घर में शादी हो या कोई और सेलिब्रेशन म्यूज़िक के बिना तो सब फीका लगता है. फोल्क म्यूज़िक या लोक गीत की बीट्स पर देसी ठुमको का आज भी कोई जवाब नहीं. चलिए देखते हैं कुछ फोक इन्सट्रूमेन्ट्स को जानते है उनके बारे में.


इकताराइकतारा भी बांस और एक स्ट्रिंग्स से बना होता है. ये कई तरह के होते हैं और कई श्रेत्रों में बजाय जाते हैं, पर खास तौर पर ये बंगाल के बायल फकीर्स के बीच पापुल है.रावनहथ्थाये राजस्थान का फोक इन्स्ट्रूमेन्ट है और ये सबसे पुराना स्ट्रिंग इन्स्ट्रुमेन्ट माना जाता जो कि बांस और सूखे नारियल से बना हुआ होता है, इसमें एक मेन स्ट्रिंग के साथ म्यूजिक में वेरिएशंस देने के लिए और स्ट्रिंग्स भी होती है. इन स्ट्रिंग्स को बो से छेड़ कर धुन निकाली जाती है. ये राजस्थान में भोपा कम्यूनिटी के बीच फेमस है.ढ़ोलक


ये ताल वद्य फोक इंस्ट्रूमेंट है जो लकड़ी के खोखले ड्रम से बनी होती है. दोनों तरफ के खुले ऐन्ड्स को बकरी की खाल से बंद कर देते हैं और दोनों तरफ हाथ और उंगलियों की थाप से इसे बजाया जाता है. इसे भी कई श्रेत्रों में बजाया जाता है.हारमोनियम

हारमोनियम का आवीठष्कार पैरिस में हुआ था और ये विन्ड इंस्ट्रूमेंट है. ये रीड आरगन की तरह स्टैन्डिंग कीबोर्ड है. जब रीड्स की मदद से इसमें हवा खिंचती है तब इसमें से खूबसूरत म्यूज़िक बाहर आता है.टूम्बीये इकतारा से मिलता जुलता है पह इसमें दो स्ट्रिंग्स से होती हैं. स्ट्रिंग्स को सेट्रैच करके इससे म्यूज़िक निकाली जाती है.ढ़ोलइसको तो आप सब पहचानते होंगें. वैसे तो ये पंजाब का इंस्ट्रूमेंट है पर ये सभी जगह फेमस है. ये भी ढ़ोलक की तरह लकड़ी के बड़े खाली ड्रम और खाल से बना होता है लकड़ी की स्टिक्स से बजाया जाता है.थालीथाली सिर्फ खाना खाने के लिए ही नहीं बल्कि ये एक म्यूज़िक इन्सट्रूमेंट भी है. थाली को उलटा करके स्टिक्स की मदद से बजाया जाता है.मन्जीराये छोटा सा मन्जीरा सभी तरह के लोक संगीत में बजाया जाता है और इसे बजाने के लिए किसी खास ट्रेनिंग की भी ज़रूरत भी नहीं होती है.रिवानाये बहुत ही खूबसूरत होता है और लकड़ी पर नक्काशी कर के बनाया जाता है. गिटार की तरह इसे भी स्ट्रिंग्स को खींच कर और दबा के बजाते हैं. ये हिमाचल में पहाड़ियों पर बजाया जाता है.

खंजरी
इसको बजाना भी बहुत आसान है और स्पेशल ट्रेनिंग की भी ज़रूरत नहीं है. ये भी सभी टाइप के फोक सांग्स के साथ यूज़ किया जा सकता है.चिमटाथाली की तरह इसका नाम सुनकर भी आप कनफ्यूज़ मत हो जाइयेगा. इसका नाम ज़रूर घरेलू चिमटे से लिया गया है क्योंकि ये देखने में वैसा ही लगता है. ये ज़्यादातर भांगड़े में किया जाता है.करतालअहीरों की कम्यूनटी में गाया जाने वाला बिराहा में करताल का बहुत यूज़ होता है.

Posted By: Surabhi Yadav