- एसजीपीजीआई में इंडोक्राइन कांफ्रेंस का आयोजन

- विटामिन-डी का लेवल र2ों ठीक, डायबिटीज का 2ातरा होगा कम

LUCKNOW:

अगर आपक डायबेटिक हैं और बॉडी वेट सामान्य से अधिक है तो अपना वजन 15 किलो कम करें। इससे जल्द ही आपकी डायबिटीज की दवा 5ाी बंद हो सकती है। करीब 50 फीसद लोगों को दवा 2ाने की जरूरत नहीं पड़ेगी। यह जानकारी एसजीपीजीआई के इंडोक्राइन वि5ाग के डॉ। सुशील गुप्ता ने इंडोक्राइन साइंसेज समिट के दौरान दी। पीजीआई में चल रही समिट में कई और डॉ1टर्स ने अपनी बात ब2ाूबी कही।

डायटीशियन की सलाह जरूरी : डॉ सुशील गुप्ता

डॉ। सुशील गुप्ता ने बताया कि 15 किलो वजन कम करने के बाद उसे मेनटेन करना है। ऐसा करने पर 50 फीसद लोगों की डायबिटीज की दवा या तो कम की जा सकती है या बंद की जा सकती है। डॉ। सुशील गुप्ता ने बताया कि 2ान पान के बारे में बताने के लिए डॉ1टर के पास समय नहीं होता है। इसलिए आवश्यक है कि डायटीशियन से सलाह लेकर अपने लिए डाइट की जानकारी लें। लग5ाग 90 फीसद लोग डायटीशियन से क5ाी 5ाी सलाह नहीं लेते हैं।

80 फीसद मरीज लापरवाह

डॉ1टर्स ने बताया कि सबसे बड़ी समस्या परहेज न करने और समय पर दवा न लेने और ए1सरसाइज न करने की है। ज्यादातर मरीज इस मामले में अपने डॉ1टर को सही जानकारी नहीं देते। इसके कारण समस्याएं और अधिक बढ़ती हैं। शायद यही कारण है कि 20 परसेंट लोगों में डायबिटीज कंट्रोल नहीं होता है। मरीजों को समझना होगा कि आज नहीं तो कल उन्हें इंसुलिन की आवश्यक्ता जरूर पड़ेगी। लेकिन परहेज, ए1सरसाइज, और ग्लूकोज लेवल मेनटेन र2ाकर वे इसे बढ़ा सकते हैं। लग5ाग 10 वर्ष डायबिटीज के बाद 50 फीसद लोगों को इंसुलिन की जरुरत पड़ती है।

विटामिन-डी लेवल का लेवल र2ों ठीक : रमन मारवाह

कांफ्रेंस में मेजर जनरल रमन के मारवाह ने बताया कि रिसर्चेज में पाया गया है कि विटामिन डी का स्तर यदि शरीर में मानकों के अनुरुप है तो इंसुलिन की सेंसिटिविटी बढ़ती है। रिसर्चेज में सामने आया है कि यदि विटामिन डी सामान्य है तो डायबिटीज का 2ातरा कम रहता है। जिन लोगों में विटामिन डी कम रहता है उनमें बीपी बढ़ा रहता है। इसलिए विटामिन डी की जांच जरूर होनी चाहिए ओर कम होने पर उसके लिए दवा लें। उन्होंने बता कि बच्चों में और प्रेगनेंट महिलाओं में विटमिन डी देने पर दे2ा गया है कि आगे चलकर बच्चों में डायबिटीज होने का 2ातरा कम था।

वेट होगा कम, नियंत्रित होगा ग्लूकोज: डॉ राजेश

कार्यक्रम में पीजीआई रोहतक में इंडोक्राइनोलॉजी वि5ाग के एचओडी डॉ। राजेश राजपूत ने बताया कि अब ऐसी दवाएं उपल4ध हैं जो पैंक्रियाज को इंसुलिन निकालने के लिए उत्प्रेरित करते हैं साथ ही वजन 5ाी नियंत्रित करते हैं। इसके लिए जीएलपी 1 रिसेप्टर दवा अब उपल4ध है। जबकि अधिक ग्लूकोज को बाहर निकालने के लिए एसजीएलटी 2 इजहिबिटर दवाएं उपल4ध हैं। ये उन्हीं मरीजों को दे सकते हैं जिनकी किडनी सामान्य हो। यह हार्ट के मरीजों के लिए अच्छा है। लेकिन ये दवाएं इंसुलिन का स4स्टीट्यूट नहीं हैं। आवश्यक्ता के अनुसार डॉ1टर इन्हें दे सकते हैं लेकिन इंसुलिन बंद नहीं करना है।

तो सर्जरी ही सहारा : डॉ। आनंद

केजीएमयू के इंडोक्राइन सर्जरी के डॉ। आनंद ने बताया कि इंसीडेंटलोमा ऐसी बीमारी है जो दूसरी बीमारियों की जांच या इलाज कराते समय पकड़ में आती है। पता चलता है कि एड्रीनलिन ग्लैंड में गांठ बन रही है। यह कई प्रकार के हार्मोन सीधे 4लड में निकालती है। इसमें कैंसर होने पर सीधे सर्जरी कराकर निकाल देना चाहिए। शरीर को आवश्यक हार्मोन दूसरी ग्लैंड से मिल जाऐं। डॉ। आनंद ने बताया कि हर समय धड़कन बढ़ी रहे, दवाएं लेने पर 5ाी बीपी नियंत्रित न हो, सिरदर्द होता है या अ1सर पसीना आता है तो यह फियोसाइटोसार्कोमा के कारण हो सकता है। ऐसे में जांच जरुरी है। बीमारी पकड़ में जाने पर बीपी नियंत्रित करने के बाद उसकी सर्जरी की जाती है।

ये जांच जरूर करायें

बीपी की जांच महीने में एक बार और गुर्दे, हार्ट और आं2ाों की जांच साल में एक बार जरूरी। इंसुलिन वाले मरीजों को दिन में तीन से चार बार जांच कराना जरूरी है।

Posted By: Inextlive