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VARANASI :
इन दिनों सुबह-शाम, दिन-रात सिर्फ और सिर्फ चुनावी बयार बह रही है. हर चट्टी-चौराहों पर नई सरकार को लेकर बतकही जारी है. इस चुनाव में निर्णायक की भूमिका निभाने वाले 18 से 38 साल के मतदाता जिन्हें हम मिलेनियल्स भी कहते हैं, वह ठोक बजाकर ही वोट करने वाला है. मिलेनियल्स के कुछ मुद्दे हैं जिन्हें दैनिक जागरण आई नेक्स्ट ने 'मिलेनियल्स स्पीक' के मंच पर टटोलने की कोशिश की. पांडेयपुर स्थित नई बस्ती में बुधवार को आयोजित 'राजनी-टी' पर चर्चा करते हुए युवाओं ने ऐसी सरकार चुनने की बात कही जो शिक्षा-सुरक्षा स्वास्थ्य, चिकित्सा, कृषि और रोजगार उपलब्ध करा सके.

 

सिस्टम को कमांड में रखे

 

रेडियो सिटी के आरजे समीर ने कड़क चाय की तरह मुद्दों को उठाया. इस पर युवाओं ने अपनी बात रखनी शुरू की. कहा कि रोजगार को लेकर सरकार को फोकस करना चाहिए. एक स्टूडेंट ने कहा कि सुरक्षा सबसे महत्वपूर्ण है, देश की रखवाली करने वाले वीर जवानों की सुरक्षा और खेतों में काम करने वाले किसानों की सिक्योरिटी पर सरकार को खास ध्यान देने की जरूरत है. सरकार कोई भी खराब नहीं होती है बल्कि सिस्टम ऐसा होता है कि वह सभी को एक धागे में पिरोकर नहीं चल पाता है. लिहाजा, इसके लिए सरकार पर ही हम ब्लेम करेंगे क्योंकि सिस्टम पर निगरानी रखने का काम ही उनका है.

 

प्राइमरी एजुकेशन हो बेहतर

 

'मिलेनियल्स स्पीक' के तहत स्वास्थ्य, चिकित्सा और सुरक्षा पर स्टूडेंट्स ने बात की. आयुष्मान योजना की शुरूआत जरूर गरीब, असहाय को संजीवनी दे रही है लेकिन इसकी आड़ में अस्पताल वाले बहुत धांधली भी कर रहे हैं. स्टूडेंट्स ने कहा कि यह बिना सरकारी तंत्र की मिलीभगत से संभव नहीं है. योजना से जुड़े शीर्ष अधिकारी ऐसी धांधली पर नजर रखें. जिससे कि जिस उद्देश्य से योजना का शुरू हुई है वह सार्थक साबित हो सके. बात आती है शिक्षा पर. कड़क चाय की तरह ही कड़क मिजाज युवाओं ने कहा कि शिक्षा पर काम तो हो रहा है लेकिन उसमे गुणवत्ता की काफी कमी है. हम सीबीएसई बोर्ड की नकल तो करते हैं लेकिन उनकी तरह बच्चों को प्राइमरी एजुकेशन देने में पिछड़ जाते हैं. प्रारंभिक शिक्षा को मजबूत बनाया जाए, कुछ टेक्निकल एजुकेशन पर भी आने वाली सरकार को मजबूती से कदम बढ़ाना चाहिए. नोटबंदी सही फैसला जरूर था लेकिन अधूरी तैयारियों के साथ उसे अमल में लाया गया.


रोजगार पर हो ज्यादा विचार

युवाओं को अधिक से अधिक रोजगार मुहैया कराए जाने का समर्थन करते हुए स्टूडेंट्स ने कहा कि डिजिटल इंडिया की बात तो जरूर हो रही है लेकिन जब एकाउंट में पैसे ही नहीं होंगे तो फिर ऐसे डिजिटल इंडिया होने का क्या मतलब? हां, इसका फायदा सबसे अधिक व्यापारी वर्ग को हुआ है. खामियां यह है कि जितना बढ़ावा मिला है उतना नुकसान भी डिजिटल इंडिया से हुआ है, अधिकतर एकांउट होल्डर साइबर क्राइम के शिकार हो रहे हैं. गाढ़ी कमाई उनके खाते से निकाली जा रही है और वह सिर्फ थानों व बैंकों का चक्कर लगा रहे हैं. 'राजनी-टी' पर अन्य मुद्दों पर स्टूडेंट्स ने अपनी बेबाकी से राय दी. डेवलपमेंट की बात शुरू हुई तो एक स्वर में सभी ने इसे स्वीकारा कि बीते कुछ सालों में बनारस की सड़कें, सफाई व्यवस्था सहित कुछ अन्य कार्यो में बदलाव देखने को मिला है.

