- 80000 बुक्स में 35000 की हो चुकी कैटलॉगिंग

GORAKHPUR: 60 साल पुरानी एनई रेलवे लाइब्रेरी की पढ़न के शौकीन गोरखपुराइट्स के बीच अपनी विशिष्ट पहचान है। बदलते दौर में इस लाइब्रेरी को एक नए कलेवर में विकसित किया जा रहा है। ई-लाइब्रेरी के रूप में इसे नया स्वरूप प्रदान करने की दिशा में कार्य किया जा रहा है। जिसकी शुरुआत 17 सितंबर 2019 को तत्कालीन महाप्रबंधक द्वारा की गई थी। फिलहाल बुक्स के कैटलॉग के साथ ही मेंबरशिप एवं बुक्स को इश्यू तथा वापस करने की प्रोसेस ऑनलाइन कर दी गई है। लाइब्रेरी में अवेलबल लगभग 80000 बुक्स में से 35000 की कैटलॉगिंग हो चुकी है।

एक क्लिक पर पाएं मनचाही किताब

योजना के तहत यहां ऑडियो विजुअल सुविधा, पत्रिकाओं की नेट पर उपलब्धता, बुक्स की खरीदारी भी ऑनलाइन की जाएगी। इसी क्रम में कुछ ई-बुक्स एवं मैगजीन भी ऑनलाइन उपलब्ध होंगी, जिसका उपयोग मेंबर्स आईडी एवं पासवर्ड के जरिए कर सकेंगे। इस लाइब्रेरी को नेशनल इंफॉर्मेशन सेंटर (एनआईसी) के क्लाउड से जोड़ने तथा उसके सर्वर के जरिए सुविधाएं उपलब्ध कराने पर भी जोर दिया जा रहा है।

ढेरों वेरायटी मौजूद

इस लाइब्रेरी में विभिन्न विधाओं की पुस्तकों का बड़ी संख्या में संकलन किया गया है। यहां का संदर्भ संग्रह भी हाई क्वालिटी का है। लाइब्रेरी की न केवल रेल जगत बल्कि बाहर भी अपनी खास पहचान है। लाइब्रेरी में तकनीकी पुस्तकों के साथ ही साहित्य, धर्म, दर्शनशास्त्र, यात्रा साहित्य, इतिहास तथा विज्ञान आदि विषयों पर भारी मात्रा में पुस्तकें हैं। इस लाइब्रेरी में पत्रकारिता, भौतिक, इंजीनियरिंग, प्रौद्योगिकी, कृषि विज्ञान, चिकित्सा शास्त्र, औषधि विज्ञान, ललित कला, शिक्षाशास्त्र, प्रबंध कला, समाजशास्त्र और न्याय शास्त्र सहित अनेक विषयों पर भी पर्याप्त पुस्तकें हैं। यहां का वाचनालय भी बड़ा समृद्ध है जहां अनेक प्रकार की पत्र-पत्रिकाएं एवं समाचार-पत्र पढ़ने के लिए उपलब्ध रहती है। लाइब्रेरी में खरीदी गईं कई नई पुस्तकों में से कुछ चुनी हुई पुस्तकों तथा उसके कवर को उचित स्थान पर पाठकों की जानकारी के लिए प्रदर्शित करने की स्वस्थ परंपरा है।

मोबाइल लाइब्रेरी की भी थी व्यवस्था

सीपीआरओ पंकज कुमार सिंह ने बताया कि कभी एनई रेलवे पर मोबाइल लाइब्रेरी भी हुआ करती थी। रेल के एक कोच में लाइब्रेरी स्थापित की गई थी जो प्रमुख स्टेशनों पर कुछ दिनों के लिए रुकती थी। ताकि स्टेशन स्टाफ और लाइन पर कार्य करने वाले कर्मचारियों की पढ़ने-पढ़ाने की रूचि को बढ़ाया जा सके। निश्चित अवधि के बाद यह मोबाइल लाइब्रेरी किसी भी गाड़ी में अटैच कर दूसरे स्टेशन पर भेज दी जाती थी।

Posted By: Inextlive