छ्वन्रूस्॥श्वष्ठक्कक्त्र : टाटा जू (जूलोजिकल पार्क) में मौजूद बाघ, शेर, चीता, तेंदुआ, घडि़याल, मगरमच्छ और लकड़बग्घा को सुअर का मांस पसंद नहीं आ रहा है। ये सभी जानवर अटपटे मन से सुअर का गोश्त थोड़ा-बहुत खा रहे हैं। पसंद का आहार नहीं मिलने के चलते उनका वजन घट रहा है। इस वजह से टाटा जू (जूलोजिकल पार्क) के डायरेक्टर विपुल चक्रवर्ती ने जिला प्रशासन को लेटर लिख कर टाटा जू को भैंस के मांस की आपूर्ति के लिए दो मांस विक्रेताओं को अनुमति देने की मांग की है।

मीट की सप्लाई है बंद

जिला प्रशासन के जिले के सभी अवैध बूचड़खाने बंद करा देने के बाद जू के मांसाहारी जानवरों को मांस नहीं मिल रहा है। पहले यह जानवर भैंस का मांस खाते थे। लेकिन, इसकी आपूर्ति बंद होने के बाद जू मैनेजमेंट ने इन मांसाहारी जानवरों को सुअर का गोश्त खिलाकर काम चलाने की कोशिश की। लेकिन सुअर का गोश्त इन जानवरों को पसंद नहीं आ रहा है। इसके चलते टाटा जू के डायरेक्टर ने डीसी अमित कुमार को लेटर लिख कर जू को वित्तीय साल 2017-18 में भैंस का गोश्त आपूर्ति करने की अनुमति जिले के दो मांस विक्रेताओं को देने की मांग की है।

सरकार से मांगी गई अनुमति

टाटा जू पहले भी इन मांस विक्रेताओं पोटका के हल्दीपोखर निवासी शालिम अली और मानगो के आजाद नगर के जाकिर नगर निवासी अलाउद्दीन से ही भैंस के मांस की आपूर्ति लेता रहा है। टाटा जू के डायरेक्टर ने भारत सरकार के पर्यावरण मंत्रालय के 22 सितंबर को जारी उस लेटर का भी हवाला दिया है जिसमें राज्य सरकार और प्रशासन को चिडि़याघर के मांसाहारी जानवरों के लिए भैंस के मांस की आपूर्ति सुनिश्ििचत करने को कहा गया है।

जू को चाहिए रो 100 किलो भैंस का मांस

टाटा जू को रोज 100 किलो भैंस का मांस चाहिए। अभी यहां के मांसाहारी जानवरों को सुअर का मांस दिया जा रहा है जिन्हें वह पसंद नहीं कर रहे हैं। जू के अधिकारियों का कहना है कि यह जानवर भैंस का गोश्त चाव से खाते हैं। जबकि, मुर्गा जू मैनेजमेंट को महंगा पड़ रहा है क्योंकि इनमें कम मांस निकलता है।

Posted By: Inextlive