लोकसभा चुनाव 2019 के नतीजों से समाजवादी पार्टी को काफी झटका लगा है। डिंपल धर्मेंद्र और अक्षय की हार से सपा सदमे में डूबी है।


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LUCKNOW : समाजवादी पार्टी एक बार फिर गहरे संकट में है। विधानसभा चुनाव में कांग्रेस से गलबहियां करने के बाद भी करारी शिकस्त मिलने से सपा के हौसले पस्त हुए थे तो हालिया लोकसभा चुनाव में बसपा और रालोद के साथ गठबंधन ने पार्टी में नई जान फूंकने की कवायद भी बेनतीजा साबित हो गयी। आलम यह रहा कि पार्टी अपनी ही पांच वीआईपी सीटों में से तीन सीटों को नहीं बचा सकी। सपा की साइकिल पर सवार होकर बसपा के हाथी ने दस सीटों पर अपनी जीत का परचम लहराया पर सपा को इसका कोई फायदा नहीं मिल पाया। बसपा से वोट ट्रांसफर होने पर यूपी की तमाम सीटों पर अपनी जीत के सपने संजोने वाले अखिलेश यादव को अपनी पत्नी और भाईयों को ही हारते देखना पड़ गया। यही वजह है कि चुनाव नतीजे आने के बाद सपा में गाज गिरनी शुरू हो गयी है। सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव ने शुक्रवार को पार्टी के सभी मीडिया पैनलिस्ट को हटाकर इसकी शुरुआत कर दी है। वहीं सोशल मीडिया पर सपा के समर्थक अखिलेश यादव की चुनावी रणनीति और उनके सलाहकारों की घेराबंदी करने लगे है। केवल डिंपल को मिले ज्यादा वोट

पिछले लोकसभा चुनाव के मुकाबले केवल डिंपल यादव को कन्नौज में इस बार ज्यादा वोट मिले पर वह भाजपा के सुब्रत पाठक को हराने में नाकाम रहीं। पिछले चुनाव में डिंपल को जहां 4।89 लाख वोट मिले थे तो इस बार 5।50 लाख से ज्यादा वोट मिले है। इस तरह अनुमान लगाया जा सकता है कि बसपा के करीब 60 हजार वोट डिंपल को ट्रांसफर तो हुए पर ये जीत के लिए नाकाफी थे। यदि पिछले चुनाव में बसपा को मिले 1।27 लाख वोट पूरी तरह डिंपल को ट्रांसफर होते तो कन्नौज में जीत की तस्वीर कुछ अलग होती। हैरानी की बात यह है कि फिरोजाबाद में अक्षय यादव और बदायूं में धर्मेंद्र यादव के वोट हालिया चुनाव में घट गये। बीते चुनाव में फिरोजाबाद में अक्षय यादव को जहां 5।34 लाख वोट मिले थे वे इस बार घटकर 4।67 लाख ही रह गये। इसी तरह बदायूं में धर्मेंद्र यादव को भी छह हजार वोटों का घाटा सहना पड़ा है। पिछले लोकसभा चुनाव में धर्मेंद्र यादव को जहां 4।98 लाख वोट मिले थे तो इस बार वोटों की संख्या 4।92 लाख पर ही थम गयी। वहीं फिरोजाबाद और बदायूं सीट पर बसपा का वोट बैंक ट्रांसफर होने के संकेत नहंी मिले है जिसका सीधा नुकसान सपा को उठाना पड़ा है।

शिवपाल की चाबी ने बिगाड़ा खेल

इन तीनों सीटों पर यह भी साफ है कि सपा से अलग हुए शिवपाल सिंह यादव ने परिवार के तीनों सदस्यों के सिर पर जीत का ताज नहीं सजने दिया। इन सीटों पर सपा प्रत्याशियों को मिली हार में शिवपाल की भूमिका को नकारा नहीं जा सकता है। फिरोजाबाद में तो खुद शिवपाल अक्षय को चुनौती दे रहे थे और उन्होंने सपा के ही कोर वोट बैंक का बंटवारा कर अक्षय यादव के करीब 67 हजार वोट कम करके उनको शिकस्त की ओर ढकेल दिया। वहीं बदायूं और कन्नौज में भी शिवपाल के प्रभाव को नजरअंदाज नहीं किया जा सकता है और इसे धर्मेंद्र और डिंपल की हार की एक वजह माना जा सकता है। छोटी सीटों पर मिली बसपा को जीत
वहीं बसपा को भी उन सीटों पर जीत हासिल हुई है जो बड़ी सीटों में शुमार नहीं की जाती है। सूत्रों की मानें तो भाजपा को पहले ही यह अंदेशा था कि ऐसी करीब डेढ़ दर्जन सीटों पर उसे कड़ा मुकाबला करना पड़ सकता है। इसके लिए खास तैयारियां भी की गयी पर नतीजे भाजपा के पक्ष में नहीं आ सके। सहारनपुर और गाजीपुर के अलावा बाकी आठ सीटें पश्चिमी और पूर्वी उप्र के छोटे जिलों की है जहां बसपा को जीत हासिल हुई है। इनमें अमरोहा, नगीना, अंबेडकरनगर, जौनपुर, घोसी, लालगंज, श्रावस्ती और बिजनौर शामिल हैं।सपा की तीन वीआईपी सीटों का गणितकन्नौजप्रत्याशी    2019 में मिले वोट    2014 में मिले वोट    2014 में बसपा को वोटडिंपल यादव    5,50,734                4,89,164                 1,27,785बदायूंधर्मेंद्र यादव    4,92,898                4,98,378                 1,18,906फिरोजाबादअक्षय यादव    4,67,038                5,34,583                 1,18,9068

Posted By: Abhishek Kumar Tiwari