इस साल अक्षय तृतीया 10 मई को पड़ रहा है लेकिन 23 साल बाद इस दिन न ही शादियों में शहनाई बजेगी देगी और न ही किसी भी तरह का कोई मांगलिक कार्य किया जाता है.

बरेली (ब्यूरो)। इस साल अक्षय तृतीया 10 मई को पड़ रहा है, लेकिन 23 साल बाद इस दिन न ही शादियों में शहनाई बजेगी देगी और न ही किसी भी तरह का कोई मांगलिक कार्य किया जाता है। कहा जाता है किसी भी काम का लंबे समय पर फायदा लेने के लिए उस काम को अभिजिक मुहूर्त में करना चाहिए। अबूझ मुहूर्त होने के बाद भी शुक्र और गुरु के अस्त होने की वजह से किसी भी तरह का मांगलिक कार्य नहीं किया जा सकता है। इस अक्षय तृतीया का लोप होने की वजह से 14 दिनों का ही पक्ष रहेगा। वहीं इस दिन सोना और वाहन खरीदने के लिए स्थिर लग्न में शुभ मुहूर्त है। यह पर्व पूर्वाह्न व्यापिनी में मनाया जाता है।

यह है शुभ मुहूर्त
पंडित राजीव शर्मा ने बताया कि शुक्रवार को तृतीया तिथि सूर्योदय से रात्रि तक रहेगी। रोहिणी नक्षत्र सूर्योदय से प्रात: 10:46 बजे तक रहेगा। रोहिणी नक्षत्र पूजन के लिए शुभ माना जाता है। इस दिन प्रात: 10:46 तक बनने वाला रवियोग भी कोई कार्य करने में सहायक होगा। इसके बाद मर्गशिरा नक्षत्र रहेगा। इस दिन सूर्योदय से रात्रि 10:25 बज़े तक वृष का चंद्र होगा।

66 दिन नहीं होंगे विवाह
इससे पहले 2001 में अक्षय तृतीया पर गुरु और शुक्र अस्त हुए थे। करीब 66 दिनों के लिए विवाह, मुंडन, गृह प्र्रवेश उद्यापन आदि मांगलिक कार्य पर रोक लग जाएगा। इस वजह से मई और जून में विवाह के लिए मुहूर्त नहीं मिलेंगे।

विवाह में आई अर्चन
ज्योतिष शास्त्र के अनुसारए हर शुभ विवाह के लिए कुंडली का मिलान किया जाता है साथ ही दो लोगों के बीच गुण दोष का भी मिलान किया जाता है। इसके अलावा गुरु और शुक्र ग्रह को विवाह का कारक ग्रह माना जाता है, लेकिन इस दिन यह दोनों ही ग्रह अस्त है, तो विवाह के लिए मुहूर्त नहीं है। दोनों ग्रहों के अस्त होने से मई-जून दो महीनों में विवाह की शहनाइयां नहीं गूजेंगी।

ग्रीष्म ऋ तु का हुआ आरंभ
अक्षय तृतीया के दिन ब्रह्म मुहूर्त में उठकर गंगा स्नान करना चाहिए और भगवान विष्णु, माता लक्ष्मी, भगवान कृष्ण की विधि-विधान के साथ पूजा करनी चाहिए। नैवेद्य में जौ, गेहूं का सत्तू, ककड़ी और चने की दाल अर्पित किए जाते हैं। इसके बाद फ ल, फू ल, पात्र और वस्त्र आदि दान करना चाहिए और ब्राह्मणों को दक्षिणा दी जानी चाहिए। वहीं चने और दाल का भोग जरूर लगाना चाहिए। मान्यता है कि इस दिन सत्तू जरूर खाना चाहिए और नए वस्त्र और आभूषण पहनने चाहिए। इस दिन गौ, भूमि, स्वर्ण पात्र आदि का दान भी किया जाता है। यह तिथि वसंत ऋ तु के अंत और ग्रीष्म ऋ तु का प्रारंभ को दर्शाती है। इसलिए अक्षय तृतीया के दिन जल से भरे घड़े, कुल्हड, सकोरे, पंखे, सोना, खडाऊं, छाता, चावल, नमक, घी, खरबूजा, ककड़ी, शक्कर, साग, इमली, सत्तू आदि गर्मी में लाभकारी वस्तुओं का दान पुण्यकारी माना गया है।

वर्जित कार्य
विवाह, गृह प्रवेश, बावड़ी, भवन, कुआं, तालाब, बगीचा, नई बहू का गृह प्रवेश, देवस्थापन, दीक्षा, उपनयन, प्राण प्रतिष्ठाए भूमिपूजन का आरंभ आदि कार्य नहीं करें। नई बहू का द्विरागमन शुक्र के अस्त काल में वर्जित है।

हो सकते हैैं ये कार्य
अन्नप्राशन, सीमंतोनयन। पुंसवन, जातकर्म, दुकान, वाहन और नामकरण होंगे।

खरीद सकेंगे सोना और वाहन
अक्षय तृतीया पर सोना और वाहन खरीदने का मुहूर्त तय हैैं। इस दिन 12:23 बजे के बाद सिंह लग्न और मृगशिरा नक्षत्र में मिलेगा। जिसमें यह सामान खरीदे जा सकते हैैं।

इस अक्षय तृतीया शादी के लिहाज से कोई शुभ मुहूर्त नहीं है। ऐसे में सिर्फ कुछ ही काम किए जा सकते हैैं। वहीं इसके एक स्थिर समय के लिए शुभ मुहूत हैैं। वैशाख मास के शुक्ल पक्ष की तृतीया को गौरी व्रत की समाप्ति होती है। इसलिए यह पूजा भी वैशाख शुक्ल तृतीया को ही की जाती है। इस दिन श्रद्धा और विश्वास से पार्वतीजी का पूजन करना चाहिए तथा धातु या मिट्टी के कलश में जल, फ ल, पुष्प, गंध, तिल व अन्न भरकर निम्न मंत्र का उच्चारण करे। - पंडित राजीव शर्मा

Posted By: Inextlive