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PATNA: पटना के 'जन' का आदेश आने के बाद भारी वोटों के अंतर से शत्रुघ्न सिन्हा को पटना साहिब से हराने वाले रविशंकर प्रसाद और पाटलिपुत्र सीट से मीसा भारती के खिलाफ जीत दर्ज करने वाले केंद्रीय मंत्री रामकृपाल ने कहा, थैंक यू पटना. आपने मेरा ख्याल रखा. अब हमलोग आपका ख्याल रखेंगे.

रविशंकर बने पटना के साहिब

आखिरकार पटना के साहिब बन ही गए रविशंकर. रविशंकर प्रसाद के लिए यह पहला लोकसभा चुनाव था. लेकिन उनकी मेहनत ने चुनाव के पहले ही यह संकेत देने शुरू कर दिए थे कि शत्रुघ्न के लिए मुकाबला आसान नहीं होने वाला है और परिणाम आने के साथ ही आज तय हो गया कि पटना साहिब ने रविशंकर प्रसाद को अपना सांसद चुन लिया और अपने प्रिय 'शत्रु' को अगले पांच वर्ष के लिए खामोश कर दिया. 2008 के परिसीमन के बाद अस्तित्व में आई पटना साहिब सीट से भाजपा ने 2009 में पहली बार शत्रुघ्न सिन्हा को भाजपा उम्मीदवार के तौर पर मैदान में उतारा. शत्रुघ्न ने 2009 के साथ ही 2014 के चुनाव में भी यहां से जीत दर्ज कराई. लेकिन भाजपा के टिकट पर जीत कर संसद जाने वाले शत्रु भाजपा के ही विरोधी हो गए. 2019 के लोकसभा चुनाव के पहले यह तय हो गया था कि शत्रुघ्न इस बार पटना साहिब से भाजपा के उम्मीदवार नहीं होंगे.

रामकृपाल ने पहना पाटलिपुत्र का ताज

पाटलिपुत्र का ताज आखिरकार लंबी लड़ाई के बाद रामकृपाल यादव ने पहन ही लिया. लगातार दूसरी बार भाजपा के रामकृपाल यादव ने राजद की मीसा भारती को पटखनी दी. गुरुवार की सुबह जब काउंटिंग शुरू हुई तब से 11वें चक्र की गिनती तक मीसा भारती ने लगातार बढ़त बनाए रखी मगर अंतिम पलों में रामकृपाल यादव ने जबर्दस्त वापसी करते हुए सीट पर क?जा बनाए रखा. यह संसद में उनकी पांचवीं पारी होगी. 2009 में पाटलिपुत्र सीट बनने के बाद लालू परिवार की इस सीट से यह लगातार तीसरी हार है. इस सीट पर 2009 में राजद सुप्रीमो लालू प्रसाद जदयू के रंजन यादव से हारे थे. लालू की बड़ी बेटी मीसा भारती 2014 में इस सीट पर रामकृपाल से हारी थीं. पाटलिपुत्र सीट से मीसा के लिए राहुल गांधी तो रामकृपाल यादव के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी वोट मांगने आए थे. पाटलिपुत्र सीट का महत्व 2014 के चुनाव में तब बढ़ा, जब राजद को छोड़कर रामकृपाल भाजपा में शामिल हुए थे. पाटलिपुत्र लोकसभा क्षेत्र ग्रेटर पटना की परिकल्पना वाला इलाका है.

Posted By: Manish Kumar