- लॉकडाउन की वजह से आवक पर असर

- थोक फल मंडी में पिछले साल 4000 पेटी थी आवक, अब 300 से 400 पर अटकी

GORAKHPUR: हर साल बिहार से गोरखपुर थोक मंडी पहुंचने वाली 4000 पेटी लीची की खुशबू को भी कोरोना की नजर लग गई है। कोरोना वायरस खत्म होने में तो अभी काफी वक्त लगेगा लेकिन तब तक लीची की पैदावार खत्म हो जाएगी। लॉकडाउन की वजह से किसान और कारोबारियों को 25 से 30 परसेंट का घाटा उठाना पड़ रहा है। वहीं पिछले साल मंडी में जहां चार हजार पेटी लीची की बिक्री हुई थी,लॉकडाउन में 300 से 400 पेटी पर आकर अटक गई है।

गायब खरीदार, कैसे करें ऑर्डर

लीची की ज्यादातर पैदावार बिहार के महेसी, मुजफ्फरपुर, कुशीनगर जिले के पडरौना में होती है। इन जगहों से बड़े पैमाने पर गोरखपुर की थोक मंडी में भी इसकी आवक होती है। लेकिन इस बार लॉकडाउन के चलते लीची की पैदावार अधिक होने के बावजूद भी आवक बेहद कम हो पाई है। व्यापारियों का कहना है कि इस बार मौसम अनुकूल होने से बिहार में लीची की पैदावार अच्छी हुई है। लेकिन लॉकडाउन के कारण खरीदार नहीं मिल रहे। 15 मई के बाद से ही लीची बाजार में आने लगती है। थोक मंडी में लीची की बिक्री अच्छी है। बिक्री के हिसाब से ही व्यापारी ऑर्डर देते हैं। लेकिन लॉकडाउन की वजह से छोटे व्यापारी नहीं पहुंच रहे हैं।

गर्मी से सड़ न जाए स्टॉक

शदीद गर्मी में लीची के खराब होने का भी खतरा बना रहता है। व्यापारियों का कहना है कि बिहार से सबसे ज्यादा लीची की आवक होती है। इस समय पैकिंग केअलावा ट्रांसपोर्टेशन में भी दिक्कत आ रही है जिसकेचलते नुकसान होने की अधिक संभावना है। थोक में लीची की कीमत 35 से 40 रुपए प्रति केजी है तो फुटकर में 50 से 60 रुपए प्रति केजी रेट है।

कोट्स

लॉकडाउन की वजह से लीची के खरीदार नहीं आ रहे हैं इसलिए आर्डर कम दिए जा रहे हैं क्योंकि नुकसान होने का भी डर रहता है। इसमें सबसे ज्यादा किसानों को घाटा उठाना पड़ रहा है।

राजन गुप्ता, फल विक्रेता

थोक मंडी के आड़ती लीची की पैदावार के लिए किसानों को फाइनेंस करते हैं। लेकिन लॉकडाउन की वजह से किसानों को उसका उचित मूल्य नहीं मिल रहा है। दूसरी तरफ मंडी में खरीदार भी नहीं मिल रहे हैं। जो आ भी रहे हैं उन्हें पास नहीं जारी किया गया है जिसकी वजह से वह लौट जाते हैं।

राजेंद्र सोनकर, अध्यक्ष, गोरखपुर फ्रूट एसोसिएशन

Posted By: Inextlive