वाराणसी में मेट्रो रेल परियोजना के स्थान पर लाइट मेट्रो रोप-वे और एयर बस परियोजना शुरू की जा सकती है.

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VARANASI : वाराणसी में मेट्रो रेल नहीं चलेगी. यह तो तय हो गया है. यहां के लिए कौन सा ट्रांसपोर्ट फिजिबिल होगा. इस पर राइट्स मंथन कर रहा है. विकल्प के तौर लाइट मेट्रो, रोप-वे और एयर बस की संभावना बनी है, जिसकी शहर में फिजिबिलिटी दिख रही है. कमिश्नर दीपक अग्रवाल ने बताया कि वाराणसी में जहां लाइट मेट्रो की फिजिबिलिटी दिखेगी, वहां इसे चलाया जाएगा. इसी पैटर्न पर रोप-वे और एयर बस को भी दौड़ने की कार्ययोजना बन सकती है.

अध्ययन रिपोर्ट तैयार कर रही राइट्स
वाराणसी में मेट्रो रेल परियोजना के स्थान पर लाइट मेट्रो, रोप-वे और एयर बस परियोजना शुरू की जा सकती है. इस पर अंतिम फैसला राइट्स संस्था की अध्ययन रिपोर्ट आने के बाद किया जाएगा. दो-तीन दिन पहले ही राइट्स की टीम वाराणसी आई थी और शहर की भौगोलिक स्थिति का अध्ययन कर रही है. करीब दो हफ्ते बाद राइट्स अपनी रिपोर्ट केन्द्रीय आवासी एवं शहरी कार्य मंत्रालय को सौंपेगी. इसके बाद वह प्रदेश के आवास एवं शहरी नियोजन विभाग के साथ रिपोर्ट पर मंथन करेगा. इसके बाद ही वाराणसी में फाइनल प्रोजेक्ट तैयार होगा.

वाराणसी में मेट्रो घाटे का सौदा
नई मेट्रो नीति के मानक के मुताबिक वाराणसी में मेट्रो का संचालन शुरू करना फिजबिल नहीं है. सूत्रों के अनुसार नई मेट्रो नीति के मुताबिक बनारस में राइडरशिप नहीं मिलने से मेट्रो का संचालन सरकार के लिए घाटे का सौदा है. इसलिए केन्द्रीय आवासी एवं शहरी कार्य मंत्रालय के स्तर पर वाराणसी में मेट्रो के स्थान पर किसी दूसरे विकल्प पर विचार किया जा रहा है.

वाराणसी में मेट्रो परियोजना को लेकर अभी कोई निर्णय नहीं हुआ है. रोप-वे चलाने को लेकर वीडीए के पास कोई आधिकारिक सूचना नहीं है. यहां की फिजिबिलिटी के अनुसार ही ट्रांसपोर्ट सेवा शुरू होगी. मेट्रो रेल को छोड़कर सभी विकल्पों पर विचार चल रहा है.
-राजेश कुमार, उपाध्यक्ष-वीडीए

शहर में मेट्रो परियोजना को लेकर राइट्स संस्था रिपोर्ट तैयार कर रही है. इसके अलावा रेवेन्यू जनरेट को लेकर भी मंथन चल रहा है. शहर में जिस रूट ज्यादा रेवेन्यू जनरेट होगी, उसी हिसाब से रोप-वे, लाइट मेट्रो और एयर बस चलाने चलाई जाएगी. शहर में सभी विकल्पों को ध्यान में रखकर राइट्स अध्ययन कर रही है. 15 दिन बाद वह प्रजेंटेशन देगा.
-दीपक अग्रवाल, कमिश्नर

Posted By: Vivek Srivastava