अमेरिकी स्‍पेस एजेंसी NASA नेशनल एरोनॉटिक्‍स एंड स्‍पेस एडमिनिस्‍ट्रेशन ने मंगल ग्रह पर पानी होने का दावा किया है। सोमवार को नासा ने खुलासा किया कि मंगल ग्रह पर पानी मौजूद है। वहां बहते पानी के कुछ साक्ष्‍य मिले हैं।

सूखा नहीं है लाल ग्रह
पिछले कई सालों से मंगल ग्रह पर पानी की मौजूदगी को लेकर चल रही खोज आज सफल हो गई। नासा ने इस लाल ग्रह पर पानी होने के पुख्ता सबूत पेश किए हैं। इससे अंदाजा लगाया जा सकता है कि मंगल पर भी जीवन है। नासा की तरफ से मंगल ग्रह पर पानी की तलाश करने वाले उपग्रह ने कुछ तस्वीरें भेजीं हैं। जिसमें एक बड़े से गढ्ढे में कुछ धाराएं नजर आ रही हैं, ये पानी की धाराएं हैं। हालांकि इस समय पानी तो नहीं है लेकिन उम्मीद है कि यहां से पानी बहा था तभी यह लकीरें बनीं। गौरतलब है कि नासा ने 2008 में कहा था कि मंगल पर जमा हुआ पानी मौजूद है। नासा में प्लेनेटरी साइंस के डायरेक्टर जिम ग्रीन के मुताबिक, मंगल कोई सूखा ग्रह नहीं है, यह बात हम पिछले कई सालों से कहते आए हैं। और आज यहां बहते हुए पानी के संकेत मिलना इस बात को और मजबूती प्रदान करता है।

मंगल पर जीवन संभव

जैसा कि माना जाता है जहां पानी है वहां जीवन है। मंगल ग्रह पर पानी मिलने से वैज्ञानिकों में एक उम्मीद जगी है कि पृथ्वी के पड़ोसी ग्रह पर कभी न कभी जीवन की शुरुआत हो सकती है। नासा के साइंस मिशन चीफ जॉन ग्रुंसफील्ड ने एक प्रेस कांफ्रेंस को एड्रेस करते हुए कहा कि, 'आज यह साबित हो गया कि मंगल पर भी जीवन है।' यही नहीं नासा के वैज्ञानिकों ने कहा कि, कम से कम गर्मी के मौसम में वहां नमकीन पानी की बहती धाराएं मौजूद होती हैं। गर्मी के बढ़ने के साथ-साथ ये धाराएं और ज्यादा बड़ी हो जाती हैं। वहीं बाकी साल यह गायब हो जाती हैं।
लंबे समय से जारी है विवाद
मंगल पर पानी की उत्पत्ति, प्रचुरता व इतिहास को लेकर लंबे समय से काफी विवाद चल रहा है। काफी समय पानी की मौजूदगी को लेकर एक रिसर्च की गई थी। शोध के नतीजे यह पता लगाने में सहायक हो सकते हैं कि मंगल पर मौजूद पानी आखिर चला कहां गया। जलाशय के अध्ययन से मंगल की जलवायु के इतिहास व जीवन की संभावनाओं को समझने में पूरी तरह से मदद भी मिली। उस समय टोक्यो इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी के तोमोहीरो उसुई का कहना था कि, पहले के अध्ययनों में इस बात के संकेत मिले थे कि मंगल ग्रह के एक तिहाई हिस्से पर पानी मौजूद था। अब ताजा आंकड़े इन संकेतों की बड़े पैमाने पर पुष्टि करते हैं।

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Posted By: Abhishek Kumar Tiwari