 

 

मेरी बात

मजबूती से नौजवान, जवान और किसान के साथ खड़ा रहे उसी सरकार को चुनेंगे. युवाओं को बेहतर रोजगार देने वाले को ही मेरा वोट जाएगा. देश तभी आगे बढ़ेगा जब जवान, नौजवान और किसान आगे बढें़गे. इसके लिए पार्टियों को अपने घोषण पत्र में कुछ ऐसे प्लान बताने होंगे जिससे लगे कि नई सरकार इस दिशा में कुछ अच्छा सोच रही है.

जो सरकार युवाओं का मान-सम्मान रखेगी उसे ही मेरा समर्थन जाएगा. क्योंकि हर बार युवाओं को सिर्फ हथियार बनाकर छला जाता है. यह अब युवा भी बखूबी समझ गया है.

पवन रघुवंशी

 

 

युवाओं को अधिक से अधिक रोजगार मिल सके. शिक्षा और चिकित्सकीय सुविधाओं का दायरा बढ़े. बच्चों की प्रारंभिक शिक्षा पर मजबूती से काम हो.

विश्वजीत कुमार

 

 

हर वर्ग का विकास हो. युवाओं के लिए रोजगार के द्वार खुले और वूमेन सेफ्टी पर सरकार को सख्त होने की जरूरत है. यही नहीं, पॉल्यूशन लेवल बढ़ता जा रहा है उस पर भी लगाम लगे.

संतोष कुमार उर्फ टारजन

 

 

 

सतमोला खाओ कुछ भी पचाओ

मिलेनियल्स स्पीक के मंच पर युवाओं ने एक मुद्दा जोरदार ढंग से उठाया. युवाओं का कहना था कि देश में इंफ्रास्ट्रक्चर तो बेहतर हो रहा है पर रोजगार के मामले में बहुत विकल्प नहीं है. युवा आज पढ़ाई पूरी करने के बाद नौकरी के लिए भटक रहा है. घोषणाएं तो खूब हो रही है पर जॉब नहीं मिल रही है. कड़क मुद्दों से पूरे माहौल खींचने वाले डम्पी तिवारी को सतमोला की ओर से गिफ्ट दिया गया.

डम्पी तिवारी

 

 

कड़क मुद्दा

टेक्निकल एजुकेशन को बढ़ावा मिले, अधिक से अधिक नौजवानों को रोजगार मुहैया हो. किसानों की कर्जमाफी में कोई भी झोल नहीं होना चाहिए. वूमेन सेफ्टी और सख्त होने के साथ ही सिटी में बढ़ते पॉल्यूशन लेवल पर भी लगाम लगे. नई सरकार से यही उम्मीद है कि इन मुद्दों पर सिर्फ बात न करे बल्कि काम करके दिखाये.

 

 

मौजूदा दौर में युवाओं के सामने रोजगार की भारी किल्लत है, यही कारण है कि आए दिन खबरें युवाओं के सुसाइड की आती है. रोजगार को बढ़ावा देने वाले को ही मेरा समर्थन जाएगा.

ऋतिक त्रिपाठी

 

 

हेल्थ और एजुकेशन पर गवर्नमेंट ने कुछ काम अच्छा किया है, लेकिन निचले स्तर पर अभी और सुधार की गुंजाइश है. गरीबी मिटाओ का नारा भी पूर्णत: सक्सेज नहीं हो पाया है.

राजू चौधरी

 

 

जीएसटी में नए कानून ने व्यापारी वर्ग को निराश किया है. नोटबंदी, जीएसटी जैसे मुद्दे ने आम पब्लिक को बहुत तकलीफ दिया है. इस पर सरकार को विचार करना चाहिए था.

मुहम्मद लईक

 

 

Posted By: Vivek Srivastava