जमशेदपुर : शुक्रवार को लोकसभा चुनाव प्रचार का अंतिम दिन. अब मतदान की तैयारियां शुरू हो चुकी हैं. दोपहर करीब दो बजे को-ऑपरेटिव कॉलेज में मतदान कर्मियों की भीड़ लगी है. सूर्य की तपिश सीधे चेहरे को झुलसा रही है. कोई पेड़ की ओट में छिपा है तो कोई पानी की तलाश में इधर से उधर भटक रहा है. हर कोई परेशान. कोई इवीएम बॉक्स कंधे पर लेकर घूम रहा है तो कोई सेक्शन ऑफिसर को फोन लगा रहा है. दूसरे जिलों व राज्यों से आए जवान भी गर्मी से हांफ रहे हैं. उन्हें पता ही नहीं चल रहा है कि उनका क्लस्टर कहां है.

पानी के लिए बहा रहे पसीना

को-ऑपरेटिव कॉलेज से करीब डेढ़ किलोमीटर दूर राजेंद्र विद्यालय. यहां सामने की सड़क पर इक्का-दुक्का लोग नजर आ रहे हैं, लेकिन राजेंद्र विद्यालय में जवानों की भीड़ लगी है. कोई बरामदे में आराम फरमा रहा है तो किसी ने स्कूल के बेंच को ही आशियाना बना रखा है. यहां देवघर से 600 जवान जमशेदपुर संसदीय क्षेत्र के लिए चुनावी डयूटी में पहुंचे हैं. हालांकि, कंपनी इलाके में यह स्कूल होने के कारण बिजली तो है, लेकिन जवानों को शुक्रवार सुबह पानी की कमी से जूझना पड़ा. जवानों के खाने की कोई व्यवस्था नहीं दिखी. 50 साल के पारसनाथ यादव बताते हैं, बबुआ, छह पाकिट सत्तू मिलल बा. साथ में प्याज व नूनों बा. बतावल जाव, सत्तू खाके के चार दिन ड्यूटी कइसे होई. खाए के और कउनो व्यवस्था नहीं.

सबकी अपनी-अपनी परेशानी

पारसनाथ यादव जैसे सैकड़ों जवानों की अलग-अलग तरह की परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है. सुखलाल महतो कहते हैं, बरामदा में सोना पड़ रहा है. उन्हें जब पता चला कि यहां से 60 किलोमीटर दूर घाटशिला में चुनाव ड्यूटी करने जाना है तो वे थोड़े निराश नजर आए. कहने लगे, यह चौथा चुनाव है. इसके पहले पलामू व रांची में चुनाव करा चुका हूं. इसके बाद देवघर जाना है. सिर पर गमछी लपेटे कड़ी धूप से बचते-बचाते स्कूल पहुंचे सुरेंद्र प्रसाद बताते हैं, अभी तो होटल से खाकर आ रहे हैं. इस बार तो पूरा चुनाव ड्यूटी कराने के लिए तीन हजार रुपये ही मिले हैं. तभी ईवीएम लेकर जा रहे शिक्षक सत्यनारायण महतो बताते हैं, इस बार चुनाव में सिर्फ 2400 रुपये ही मिले हैं. इसमें ट्रेनिंग से लेकर मतदान कराना शामिल हैं. अब बोलिए, 400 रुपये प्रतिदिन के हिसाब से मिला है. इसमें क्या होता है.

मानगो के स्कूल में जवान

मानगो के विवेकानंद इंटरनेशनल स्कूल में छत्तीसगढ़ आ‌र्म्ड पुलिस (सीएपी) के जवान ठहरे हुए हैं. राहत की बात है कि सीएपी के पास खुद का मेस है. ऐसे में यहां खाने की कोई दिक्कत नहीं है. हां, बिजली नहीं रहने के कारण थोड़ी परेशानी हो रही है. शहर में छत्तीसगढ़ से कुल दस कंपनी पहुंची है. एक कंपनी में सौ जवान होते हैं. जवान सतीश चंद्र कहते हैं, यहां बिजली नहीं रहती है, लेकिन इन सबसे कोई फर्क नहीं पड़ता. चुनाव तो महापर्व है. इसे शांतिपूर्ण संपन्न कराने की जिम्मेवारी तो हम सभी पर है.

Posted By: Kishor Kumar