लखनऊ यूनिवर्सिटी में वीसी और शिक्षक संघ के बीच में पीएचडी सीटों को लेकर मचा घमासान मंगलवार को भी जारी रहा.

- तीन साल में रिटायर हो रहे शिक्षकों को लिखित में देना होगा शपथ पत्र

- अगले छह महीने में उनके अंडर पीएचडी कर रहे रिसर्च स्कॉलर की थीसिस जमा करा देंगे

- यह लिखकर देने के बाद ही एलयू प्रशासन ऐसे शिक्षकों को पीएचडी सीटें देने पर करेगा विचार

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LUCKNOW : लखनऊ यूनिवर्सिटी में वीसी और शिक्षक संघ के बीच में पीएचडी सीटों को लेकर मचा घमासान मंगलवार को भी जारी रहा। एक ओर जहां लूटा के पदाधिकारी सीनियर शिक्षकों को पीएचडी कराने का मौका देने की मांग अड़े रहे तो वहीं यूनिवर्सिटी प्रशासन ने सीनियर प्रोफेसर्स को सीटें देने के लिए एक शर्त रख दी है। इसके तहत सीनियर प्रोफेसर्स को यह लिखकर देना होगा कि मौजूदा समय में उनके अंडर में जितने भी रिसर्च स्कॉलर पीएचडी कर रहे हैं। वह उनकी पीएचडी थीसिस वह जमा करा देंगे। अगर वह यह लिखकर देने को तैयार है तो एलयू प्रशासन इसके बाद इन प्रोफेसर्स को पीएचडी सीटें देने पर विचार कर सकता है।

एलयू प्रशासन ने छोड़ी जिद
एलयू प्रशासन ने पीएचडी एडमिशन में पहले 624 सीटें यूनिवर्सिटी के कोटे में दिखाई थी, लेकिन बाद में नए ऑर्डिनेंस का हवाला देते हुए 110 सीटें कम कर दी। इन कम सीटों को लेकर लूटा कई दिनों से विरोध कर रहा हैं। लूटा के पदाधिकारियों का कहना है कि एलयू प्रशासन ने अपना अडि़यल रवैया छोड़ा और सीटों को लेकर पुन: विचार को हामी भरी।

लूटा की नई कार्यकारणी ने वीसी से की मुलाकात
वीसी प्रो। एसपी सिंह ने मंगलवार सुबह 11 बजे लखनऊ यूनिवर्सिटी शिक्षक संघ लूटा के नए कार्यकारणी के सदस्यों से मुलाकात की। लूटा अध्यक्ष डॉ। नीरज जैन की अगुवाई में पदाधिकारी एलयू वीसी से मिले। एलयू प्रशासन ने मुलाकात को औपचारिक बताया। वहीं बैठक में लूटा ने वीसी के सामने पीएचडी की सीटों का मुद्दा रख दिया। लूटा की ओर से ऑर्डिनेंस के अनुसार ही पीएचडी की सीटें निर्धारित करने की मांग उठाई गई। साथ ही कई तर्क दिये गये। इस दौरान कई बार माहौल गर्माया। काफी बहस होने के बाद वीसी ने लूटा की मांगों को कुछ शर्त पूरा करने के बाद लागू करने की बात कही।

सीनियर प्रोफेसर को लिखकर देना होगा
प्रति कुलपति प्रो। राजकुमार सिंह ने बताया कि अगले तीन सालों में सेवानिवृत्त हो रहे शिक्षकों को सीटें आवंटित किया जाना लूटा का बड़ा मुद्दा था। इस पर वीसी का कहना है कि इसके लिए टीचर रिसर्च गाइड को लिखित देना होगा कि वह सात साल से व अधिक समय से पीएचडी कर रहे स्टूडेंट्स की थीसिस जमा करा लेंगे। ऐसा करने पर उन्हें सभी सीटों की पीएचडी कराने की अनुमति प्रदान कर दी जाएगी। प्रो। सिंह ने बताया कि इसके साथ ही सीटों के क्राइटेरिया पर प्रोफेसर पहले साल में 3, दूसरे साल में 3 और तीसरे साल में 2 सीटें यानी एक समय पर कुल 8 सीट तय हैं। इसी तरह एसोसिएट प्रोफेसर के लिए 2,2,2 का मानक है। वहीं असिस्टेंट प्रोफेसर के लिए 2,1,1 का मानक है। इसके तहत तीन वर्ष में पीएचडी पूरी करनी है। इसके अलावा जो अर्ह प्रोफेसर्स यह लिखकर देगा कि छह महीने के भीतर यदि वह दो या तीन थीसिस सब्मिट कर देगा तो उनकी भी सीटों के आवंटन पर विचार किया जाएगा। उन्होंने कहा कई शिक्षक लंबे समय से एक दर्जन सीटों को घेर कर बैठे हैं, अब इस तरह नहीं चलेगा। एलयू के कार्यवाहक प्रवक्ता प्रो। मुकुल श्रीवास्तव का कहना है कि लूटा के अन्य मुद्दों पर एलयू प्रशासन प्राथमिकता से विचार करेगा। उधर, लूटा ने जारी विज्ञप्ति में प्रोफेसर, एसोसिएट प्रोफेसर और असिस्टेंट प्रोफेसर के लिए रिक्त पीएचडी सीटों के वर्षवार बंटवारे को वीसी ने वापस ले लिया की जानकारी दी। अब यह नवनियुक्त शिक्षकों पर ही लागू होगा।

Posted By: Inextlive