आई स्पेशल

-बॉटनी विभाग के सर्वे में सामने आया चौकाने वाला खुलासा।

-कई लाभकारी पौधे हो रहे विलुप्त, प्रदूषण विभाग को भेजी रिपोर्ट

बरेली : हमारे आस-पास हरियाली देख अक्सर हम चैन की सांस लेते हैं ऐसा महसूस होता है। कि ये हरे पेड़ पौधों का स्वच्छ हवा देने में बहुत योगदान है। लेकिन आपको जानकर आश्चर्य होगा कि कुछ ऐसे पौधे जो हमें स्वास्थ्य लाभ तो पहुंचाते ही हैं बल्कि उनका धार्मिक महत्व भी है वह गायब होने की कगार पर हैं। ऐसा हम नहीं बल्कि बरेली कॉलेज बरेली के बॉटनी विभाग के एचओडी के सर्वे में सामने आई है। छह पौधों की ऐसे प्रजातियां सर्वे के दौरान पाई गई जो कि विलुप्त होने की कगार पर हैं।

तीन सालों से करे रहे रिसर्च

बॉटनी विभाग के एचओडी डॉ। आलोक खरे ने वर्ष 2016 से पौधे की गणना की इनमें 6 ऐसे पौधों की प्रजातियों को चुना जिनका सीधे तौर आमजन से ताल्लुक है, इनमें वरुण, समुद्रफल, सीता अशोक, निर्गुन्डी, रोहणी और वैजयंती पर रिसर्च की तो तीन वर्षो से इन पौधों की संख्या में भारी गिरावट दर्ज की गई।

एफयूजीपी ने भी दी थी रिपोर्ट

देश में एफयूजीपी यानि फ्लोरा ऑफ अपर गेंग्टीक प्लेंस नाम की संस्था जो कि देश भर में पेड़-पौधों के जीवन से जुड़े क्रिया कलापों पर शोध करती है। वर्ष 2019 की रिपोर्ट में संस्था ने मंडल में पौधों पर रिसर्च की तो इन 6 पौधों को गायब होने की कैटेगरी में रखा गया था।

गायब होने की कगार पर ये पौधे

पौधा नाम - वनस्पति नाम - महत्व

1. वरुण - क्रेटेवा रिलीजीओसा - पथरी निवारक

2. समुद्र फल - बैटिंगटोनिया- अस्थमा रोग निवारक

3. सीता अशोक - सराका अशोका - गर्भाशय संबंधी रोग

4. निर्गुन्डी - विटेक्स नेगुन्डो- दर्द निवारक

5. रोहणाी - मैलाटस फिलीपेनिस - पेट संबंधी बीमारियां दूर करने में

6. वैजयंती - कोइक्स लेक्रिमा जोबी - पेट संबंधी रोग निवारक

धार्मिक महत्व

इन सभी पांचों पौधों हिंदू धर्म में बहुत अधिक महत्व है। औषधीय गुणों के साथ पूजा-अर्चना में इन पौधों के पत्तों और बीजों का प्रयोग किया जाता है।

विलृप्त होने का कारण

इन पौधों का वजूद मिटाने में कहीं न कहीं हम लोग ही जिम्मेदार है अपने उपयोग में इन पौधों का ले तो लिया लेकिन दोबारा इन्हें रोपने की जहमत किसी ने नही उठाई।

प्रदूषण का बढ़ना मुख्य कारण

डॉ। आलोक खरे की माने तो इन प्रमुख पौधों के गायब होने का प्रमुख कारण है कि प्रदूषण के रेश्यों में लगातार बढ़ोत्तरी होना। यह पौधों पर्यावरण में साफ और स्वच्छ हवा का प्रवाह करते हैं लेकिन एक्यूआई अधिक बढ़ने के कारण इनका जीवन प्रभावित होता है।

वर्जन ::,

छह ऐसे पौधों की प्रजातियों पर रिसर्च की गई थी जो कि पर्यावरण संरक्षण और औषधीय गुणों से परिपूर्ण थे, पिछले तीन सालों में इन प्रजातियों की संख्या गायब होने की कगार पर आ चुकी हैं। एफयूपीपीजी की रिपोर्ट के आधार पर ही आंकलन किया गया था।

डॉ। आलोक खरे, एचओडी, बॉटली विभाग, बीसीबी

Posted By: Inextlive