पठानकोट हमले मामले में जैश-ए-मुहम्मद सरगना मसूद अजहर के मामले भारत काफी एलर्ट हो चुका है। पाक चीन की मदद से मसूद अजहर के खिलाफ भले ही संयुक्त राष्ट्र का प्रतिबंध रुकवाने में भले ही सफल रहा हो लेकिन भारत अब एक कदम आगे बढ़ते हुए इंटरपोल जाने की तैयारी में जुट गया है। सूत्रों की मानें तो भारतीय सुरक्षा जांच एजेंसियों को पता चला है कि इस हमले की जांच में पाक से आई जेआईटी के पलटने और यूएन में मसूद अजहर पर चीन के रुख के पीछे दोनों देशों की चाल है।


चार के खिलाफ वारंटइस पूरे मामले में एनआईटी के एक वरिष्ठ अधिकारी का कहना है कि पठानकोट आतंकी हमले में मौलाना मसूद अजहर, उसके भाई रउफ के खिलाफ गिरफ्तारी वारंट जारी किया गया है। इसके अलावा इसमें इसके दो हैंडलर कासिफ जान और शाहिद लतीफ भी शामिल हैं। इन चारों के खिलाफ पुख्ता सुबूत मिल चुके हैं। इन सुबूतों के आधार पर मोहाली की विशेष अदालत में 15 दिन पहले ही गिरफ्तारी वारंट जारी करने की अर्जी लगा दी गई थी। हालांकि इधर पाकिस्तान के संयुक्त जांच दल (जेआइटी) के दौरे को देखते हुए इसे रोककर रखा गया था। वहीं इस मामले में भारतीय सुरक्षा जांच एजेंसियों के हाथ कुछ अहम सबूत लगे हैं। दोनों की मिलीभगत
जिससे साफ हो गया है कि चीन और पाकिस्तान ये दोनों ही आपसी मिली भगत से इस मामले को उलझा रहे हैं। ऐसे में विदेश मंत्रालय अब इन दोनों ही देशों से रणनीतिक तौर पर बात करने की तैयारी कर रहा है। वहीं इस मामले में चीन के विदेश मंत्रालय की ओर से सफाई दी गई है कि चीन सभी देशों के साथ अपने व्यवहारिक सहयोग वाले संबंध रखने की कोशिश में हैं। इतना ही नहीं वह आतंकवाद की हर कदम पर आलोचना करता है। चीन के विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता होंग ली ने कहा कि चीन सभी तरह के आतंकवाद का विरोध करता है। इसके अलावा वह सभी देशों के साथ व्यवहारिक सहयोग बढ़ाने की कोशिश में है। गोलमोल जवाब दियावहीं जब होंग ली से यह पूछा गया कि हाल ही में अजहर मसूद के मुद्दे को भारत ने चीन के समक्ष उठाया है तो इस पर उन्होंने बड़ा घुमावदार जवाब दिया। उनका कहना था कि 1267 प्रतिबंध समिति में सूचीबद्ध करने के संदर्भ में चीन ने हमेशा तथ्यों के आधार पर और संयुक्त राष्ट्र के नियमों एवं नियमन के अनुसार कदम उठाया है। इसमें कभी कोई गोलमोल कदम नहीं उठाए गए। बतातें चलें कि हाल ही में चीन ने एक बार फिर भारत को धोखा दिया है। चीन ने संयुक्त राष्ट्र की प्रतिबंध समिति को अजहर को आतंकवादी घोषित करने की भारत की मांग को समर्थन नहीं दिया था।

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Posted By: Shweta Mishra