-शासन के निर्देश पर हॉस्पिटल में लगाया जा रहा है ईटीपी

-18 लाख की लागत से बन रहे प्लांट से साफ पानी का होगा इस्तेमाल

शासन के निर्देश पर बनारस के हॉस्पिटल की पैथोलॉजी, ऑपरेशन थिएटर व ब्लड बैंक से निकलने वाले लिक्विड वेस्ट को साफ बनाने को लेकर पहल शुरू कर दी गई है. इसमें पहला कदम कबीरचौरा स्थित मंडलीय हॉस्पिटल ने बढ़ाया है. यहां लिक्विड वेस्ट को शोधित करने के लिए इफ्यूवेंट ट्रीटमेंट प्लांट (ईटीपी) लगाने की शुरुआत हो चुकी है. आई ओटी के बगल में बन रहे इस प्लांट का निर्माण कार्य तेजी से चल रहा है. अगले दो सप्ताह में यह बनकर तैयार भी हो जाएगा.

60 हजार लीटर पानी का होगा शोधन

हॉस्पिटल प्रशासन की मानें तो इस यूनिट के माध्यम से करीब 60 हजार लीटर पानी (लिक्विड वेस्ट) को शुद्ध किया जाएगा. जिसका इस्तेमाल हॉस्पिटल के लॉन्ड्री, पौधों एवं वाहन धोने के काम में किया जाएगा. बता दें कि अभी तक हॉस्पिटल से निकलने वाला गंदा पानी वहां बने सीवर लाइन में जाकर कई तरह के कीटाणु पैदा करने के साथ बीमारियों को भी जन्म देता है. यही नहीं इससे कई बार तो वहां की नालियों में बदबू भी फैल जाती है. जिससे लोगों को काफी समस्या झेलनी पड़ती है.

30 बेड से ज्यादा के अस्पताल में जरुरी

इस समस्या से निजात दिलाने के लिए शासन के निर्देश पर हॉस्पिटल में इस प्लांट को लगाने का फैसला लिया गया है. बता दें कि शासन ने बनारस में 30 बेड से ज्यादा वाले सभी सरकारी व प्राइवेट हॉस्पिटल्स में यह प्लांट लगाना जरुरी कर दिया है. हालांकि मंडलीय हॉस्पिटल को छोड़ दिया जाए तो अभी तक शहर का कोई भी हॉस्टिपटल इसे लगाने में बहुत ज्यादा दिलचस्पी नहीं दिखा रहा.

कैसे करेगा काम

पाइप लाइन के सहारे पैथोलॉजी, ब्लड बैंक व ओटी के लिक्विड वेस्ट को बार स्कीन चेंबर में जमा किया जाएगा. इसके इकोटी टैंक से पंप के माध्यम से पानी आगे चढ़ाने का काम होगा. फ्लरा मिक्सिंग टैंक में केमिकल डोज से पानी को शुद्ध करने का काम होगा.

एक नजर

18

लाख के करीब है प्लांट का बजट

60

हजार लीटर का बनाया गया है टैंक

06

टंकियों का किया गया है निर्माण

10

हजार लीटर है एक टंकी की क्षमता

60

केएलडी पानी होगा शुद्ध

1000

लीटर पानी होता है एक केएलडी में

शासन के निर्देशानुसार ही ईटीपी का निर्माण कराया जा रहा है. अगले दो सप्ताह में प्लांट तैयार करा लिया जाएगा. इससे निकलने वाले जल को इस्तेमाल में लिया जा सकेगा.

बीएन श्रीवास्तव, एसआईसी, मंडलीय अस्पताल

Posted By: Vivek Srivastava