- डिजिटलाइज की जानी थी डीडीयूजीयू के लॉ डिपार्टमेंट की लाइब्रेरी

- अब तक किताबों पर नहीं लग सका बार कोड, जर्जर छत भी बनी स्टूडेंट्स की परेशानी

GORAKHPUR: डीडीयू गोरखपुर यूनिवर्सिटी भले ही नेशनल डिजिटल लाइब्रेरी से जुड़कर अपनी पीठ थपथपा रही हो लेकिन हकीकत यही है कि लॉ डिपार्टमेंट की करीब 20 हजार किताबें आज भी डिजिटलाइज नहीं हो सकी हैं। हाल ये कि डाटा फीडिंग तो दूर एक भी किताब पर बार कोड तक जिम्मेदार नहीं लगवा सके हैं। नतीजा ये कि लाइब्रेरी में पड़ी किताबें पहले की तरह ही धूल फांक रही हैं। जबकि यूनिवर्सिटी प्रशासन का दावा था कि सभी किताबें डिजिटलाइज्ड हो जाएंगी और आसानी से किताबों को ट्रैक किया जा सकेगा। वहीं, लाइब्रेरी की जर्जर बिल्डिंग भी स्टूडेंट्स के लिए परेशानी का सबब बनी हुई है।

हाईटेक व्यवस्था का दावा, दीमक चाट रहे किताबें

डीडीयूजीयू के लॉ डिपार्टमेंट की लाइब्रेरी काफी समय से बदहाल है। नेशनल डिजिटल लाइब्रेरी से जुड़े यूनिवर्सिटी प्रशासन ने इसकी दशा सुधारने की कवायद शुरू कराई थी। जिसके तहत बिल्डिंग की मरम्मत के साथ ही यहां रखीं करीब 20 हजार किताबों पर बार कोड लगाकर उनकी डिटेल कंप्यूटर में फीड की जानी थी। लेकिन डिजिटलाइजेशन तो दूर जिम्मेदार एक किताब तक पर बार कोड नहीं लगवा सके हैं। जिसका नतीजा ये कि जर्जर छत वाली लाइब्रेरी में पड़ी किताबों को दीमक चाट रहे हैं। वहीं, लाइब्रेरी में आने वाले स्टूडेंट्स भी जान जोखिम में डालकर पढ़ने को मजबूर हैं। लाइब्रेरी की छत के प्लास्टर जर्जर होने से बराबर रिस्क बना हुआ है लेकिन मरम्मत तो दूर यूनिवर्सिटी प्रशासन इसकी सुध लेने को तैयार नहीं है। जबकि कैंपस के विभागों के मरम्मत के लिए रूसा को-ऑर्डिनेटर के पास करोड़ों का बजट भी आया है। वहीं, डिजिटलाइजेशन की कवायद ठंडे बस्ते में जाने से लॉ डिपार्टमेंट के जिम्मेदार मजबूरन एक-एक किताब सहजने में लगे हुए हैं। जबकि यूनिवर्सिटी प्रशासन की तरफ से किसी प्रकार का सहयोग न मिलने के चलते स्थिति दिन प्रतिदिन खराब होती जा रही है।

ठंडे बस्ते में काम, जल्द शुरू करने का दावा

लॉ डिपार्टमेंट के डीन प्रो। जितेंद्र मिश्रा बताते हैं कि लाइब्रेरी का बुरा हाल है। छत के टपकने से लगाए प्लास्टर गिरने का रिस्क बराबर बना हुआ है। 20 हजार किताबें भी डिजिटलाइज की जानी थीं लेकिन वो काम भी नहीं हो सका है। इसके लिए सेंट्रल लाइब्रेरियन से गुजारिश भी की जा चुकी है लेकिन कोई सुध नहीं ली जा रही। वहीं सेंट्रल लाइब्रेरियन प्रो। हर्ष सिन्हा का कहना है कि लॉ डिपार्टमेंट की लाइब्रेरी की किताबों के डिजिटलाइजेशन की प्रक्रियास्टार्ट कर दी गई है। इस काम के लिए वीसी की तरफ से समिति का गठन किया जाएगा। उसके बाद जिस एजेंसी को यह जिम्मा सौंपा जाएगा उसके जरिए डिजिटलाइजेशन का काम शुरू हो जाएगा।

तो हर किताब की हो पाती मॉनिटरिंग

सेंट्रल लाइब्रेरी की तरफ से सभी किताबों की डिजिटलाइज्ड किया जा रहा है ताकि किताबों को ट्रैक किया जा सके। इसके लिए सभी किताबों पर बार कोड लगाते हुए उनकी डिटेल कंप्यूटर में फीड की जा रही है। इसके जरिए यह पता चल सकेगा कि किस क्लास के स्टूडेंट ने किस डेट में किताब को इश्यू कराया था और कब जमा किया। साथ ही एक-एक किताब की सही ढंग से मॉनीटरिंग हो पाती।

फैक्ट फिगर

लॉ डिपार्टमेंट की लाइब्रेरी में रखी किताबों की संख्या - 20,000

डेली आने वाले स्टूडेंट्स - 1500-2000

तीन वर्षीय एलएलबी में स्टूडेंट्स की संख्या - 300

एलएलएम में स्टूडेंट्स की संख्या - 36

वर्जन

लाइब्रेरी के डिजिटलाइजेशन का काम बहुत जल्द शुरू होगा। इसके लिए एजेंसी नामित होगी। इसके लिए मीटिंग जल्द बुलाई जाएगी। रहा सवाल जर्जर छत का तो उसके लिए भी प्रस्ताव तैयार कराकर मरम्मत कराई जाएगी।

डॉ। ओमप्रकाश, रजिस्ट्रार, डीडीयूजीयू

Posted By: Inextlive