छ्वन्रूस्॥श्वष्ठक्कक्त्र : को-ऑपरेटिव कॉलेज में 4 करोड़ 60 लाख रुपए की लागत से बन रहे पीजी ब्लॉक के कंस्ट्रक्शन वर्क की जांच होगी। कार्यपालक अभियंता ने कॉलेज से पीजी ब्लॉक के कांट्रैक्ट से रिलेटेड सारे डॉक्यूमेंट्स की डिमांड की है। डॉक्यूमेंट मिल जाने के बाद जांच शुरु की जाएगी। 13 सितंबर के अंक में आई नेक्स्ट न्यूज पेपर ने कंस्ट्रक्शन वर्क में यूज हो रहे मैटेरियल की क्वालिटी पर सबसे पहले सवाल उठाया था। जुगसलाई विकास संघर्ष समिति ने लिखित रूप में इसकी शिकायत की थी।

ईट की क्वालिटी है खराब

पीजी ब्लॉक के कंस्ट्रक्शन में यूज हो रहे ईट की क्वालिटी पर सवाल उठ रहा है। यहां काले ईट यूज किए जा रहे हैं। इन ईटों पर थोड़ा भी पानी पड़ जाने पर वह टूटने लगता है। पिछली बार एचआरडी से आई इंस्पेक्शन टीम के विजिट से पहले ही काले घटिया ईटों को प्लास्टर कर ढक दिया गया था।

लोकल छड़ यूज हो रहे

पीजी ब्लॉक के कंस्ट्रक्शन को लेकर हुए कांट्रैक्ट में छड़ की क्वालिटी चाहे जो भी लिखी हो पर इसमें लोकल छड़ यूज किए जा रहे हैं। कंस्ट्रक्शन की देख-रेख के लिए बिल्डिंग कमिटी तो बनी है पर इन बातों से कमिटी को कोई मतलब नहीं।

वायरिंग में यूज हो रहे पाइप भी लोकल

बिल्डिंग में इलेक्ट्रिक वायरिंग में लोकल मेड पाइप यूज हो रहे। इन पाइप को प्लास्टर से ढक दिया जा रहा। इसे भी देखने वाला कोई नहीं है।

शराबियों का बना अड्डा

को-ऑपरेटिव कॉलेज में अंडर कंस्ट्रक्शन पीजी ब्लॉक के आस-पास अक्सर बीयर और शराब की बोतलें पड़ी दिखती हैं। चूकि बिल्डिंग कॉलेज कैंपस में बन रहा है और वहां काफी संख्या में स्टूडेंट्स प्रजेंट रहते हैं। ऐसे में कैंपस के माहौल किस तरह का असर पड़ेगा, इसका सहज ही अंदाजा लगाया जा सकता है। आश्चर्य तो इस बात का है कि अभी तक शराब की इन बोतलों पर किसी की नजर नहीं पड़ी और इसकी शिकायत भी नहीं हुई। कॉलेज के प्रिंसिपल डॉ आरके दास का कहना है कि उनके पास इस तरह की किसी ने शिकायत नहीं की है।

Posted By: Inextlive