DEHRADUN : संत निराकार ब्रह्मा से जुड़े होते हैं, इसलिए उनका जीवन सच्चा, संवरा और कल्याणकारी होता है। अगर जीव (आत्मा) ब्रह्मा (परमात्मा) की ओर जुड़ जाए तो इससे सच्चिदानंद की प्राप्ति होती है, अन्यथा जीव के लिए संसार दुखों का घर है। यह विचार ऋषिकेश से पधारे संत हरीश बांगा ने संत निरंकारी मंडल द्वारा आयोजित सत्संग में व्यक्त किए। सत्संग समापन से पहले अनेक भक्तों ने गढ़वाली, कुमाऊंनी, पंजाबी, भोजपुरी और हिंदी में गीतों व प्रवचनों के माध्यम से संगतों को निहाल किया। इनमें स्थानीय संयोजक कलम सिंह रावत, मंजीत सिंह, नरेश, पातीराम, मोलूराम, पिंकी, विनोद, प्रकाश, राजाराम, गीता नेगी शामिल रहे।

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