना हुई।

सबने रखी अपनी बात

मंत्री नंदगोपाल गुप्ता नंदी ने कहा कि आने वाली पीढ़ी सदैव याद रखें। ऐसे कार्यक्रम का आयोजन होते रहना चाहिए। सांसद केशरी देवी पटेल ने कहा कि निश्चित रूप से प्रयाग तपोभूमि है त्याग की भूमि है और हमेशा अपने गौरव के लिए जानी जाती है। पूर्व मंत्री डा। गौर, पूर्व मंत्री राकेशधर त्रिपाठी, पूर्व मंत्री रामदुलार सिंह पटेल, पूर्व मंत्री राधेश्याम सिंह पटेल, पूर्व मंत्री एवं विधायक विक्रमाजीत मौर्य, विधायक मोहम्मद मुज्तबा सिद्दीकी, हाकिम लाल बिंद, संजय गुप्ता, प्रवीण पटेल, राजमणि कौल, शीतला प्रसाद पटेल, लाल बहादुर, डॉक्टर आरके वर्मा, डॉ। अजय भारती, पूर्व विधायक दीपक पटेल, गुरु प्रसाद मौर्य, प्रभा शंकर पांडे, मेयर अभिलाषा गुप्ता, विधायक हर्ष बाजपेई ने अपने विचार रखे। गणेश केसरवानी ने धन्यवाद ज्ञापित किया। इस अवसर पर अवधेश चंद गुप्ता, अरुण अग्रवाल, व्रत सील शर्मा, दिलीप श्रीवास्तव, कुंजबिहारी मिश्रा, रवि केसरवानी, मीडिया प्रभारी पवन श्रीवास्तव, अरविंद सिंह आदि मौजूद रहे।

यह है इतिहास

यूपी के विधान मंडल की स्थापना इंडियन काउंसिल एक्ट 1861 के प्रावधानों के अनुसार पांच जनवरी 1887 को हुई थी। उस समय राज्य का नाम नॉर्थ वेस्टर्न प्रोविंसेस एंड अवध और सदन का नाम लेजिस्लेटिव काउंसिल फॉर द नॉर्थ वेस्टर्न प्रोविंसेस एंड अवध था। इसकी पहली बैठक शनिवार आठ जनवरी 1887 को प्रयागराज स्थित थॉर्नहिल मेमोरियल हॉल( वर्तमान पब्लिक लाइब्रेरी चंद्रशेखर आजाद पार्क परिसर) में हुई थी। आज भी यहां पुस्तकालय संचालित हो रहे हैं। जहां विभिन्न भाषाओं की 125000 पुस्तकें उपलब्ध हैं।

Posted By: Inextlive