लीवर इनलाजमेंट डिजीज के 30 परसेंट केस नॉन एलकोहलिक

-लाइफस्टाइल डिसार्डर के कारण बिगड़ता जा रहा लोगों का हाल

-10 में से 3 केस नॉन एलकोहलिक, लीवर सिरोसिस से हो रही मौत

PATNA: इन दिनों लीवर मरीजों की संख्या लगातार बढ़ रही है। एक रिपोर्ट में चौंकाने वाले तथ्य सामने आए हैं, जिसमें कहा गया है कि जो लोग शराब या अन्य किसी नशे के आदी नहीं हैं उनमें भी यह बीमारी घर कर रही है। लीवर सिरोसिस होने से लगातार मौत के मामले भी बढ़ रहे हैं। एक अनुमान के मुताबिक फ्0 परसेंट ऐसे केस हैं जिसे 'नॉन एलकोहलिक फैटी लीवर डिजीज' की श्रेणी में रखा जाता है। डॉक्टर्स के अनुसार यह एक तरह का लाइफस्टाइल डिजीज है, जो पहले डायबिटीज, मोटापा के बाद डायरेक्ट लीवर पर अटैक करता है। इसके कारण लीवर अपना फंक्शन करना बंद कर देता है और इंड स्टेज यानी 'लीवर सिरोसिस' से मौत हो जाती है।

यूथ भी आ रहे हैं चपेट में

आजकल के यूथ भी इस बीमारी की चपेट में आ रहे हैं, जिसके कारण प्रोडक्टिव पॉपुलेशन को खतरा हो गया है। पीएमसीएच के गैस्ट्रोएंटोलॉजी डिपार्टमेंट में असिस्टेंट प्रोफेसर डॉ दीपक के मुताबिक पहले नॉन अलकोहलिक फैटी लीवर डिजीज (एनएएफएलडी) का केस इतना अधिक नहीं मिलता था पर अब इसका केस अपेक्षाकृत अधिक मिल रहा है। कारण है दोषपूर्ण लाइफस्टाइल। उन्होंने बताया कि हर फ्0-ब्0 में चार-पांच केस के अल्ट्रासाउंड में इसके होने की पुष्टि होती है।

हाइपरटेंशन है तो हाई रिस्क है

फैमिली हिस्ट्री में जिन्हें डायबिटीज, सूगर है वे सभी इसके रिस्क में हैं। खासतौर पर जिन्हें हाईपरटेंशन है तो यह हाई रिस्क है। अगर लीवर का केस रहा है फैमिली में तो अन्य मेंबर्स को भी अलर्ट रहना होगा। इन दिनों लाइफस्टाइल प्रॉब्लम में डायबिटीज की प्रॉब्लम सबसे कॉमन है।

लीवर सिरोसिस है लास्ट स्टेट

लीवर बढ़ने की लास्ट स्टेज है लीवर सिरोसिस। इसमें फैला हुआ लीवर सिकुड़ जाता है और काम करना बंद कर देता है। इससे पहले जब तक इसे बचाया जा सकता है उसमें दवा और जांच आदि से इस स्थिति को टाला जा सकता है।

विटामिन ई से कंट्रोल

इसे कंट्रोल करने में विटामिन-ई और अरसोकॉल जैसी दवाओं के प्रयोग से लीवर एंजाइम को इम्प्रूव किया जा सकता है। प्राय: इस प्रकार की मेडिसीनल थेरेपी से इसे कंट्रोल किया जाता है। पीएमसीएच के मेडिसीन डिपार्टमेंट में असिस्टेंट प्रोफेसर डॉ पंकज हंस के मुताबिक अगर खान-पान नियमित हो और प्रॉपर एक्सरसाइज किया जाए, तो इसे काबू किया जा सकता है। वेट मैनेजमेंट भी जरूरी है। हेक्टिक लाइफस्टाइल में इसकी कमी दिखती है।

क्या है लक्षण

इसके लक्षण आम तौर पर प्राय: अत्यधिक थकान महसूस होना, जांडिस और एबडोमिनल पेन । इसकी जांच में ब्लड टेस्ट, सीटी स्कैन, अल्ट्रासाउंड और लीवर बॉयप्सी आदि।

एनएएफएलडी के केस बताना मुश्किल

भले ही एनएएफएलडी के केस अधिक हों लेकिन प्रति क्00 या हजार में इसके कितने केस होंते हैं इसे कहना मुश्किल है। डॉ दीपक ने बताया कि यूं तो एलकोहलिक और नॉन एलकोहलिक केस दोनों में ही लीवर इनलार्जमेंट की समस्या होती है, लेकिन इसमें डेटा उपलब्ध नहीं है। हां, यह एरिया स्पेसिफिक हो सकता है। जैसे जहां एलकोहल कंज्यूम ज्यादा होता है वहां एलकोहलिक केस ही अधिक हो सकते हैं।

नॉन एलकोहलिक केस में लीवर बढ़ने का कारण

-प्राइमरी मैलिगनेंसी

-सेकेंड्री मैलिगनेंसी

-लीवर इनफेक्शन (मलेरिया, टायफाइड, कालाजार आदि)

-वायरल हेपेटाइटिस

-लीवर का कैंसर आदि

क्या करें सावधानी

-खुद को हमेशा एक्टिव रखें

-लाइफस्टाइल को हेल्दी बनाएं

-प्रॉपर एक्सरसाइज के साथ सही डाइट लें

-थाइराइड वाले पेशेंट नियमित जांच कराते रहें

Posted By: Inextlive