- अपने ट्रंचिंग ग्राउंड में लगाया सॉलिड वेस्ट मैनेजमेंट प्लांट

- हर महीने में होगा 15 टन जैविक खाद का उत्पादन

- कैंट एरिया से निकलता है रोजाना 20 टन कचरा

- किला परीक्षितगढ़ में चल रहा है काम, एनजीओ दिया है ठेका

Meerut : जहां एक ओर नगर निगम के पास अपना खुद का ट्रंचिंग ग्राउंड भी नहीं है। वहीं मेरठ कैंट बोर्ड ने सॉलिड वेस्ट मैनेजमेंट प्लांट चालू करने के साथ खाद तक का उत्पादन करना शुरू कर दिया है। आने वाले समय में कैंट बोर्ड शुद्ध देसी खाद बेचने के लायक हो जाएगा। जिसके बाद कैंट बोर्ड वेस्ट यूपी में ऐसा पहला म्यूनिसिपल बोर्ड हो गया है जिसके पास खुद का कूड़ा निस्तारण का प्रोजेक्ट होने के साथ उससे खाद बनाने की भी क्षमता रखता है। मंगलवार को कैंट बोर्ड के सीईओ ने अपनी टीम के साथ दौरा किया और प्लांट से पैदा होने वाले खाद की गुणवत्ता को भी परखा।

दो महीने से चल रहा है काम

कैंट बोर्ड के सेनिटेशन डिपार्टमेंट के अधिकारियों की मानें तो पिछले दो महीने से किला परीक्षितगढ़ स्थित ट्रंचिंग ग्राउंड में सॉलिड वेस्ट पर कंपोस्टिंग का काम चल रहा है। नॉन बायोडिगे्रडेबल वेस्ट को बायोडिगे्रडेबल वेस्ट से अलग किया जा रहा है। जिससे प्योर जैविक खाद बनाई जा रही है। इसके लिए एक एनजीओ को काम सौंपा गया है। जिसे कैंट बोर्ड 1.29 लाख रुपए दे रहा है।

12 टन का खाद का एवरेज

अधिकारियों के अनुसार प्लांट अभी छोटा है। इसलिए दो महीने में 12 टन खाद का एवरेज निकल रहा है। अधिकारियों के अनुसार रोजाना 20 कैंट का कूड़ा ट्रंचिंग ग्राउंड भेजा रहा है। 30 दिनों के हिसाब 600 टन कूड़ा निकाल रहा है। जिसमें नॉन बायोडिगे्रडेबल वेस्ट वेस्ट बायोडिगे्रडेबल दोनों तरह का है। अधिकारियों की मानें तो अभी हमारा काम अभी इनिशियल स्टेज पर चल रहा है। आने वाले समय में इसकी उत्पादन क्षमता को और भी बढ़ाया जाएगा।

गांधी बाग को मिलेगी मुफ्त की खाद

अगर बात गांधी बाग की करें तो करीब 27 एकड़ में फैले गांधी बाग को हरा-भरा रखने के लिए मुफ्त में जैविक और बिना किसी केमिकल की खाद मिलेगी। अधिकारियों की मानें तो गांधी बाग में सालाना 50 हजार रुपए की खाद की खपत होनी थी, जिस खर्चे में कटौती होगी। साथ ही वहां के पेड़-पौधों को जैविक खाद मिलने काफी फायदा होगा।

ये है भविष्य की योजना

अधिकारियों के अनुसार हमारे पास खाद का यूज काफी कम है। ऐसे में इतनी खाद को रखना कोई फायदा नहीं होगा। इसलिए इसे बेचने की भी प्लानिंग की जाएगी। कैंट बोर्ड इस प्रोजेक्ट को भविष्य मं आय स्रोत के रूप देख रहा है। अधिकारियों की मानें तो कैंट बोर्ड ने सोलिड वेस्ट मैनेजमेंट एक्ट 2000 के अनुपालन और प्रदूषण नियंत्रण करने के लिए हरियाली के रूप में विकसित करने वाला पहला निकाय बन गया है। अगर वेस्ट यूपी की करें तो कैंट बोर्ड पहला म्यूनिसिपल बोर्ड होगा।

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नगर निगम है सबसे पीछे

अगर मेरठ नगर निगम की बात करें तो इस मामले में सबसे पीछे है। नगर निगम के पास तो अपना खुद का ट्रंचिंग ग्राउंड तक नहीं है। ताज्जुब की बात तो ये है कि दो साल पहले कैंट बोर्ड ने नगर निगम को नोटिस भेजकर उनके ट्रंचिंग ग्राउंड में कूड़ा न डालने की हिदायत दी थी।

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अतिक्रमण मुक्त कराया था ग्राउंड

कैंट बोर्ड के अधिकारियों ने 1 नवंबर 2013 को असामाजिक तत्वों हाथों से कब्जा मुक्त कराया था। कुछ लोगों ने कैंट बोर्ड के अधिकारियों से मिलीभगत कर खेती करनी शुरू कर दी थी। 20.997 एकड़ लैंड को खाली कराकर करीब 5000 पौधों का रोपण कराया गया था। तब से लेकर अब तक काम बदस्तूर जारी है।

मेरठ कैंट बोर्ड के लिए ये सबसे बड़ी उपलब्धि है। आने वाले समय में ये कैंट बोर्ड के लिए आय का सबसे बड़ा स्रोत बनेगा। साथ हमारे कैंट का नाम सोलिड वेस्ट मैनेजमेंट एक्ट 2000 को लागू करने में सबसे अग्रणी निकाय के रूप में लिया जाएगा।

- डॉ। डीएन यादव, सीईओ, कैंट बोर्ड

Posted By: Inextlive