आंध्र प्रदेश के बंटवारे के बाद नई राजधानी कौन सा शहर बनेगा ये अभी तय नहीं है. यही वजह है कि तेलंगाना बनने के बाद जो आंध्र प्रदेश बाकी बचेगा उसके अलग-अलग शहरों के लिए लॉबिंग शुरू हो चुकी है.


केंद्र सरकार ने कुछ ही दिन पहले नई राजधानी की तलाश के लिए एक कमेटी बनाई है, हालांकि इस कमेटी की अभी एक भी बैठक नहीं हुई है लेकिन इसके कुछ सदस्यों के पास नक्शों और डिज़ाइन के साथ प्रस्ताव पहुंचने लगे हैं.नया राज्य तेलंगाना 2 जून को अस्तित्व में आएगा. 10 साल तक हैदराबाद ही दोनों राज्यों की संयुक्त राजधानी होगा.समिति के सदस्य और स्कूल ऑफ़ प्लानिंग एंड आर्किटेक्चर के प्रोफ़ेसर केटी रवींद्रन ने बीबीसी से कहा, "मेरे पास कुछ ईमेल आए हैं. जो मेरे पूर्व छात्रों ने भेजे हैं, इनमें सलाह दी गई है कि नई राजधानी कहां होनी चाहिए."वो आगे बताते हैं, "कुछ ईमेल के साथ में नक्शे भी हैं."आंध्र प्रदेश की नई राजधानी के लिए विशाखापट्टनम, विजयवाड़ा, नेल्लोर, कर्नूल, ओंगल और गुंटूर जैसे शहर दावेदार हैं.इनमें भी विशाखापट्टनम और विजयवाड़ा की दावेदारी काफ़ी मज़बूत नज़र आती है.


'रियल एस्टेट अब जुआ'
नई राजधानी के लिए लॉबिंग इसलिए है क्योंकि जो भी शहर नई राजधानी बनेगा वहां ज़बरदस्त सरकारी निवेश तो होगा ही बड़े उद्योग भी उस शहर का रुख करेंगे. इसके अलावा वहां प्रॉपर्टी की कीमतों में भी उछाल आएगा.

कंफ़ेडरशन ऑफ़ रियल एस्टेट डेवलपर्स एसोसिएशन ऑफ़ इंडिया (क्रेडाई) के अध्यक्ष प्रकाश रेड्डी कहते हैं, "दिसंबर 2009 में जब चिदंबरम ने ऐलान किया था तब ज़मीन के दाम बढ़े थे लेकिन अब ये एक जुए की तरह है. कोई भी शहर राजधानी बन सकता है."रेड्डी आगे कहते हैं, "मेरा मानना है कि आंध्र प्रदेश में विशाखापट्टनम को आर्थिक राजधानी बनना चाहिए. राजनीतिक राजधानी विजयवाड़ा या कर्नूल बन सकता है."कर्नूल रायलसीमा इलाके का हिस्सा है. साल 1956 में तेलंगाना और आंध्र के विलय से पहले कर्नूल ही आंध्र प्रदेश की राजधानी था.तुलनात्मक रूप से विकसित तटीय आंध्र के मुकाबले रायलसीमा पिछड़ा इलाका है.

Posted By: Subhesh Sharma